कल से ज्वैलरी पर हाॅलमार्किंग जरूरी; जिले में 400 ज्वैलर्स, किसी एक के पास भी लाइसेंस और लैब नहीं
बांसवाड़ा | सरकार ने साेमवार से ज्वैलरी पर हॉल मार्किंग हाेना अनिवार्य कर दिया है। यानि अब ज्वैलरी कारोबार के लिए ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्स (बीआइएस) से लाइसेंस लेना जरूरी है नहीं ताे ज्वैलरी का काराेबार अवैध माना जाएगा। लेकिन इस नए नियम से शहर के 140 सहित जिले के 400 से अधिक व्यापारियाें के लिए परेशानी बढ़ गई है। क्याेंकि जिले में किसी के पास लाइसेंस नहीं है। व्यापारियाें ने इसके लिए बीआईएस को इसकी अंतिम तिथि कम से कम 6 महीने आगे बढ़ाने की मांग रखी है। क्योंकि स्थानीय स्तर पर लाइसेंस जारी करने की व्यवस्था नही हैं। इसलिए बीआईएस को जिला स्तर पर इसके शिविर लगाने चाहिए। जिले में हाॅल मार्किंग की व्यवस्था नहीं हाेने के कारण यहां के व्यापारियाें काे उदयपुर जाना पड़ता है। बिना हॉल मार्क ज्वैलरी को एक से दूसरी जगह ले जाना गैर कानूनी माना जाएगा। बीआईएस द्वारा 18 और 22 कैरेट गोल्ड की हॉलमार्क ज्वैलरी बेचने की अनुमति है।
देसी जेवरात पर नहीं हाेती हाॅल मार्किंग
जिले में रतलाम सहित इंदाैर और अहमदाबाद से गाेल्ड के जेवरात आते हैं। जिसमें अधिकांश पर हाॅलमार्किंग हाेती है। लेकिन जाे स्थानीय स्तर पर जेवरात बनाए जाते हैं, उनमें मार्किंग नहीं हाेती।
बांसवाड़ा सहित 16 जिलों में नहीं है मार्किंग सेंटर: राज्य के 33 जिलों में से 16 बांसवाड़ा, बारां, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, बाड़मेर, भरतपुर, बूंदी, चित्तौडगढ़, दौसा, धौलपुर, डूंगरपुर, टोंक, जैसलमेर, जालौर, झालावाड़, करौली और राजसमंद में हॉल मार्किंग सेंटर नहीं हैं। इन जिलों के ज्वैलर्स को गोल्ड ज्वैलरी पर हॉल मार्किंग के लिए दूसरे शहरों में जाना पड़ेगा।
हाॅलमार्क अनिवार्य ताे हैं, लेकिन सरकार काे इसके लिए स्वयं ही लैब स्थापित करनी हाेगी, क्याेंकि जिले में लैब स्थापित करने के लिए बहुत लागत आएगी, व्यापारी अगर काेई लैब लगा भी ले ताे उतना रिटर्न उसे नहीं मिल पाता।
जिम्मी सराफ, सराफा व्यापारी बांसवाड़ा