290 करोड़ रुपए में बनी नहर, 20 साल में 22 करोड़ रुपए मरम्मत पर खर्च कर दिए, 2018 में एक बार आया गांव तक पानी...
- वर्ष 2005 में भीखाभाई नहर परियोजना का काम शुरू हुआ 2021 में काम खत्म हुआ, माइनर नहरों का काम बाकी
बांसवाड़ा डूंगरपुर जिले के 1500 गांवों के लिए आखिरकार वह शुभ घड़ी आ ही गई जिसका यहां के करीब पौने चार लाख लोगों को 20 साल से इंतजार था। माही बांध का पानी भीखा भाई नहर से सागवाड़ा बहुत जल्द पहुंचने वाला है। सोमवार रात 12 बजे पानी डामोरवाड़ा तक पहुंच गया था। सागवाड़ा से पानी अभी केवल 10 किलोमीटर दूर है। यहां पानी आने के बाद लोडेश्वर बांध में ले जाएगा। यह पानी लोगों को सिंचाई और पेयजल के लिए मिलेगा। जिला प्रशासन और जल संसाधन विभाग नहर की सफाई करवा रहा है।
यह नहर आसपुर रोड को क्रॉस कर योगिंद्र गिरि तीर्थ क्षेत्र की तरफ से गोवाड़ी होते हुए नंदौड़ से लोडेश्वर बांध तक पहुंचती है। आसपुर रोड को पार करने के लिए करीब 700 मीटर लंबी और करीब 15 फीट ऊंची अंडरग्राउंड टनल बनाई गई है। सीमेंट- कंक्रीट से बनी टनल की जेसीबी व ट्रैक्टरों से सफाई की जा रही है। 19 अप्रैल को काब्जा के साकरिया फला में नहर टूट गई थी, जिसे ठीक कर दिया गया है। अब माही का पानी 43 किलोमीटर तक पहुंच चुका है । फिलहाल सागवाड़ा शहर समेत कई गांवों में 48 घंटे और 72 घटों में एक बार पानी की आपूर्ति की जा रही है। इस नहर से साबला, सागवाड़ा, आसपुर ब्लॉक का कुछ भाग, गलियाकोट का कुछ भाग और चिखली ब्लॉक के कुछ हिस्से में सिंचाई की सुविधा मिलना शुरू हो जाएगी।
सिंचाई विभाग के मोहित पाटीदार बताते हैं कि 2018 में आरा तक पानी आया था। हालांकि इसके बाद पानी की सप्लाई नहर में नहीं हो पाई है। इसके बाद 19 अप्रैल 2024 को पानी कचरा घाटी के पास पहुंच गया था। लेकिन कब्जा के साकरिया फला के पास नहर टूट जाने से पानी के प्रवाह को रोक दिया गया था। 3 दिन बंद रहने के बाद वापस सप्लाई शुरू हो गई है।
पेयजल के लिए पानी लोडेश्वर बांध में पहुंचाया जाएगा। 27000 हेक्टेयर कमांडिंग एरिया को लाभ मिलेगा। जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य अभियंता धीरज जौहरी ने बताया की इस सीजन में माही बांध से करीब 50 एमसीएफटी पानी दिया जाएगा। इसके बाद आगे की डिमांड के अनुसार देंगे। एसई आरसी मीणा ने बताया कि रोज 400 क्यूसेक पानी दिया जा रहा है करीब 60 तालाब में भी पानी भरा गया। वर्ष 2004 में माही बांध का पानी सागवाड़ा और कुआं तक पहुंचाने के लिए भीखाभाई नहर की घोषणा हुई थी।
नहर का काम वर्ष 2005 में शुरू हुआ था। मुख्य नहर का काम वर्ष 2020 - 2021 में खत्म हुआ, लेकिन माइनर नहरों का काम अभी भी बाकी है। नहर की कुल लागत 290 करोड़ रुपए थी। अब तक इसकी मरम्मत पर 22 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। कुल मिलाकर नहर की लागत 312 करोड़ रुपए हुई। अलग-अलग समय मे विभिन्न मदों से बजट मिला था। जिसका मरम्मत करने पर उपयोग लिया गया। नहर की कुल लंबाई माही डेम से लेकर अंतिम छोर तक 185. 84 किलोमीटर है।
इसकी बांसवाड़ा जिले में लंबाई 65 किलोमीटर और डूंगरपुर जिले में लंबाई कुआं तक 120.84 किलोमीटर है। बोरेश्वर निठाउवा से इस नहर की लंबाई डूंगरपुर जिले में कुआं तक 120. 84 किलोमीटर है। बांसवाड़ा के माही डेम से यह पानी करीब 65 किलोमीटर दूर बोरेश्वर में बने साइफन में प्रवेश करता है। यहां से करीब 70 किलोमीटर का सफर कर यह पानी सागवाड़ा पहुंचेगा।