500 करोड़ की स्वीकृति फिर भी नहरें जर्जर:माही विभाग की अनदेखी, नवागांव के पास बाई मुख्य नहर जर्जर तो कई जगह निकल रहे पत्थर

किसानों की जीवनरेखा मानी जाने वाली माही की बायीं मुय नहर नवागांव क्षेत्र में कई जगहों पर जर्जर स्थिति में पहुंच चुकी है। नहर की दीवारें उखड़ चुकी हैं और पत्थर झांकने लगे हैं, जिससे आगामी सीजन में फिर से सीपेज की गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है। केंद्र सरकार द्वारा माही परियोजना के नवीनीकरण व सुदृढ़ीकरण के लिए साढ़े पांच सौ करोड़ रुपए की स्वीकृति के बावजूद यह स्थिति बनी हुई है। अपर हाई लेवल केनाल बनाई जा रही है, तो कई जगह पर पुरानी नहर की वितरिकाओं के बनाने का काम भी चल रहा है। वहां भी कई जगह पर काम अधूरा है। पुरानी केनाल के कई जगह पर जर्जर होने के बाद भी अभी तक इसके सुदृढ़ीकरण का काम शुरू नहीं किया गया। गर्मी का पूरा मौसम निकल चुका है बारिश नजदीक है। बारिश खत्म होते ही फिर से इस नहर में पानी की सप्लाई शुरू हो जाएगी। समय रहते माही की पुरानी जर्जर नहर का काम शुरू नहीं हुआ तो आगामी दिनों फिर से सीपेज की समस्या रहेगी।
जिले के किसान जर्जर नहर और टूटी माही की वितरिकाओं को सुधरवाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन विभागीय अधिकारी कागज़ों में खानापूर्ति कर देते दिखाई देते हैं। कई बार ठेके पर काम होने से ठेकेदार को तरफ से भी घटिया सामग्री उपयोग में ली जाती है लेकिन जांच के नाम खानापूर्ति की जा रही है। नवागांव के किसानों ने बताया कि पिछले वर्ष टांडीमहूडी तक बनाई गई नहर की वितरिकाओं में घटिया सामग्री का उपयोग करते हुए सीमेंट एवं गिट्टी के बजाय निर्माण काम में पत्थर भर दिए गए थे। इसकी ग्रामीणों ने मौके पर शिकायत भी की थी, लेकिन तब भी किसी अधिकारी ने उस नहर की बनी वितरिका की तरफ ध्यान नहीं दिया गए।
