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श्यामपुरा जंगल में ट्रैक के अलावा 50 से भी ज्यादा ठूंठ, कोई भी वृक्ष इतना घना नहीं जिस प्रकार से जंगल में होता है

Banswara
श्यामपुरा जंगल में ट्रैक के अलावा 50 से भी ज्यादा ठूंठ, कोई भी वृक्ष इतना घना नहीं जिस प्रकार से जंगल में होता है
@HelloBanswara - Banswara -

श्यामपुरा जंगल में ट्रैक के अलावा 50 से भी ज्यादा ठूंठ, कोई भी वृक्ष इतना घना नहीं जिस प्रकार से जंगल में होता है , क्यूंकि जैसे ही वो बड़ा होता है तो उसे काट दिया जाता है, अगर इसी प्रकार चलता रहा तो आने वाले समय में यह समतल जमीन में तब्दील हो जाएगा

श्यामपुरा जंगल में हरे पेड़ाें की कटाई पर सीसीएफ ने कहा-पेड़ाें काे बचाने की हर मुमकिन काेशिश करनी चाहिए थी, जांच कराएंगे

फिर काटे पेड़ : ट्रैक के अलावा भीतरी इलाकों में भी 50 से ज्यादा ठूंठ
बांसवाड़ा| श्यामपुरा जंगल में 3 किमी लंबे साइकिल ट्रैक के लिए हरे पेड़ काटने से पहले उच्चाधिकारियों काे भी इसकी काेई जानकारी नहीं दी गई। खुद मुख्य वन संरक्षक, उदयपुर, आरके सिंह ने कहा कि उन्हें यह जानकारी नहीं दी गई है कि साइकिल ट्रैक के लिए हरे पेड़ काटने पड़ रहे थे। अगर ट्रैक के बीच में आ रहे पेड़ ट्रांसप्लांट करने के योग्य प्रजातियों के थे ताे उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि वह इस मामले की जानकारी लेंगे। इधर, इस मामले में वन विशेषज्ञों का कहना है कि जंगल में अगर किसी भी प्रजाति का पेड़ हाे ताे तब भी उसे काटना गलत है। इतनी बड़ी संख्या में पेड़ काटने के लिए स्वीकृति जरूरी थी। हालांकि, वन विभाग के अधिकारी ताे इससे पहले एक भी पेड़ नहीं काटने का दावा कर रहे थे।

इधर, श्यामपुरा जंगल में साइकिल ट्रैक के अलावा भीतरी इलाकों में भी पेड़ काटने का मामला सामने आया है। यहां सागवान सहित कई पेड़ाें के ताजा ठूंठ मिले हैं। इनमें से कुछ ताे इतने जाता है कि काटे गए ठूंठ के नीचे बुरादा तक नजर आ रहा है। एेसे में वन विभाग की निगरानी काे लेकर भी सवाल उठ रहा है। गौरतलब है कि श्यामपुरा जंगल काे शहर की ऑक्सीजन फैक्ट्री के नाम से भी जाना जाता है लेकिन यहां पर लगातार पेड़ाें की कटाई ने चिंता बढ़ा दी है।

आग लगी ताे नजर आए कई ठूंठ
8 अप्रैल काे श्यामपुरा जंगल में भीषण आग लग गई थी। यह आग आबादी बस्ती से सटे वनक्षेत्र में लगी थी। आग का कारण अप्राकृतिक था। जब आग पर काबू पा लिया गया ताे माैके की तस्वीर भी हैरान कर देने वाली थी। आग से पत्तों के जल जाने पर भीतर कई ठूंठ दिखाई दिए थे, जिससे साफ पत चला रहा है कि जंगल में गुपचुप तरीके से पेड़ काटे जा रहे हैं।

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