100 साल पुरानी अनूठी परंपरा : अच्छी बारिश की कामना को लेकर महिलायें लट्ठ और तलवारे लेकर निकली

छाजा 100 साल पुरानी परंपरा धाड़। हाथों में लट्ठ-तलवार लिए अकाल त्रासदी बताने निकली महिलाएं। हे भगवान देखिए, अगर अच्छी बारिश नहीं हुई तो सूखा पड़ेगा, ऐसे ही सड़कों पर चोर लुटेरे निकलेंगे, घरों में लूट और डकैती डालेंगे।
ऐसा ही नजारा शनिवार को आनंदपुरी पंचायत समिति के टामटिया गांव में अच्छी बारिश की कामना को लेकर महिलाओं ने पुरुषों की वेशभषा धोती कुर्ता, सिर पर पगड़ी पहनकर और हाथों में लट्ट व तलवारें लेकर धाड़ निकाली। हाथों में धारिये, तलवार, लट्ट , सिर पर पगड़ी, माथे पर तिलक, कलाई में कड़े और पैरों में जूतियां पहनी महिलाओं को देखकर तो एक बार वहां से गुजर रहे वाहन चालक, राहगीर और ग्रामीण डर गए, लेकिन इन महिलाओं की मंशा किसी पर हमले या डराने की नहीं थी। बल्कि सूखे के संकट का सामना कर रहे इस इलाके में अच्छी बारिश की कामना थी। शनिवार सुबह सशस्त्र महिलाएं पुरुषों के वेशभूषा पहनकर एकत्रित हुई! इसके बाद टामटिया से होते हुए बरकोटा, छाजा के वागेश्वरी माताजी मंदिर में लोकगीतों के साथ पूजा अर्चना की। वहां से कथिरिया, कांगलिया होते हुए अनास नदी के पास प्राचीन गौतमेश्बर महादेव मंदिर में पूजा अर्चना की। इसके बाद छाजा में माताजी मंदिर के बाहर सभी महिलाओं ने धारिये, तलवारें, तीर कमान, लट्ठ लेकर लोक गीत गाते हुए गेर नृत्य किया। ये महिलाएं 10-15 किलोमीटर घूमकर वापस टामटिया के माला देवी मंदिर पहुंचीं, जहां पूजा अर्चना कर नारियल होम में आहुतियां दी।
» मान्यता : अच्छी बारिश की कामना को लेकर भगवान इंद्रदेव को रिझाने की 100 साल से ज्यादा प्राचीन अनूठी परंपरा है। इसे स्थानीय भाषा में 'धाड़' कहते हैं।
« अपतुकन: धाड़ निकलती है महिलाओं के कम के सामने पुरुष नहीं आते हैं। पुरुषों का सामने आना अपशकुन मानते हैं। पुरुषों के वेशभूषा में गांवों में धाड़ निकलने की यह परंपरा 100 साल से भी ज्यादा पुरानी है।
० अजस्त में नहीं हुई बारिश : इस साल जिले में मानसून की बारिश जल्दी शुरू हो गई, लेकिन पिछले 19 दिन यानी अगस्त में तेज बारिश नहीं होने से लोगों की चिंता बढ़ गई है।