टीएसपी विशेष मूलनिवास में पति को नहीं, पिता के नाम का मान्य, सरकारी नौकरी के लिए अपात्र घोषित

Banswara November 27, 2017 -
जनजाति उपयोजना क्षेत्र में तो बेटियां नहीं बहुएं पराई हो गई हैं। यह स्थिति विवाह पूर्व नोन टीएसपी क्षेत्र और अन्य राज्यों की निवासी और विवाह के बाद टीएसपी क्षेत्र में आई महिला अभ्यर्थियों के साथ सामने आ रही है। इन अभ्यर्थियो को गत वर्ष चार जुलाई की अधिसूचना का हवाला देकर उन्हें रीट लेवल टू में नोन टीएसपी मानकर काउंसलिंग के लिए पात्र नहीं माना जा रहा है। हाल ही में शिक्षक भर्ती 2016 में चयनित हुए अभ्यर्थियों की सूचियां जारी होने के बाद काउंसलिंग प्रक्रिया में उन महिला अभ्यर्थियों को भी बाहर कर दिया है, जो गैर टीएसपी क्षेत्र की है तथा यहां टीएसपी क्षेत्र के मूल निवासियों के यहां बहू बनी हैं। जबकि, वह वर्षों से यहां अपने टीएसपी मूल के ही पति के साथ रह रही है तथा विवाह पंजीयन प्रमाण पत्र भी दे रही हैं, लेकिन उन्हेें पदस्थापन से बाहर कर दिया है।
यह है अधिसूचना -
चार जुलाई 2016 को राज्यपाल ने जनजाति उपयोजना क्षेत्र के लिए विशेष अधिसूचना जारी की। इसके तहत इन क्षेत्रों में होने वाली सरकारी भर्तियों के लिए 1970 के पूर्व से यहां रह रहे अभ्यर्थी ही पात्र है। इस अधिसूचना से इस क्षेत्र के स्थानीय सभी वर्गों के लोगों को पर्याप्त सरकारी नौकरियों में लाभ मिल रहा है। समें यह विसंगति उभर कर सामने आ रही है कि टीएसपी क्षेत्र में ब्याह कर आई गैर टीएसपी की महिलाएं भी अपात्र मानी जा रही है।
बोले अभ्यर्थी -
प्रमिला देवी, रेखा, रक्षा, कावेरी सहित अन्य महिला अभ्यर्थियों ने कहा कि परीक्षा के आवेदन के समय और 18 मई 2016 को परिणाम घोषित होने के समय वे टीएसपी क्षेत्र की निवासी थी। परिणाम घोषित होने के 45 दिन बाद चार जुलाई की अधिसूचना का हवाला देकर उन्हें नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। इनका कहना है कि उनके जन्म स्थान को देखकर यह निर्णय किया जा रहा है, जबकि परीक्षा के आयोजन के कई सालों पूर्व से वह विवाह उपरांत टीएसपी क्षेत्र में निवासरत हैं। बांसवाड़ा सहित डूंगरपुर, प्रतापगढ़, उदयपुर आदि में सौ से अधिक महिला अभ्यर्थियों को काउसंलिंग से वंचित रखा है।
इनका कहना है -
भर्ती नियमों के तहत टीएसपी विशेष मूलनिवास में पति को नहीं, पिता के नाम का मान्य किया है। अभ्यर्थी मूल निवास प्रमाण पत्र माता-पिता या पूर्वज के अनुसार मान्य होगा। इसमें विवाह के बाद का कहीं उल्लेख नहीं है। मामले में उच्चाधिकारियों से मार्गदर्शन लेंगे।
हर्ष सावनसुखा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद - patrika