बैड पूरे नहीं, गर्भवती महिलाओं को बेंच पर मैले-फटे गद्दे लगाकर सुला रहे, दूसरी ओर-6 माह से 30 नए बैड और गद्दे ताले में पड़े...
कारण- बच्चे ने दुनिया में आते ही मां को अलविदा कह दिया और अस्पताल प्रशासन ने भी कद्र नहीं की। अनीता को डिस्चार्ज करने के बाद घाटोल की 25 वर्षीय मंजूला खेरवा की डिलीवरी हुई। उसको भी उसी बेंच पर भर्ती कर दिया वार्ड में बैड नहीं होने के कारण गर्भवतियों को अटेडेंट के बैठने की बेंच पर ही गंदे और फटे गंदे डालकर लिटाया जा रहा है। इससे गर्भवती महिलाओं को इंफेक्शन का भी खतरा है। दूसरी ओर, बन वार्ड के आगे नशा मुक्ति केंद्र बनाने के लिए खरीदे गए 30 नए बैड और गद्दे छह महीने से अधिक समय से लॉक में रखे हुए हैं, क्योंकि नशा मुक्ति केंद्र शुरू करने की स्वीकृति अभी तक नहीं मिली है। कंटेंट/ फोटो: अजीत सिंह