वागड़ की जनता कृपया ध्यान दें...बांसवाड़ा की ट्रेन क्यों नहीं चल रही?
टीएडी मंत्री अर्जुनसिंह बामनिया ने कहा- सांसद को जनता ने चुना, रेल लाना उनकी जिम्मेदारी
कैबिनेट मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीया बोले- रेल के लिए बजट मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र की बात है
वागड़ की जनता कृपया ध्यान दें...बांसवाड़ा की ट्रेन क्यों नहीं चल रही? इस सवाल का जवाब रेलवे ने रेल बजट को लेकर जारी पिंक बुक में दिया है। रेलवे का कहना है कि रतलाम-डू्ंगरपुर वाया बांसवाड़ा नई रेल लाइन परियोजना की लागत देने में राजस्थान सरकार ने असमर्थता व्यक्त की है। इसलिए इस परियोजना को स्थगित रखा गया है। 192 किलोमीटर की लंबी लाइन के लिए लागत का 50 फीसदी राशि देनी है। साल 2008-2009 के सर्वे के अनुसार रेलवे लाइन पर 2082 करोड़ रुपए खर्च होने थे। अब यह लागत 4262 करोड़ हो गई है।
इसलिए बंद हो गई है थी यह परियोजना : परियोजना के लिए रेलवे और राज्य सरकार में हुए एमओयू अनुसार लागत की आधी राशि राज्य सरकार को वहन करना थी। उस वक्त सीएम ने 200 करोड़ की राशि मंजूर की। जमीन अधिग्रहण के बाद 80% मुआवजा बंट चुका था, लेकिन बाद में सरकार ने रेल मंत्री को पत्र लिखकर बाकी के 136 करोड़ रुपए देने से मना कर दिया।
आपको बांसवाड़ा की जनता ने चुना है..राजनीति छोड़, सरकार से रेल के लिए बजट लाइए
राज्य के हिस्से की बात है तो वह सीएम का अधिकार क्षेत्र : मालवीया
रेल परियोजना को लेकर भाजपा की सरकार ने बजट देने से मना कर दिया था और इस संबंध में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने रेल मंत्री को पत्र लिखकर रेल परियोजना की लागत की आधी राशि वहन करने में असमर्थता जता दी थी। अब रेल के मामले में केंद्र सरकार को ही निर्णय लेकर बजट देना है। जहां तक राज्य के हिस्से की बात है तो ये मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र में है। - महेंद्रजीत सिंह मालवीया, कैबिनेट मंत्री, जलसंसाधन विभाग
कांग्रेसराज में स्वीकृति दी, वसुंधराराजे ने बजट नहीं दिया था, रेल केंद्र का विषय : बामनिया
कांग्रेसराज में डूंगरपुर से रतलाम वाया बांसवाड़ा न्यू ब्रॉडगेज रेल परियोजना का निर्माण शुरू हुआ था। उस समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बतौर राजस्थान के हिस्से के रूप में एमओयू के अनुसार 200 करोड़ का बजट दिया था। बाद में भाजपा की सरकार आते ही तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने रेल मंत्री को पत्र लिख बजट देने में असमर्थता जताई थी। सांसद कटारा को चाहिए कि बांसवाड़ा-डूंगरपुर संसदीय क्षेत्र की जनता ने उन्हें वोट देकर जिताया है तो केंद्र सरकार से परियोजना के लिए बजट स्वीकृत करवाकर निर्माण प्रारंभ करवाना उनकी जिम्मेदारी है। रेल केंद्र सरकार का विषय है।
- अर्जुन सिंह बामनिया, राज्यमंत्री, टीएडी
मैंने पीएम से मुलाकात कर केंद्र से बजट की मांग की है : कटारा
जब राजस्थान सरकार रेलवे परियोजना के लिए अपने हिस्से की आधी लागत नहीं दे रही है तो अब केंद्र सरकार पर ही आदिवासी बहुल क्षेत्र के विकास के लिए आस है। इसी को लेकर मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर डूंगरपुर से रतलाम वाया बांसवाड़ा रेलवे परियोजना की लागत केंद्र सरकार द्वारा वहन करने की मांग की है।
-कनकमल कटारा, सांसद
राजनीति में उलझी परियोजना 2082 करोड़ से 4262 करोड़ की हो गई
बांसवाड़ा रेल परियोजना के काम पर सिर्फ राजनीति हो रही है और परियोजना की लागत राशि बढ़ती जा रही है। रेलवे के नए एस्टीमेट में बताया है कि परियोजना की लागत बढ़कर 4262 करोड़ हो गई, जो प्रारंभिक लागत 2082 करोड़ से दोगुना से ज्यादा है। यह योजना साल 2017 से बंद है। रेल लाइन में से 49 किमी ट्रैक रतलाम यानी मध्यप्रदेश सीमा में है। रेलवे 175.56 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित कर चुका है। 38 करोड़ रुपए मुआवजा बंटना था। राजस्थान सरकार 20 करोड़ दे पाई है, 18 करोड़ का मुआवजा बंटना बाकी है। वहीं परियोजना में बांसवाड़ा व डूंगरपुर के साथ रतलाम जिले की सीमा में गुड़भेली, फतेहपुरिया, पाटड़ी सहित सैलाना व शिवगढ़ क्षेत्र में ट्रैक बिछाने के लिए बड़े पैमाने पर अर्थ वर्क शुरू हो चुका था, जो फिलहाल बंद है। परियोजना के लिए रेलवे और राज्य सरकार में हुए एमओयू अनुसार लागत की आधी राशि राज्य सरकार को वहन करना थी। सीएम ने 200 करोड़ की राशि मंजूर की। जमीन अधिग्रहण के बाद 80% मुआवजा बंट चुका थी, लेकिन बाद में सरकार ने रेल मंत्री को पत्र लिखकर बाकी के 136 करोड़ देने से मना कर दिया।
2011-12 में परियोजना का काम शुरू हुआ।
49.15 किमी लाइन मध्यप्रदेश सीमा में बिछाई जानी है।
500 ब्रिज, 59 आरओबी और 149 आरयूबी बनाए जाने हैं।