लाइसेंस लिया न स्टाफ रखा, 70 लाख का नशा मुक्ति केंद्र, 50 लाख फिजियोथैरेपी सेंटर, 80 लाख के डीआईसी सेंटर पर ताले
बांसवाड़ा स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने केंद्र और राज्य सरकार हर संभव प्रयास का दावा करती है लेकिन बांसवाड़ा में स्थिति इसके उलट नजर आ रही है। भास्कर पड़ताल में तीन योजनाओं के तीन भवन नशा मुक्ति केंद्र, फिजियोथैरेपी सेंटर और डीआईसी भवन (Disseminated intravascular coagulation) तैयार किए हैं। इन भवनों और इलाज से जुड़े संसाधनों पर करीब 3 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी मरीजों को कोई लाभ है।
साल 2021-22 में 70 लाख रुपए का नशा मुक्ति केंद्र और 50 लाख रुपए का फिजियाथैरेपी सेंटर, 2015-16 में 80 लाख रुपए का डीआईसी सेंटर बना। तीनों भवनों पर उद्घाटन के बाद से ताले लगे हुए हैं। कमरों में रखे गद्दे, पलंग खराब हा़े चुके हैं। मशीनें भी धूल खा रही हैं। अब ये उपयोग के लायक है या नहीं, कहना मुश्किल है। नशा मुक्ति केंद्र में सिर्फ काउंसिलिंग हो रही है, लेकिन मरीज भर्ती कर इलाज करने के लिए सरकार ने लाइसेंस को मंजूरी नहीं दी। फिजियाथैरेपी सेंटर और डीआईसी को स्टाफ नहीं मिला। डीआईसी सेंटर पर छोटी नसों में खून के छोटे-छोटे थक्के बनने की बीमारी का इलाज करना था। आंख से कमजोर, मंदबुद्धि, श्रवण बाधित और मानसिक रूप से कमजोर बच्चों के इलाज की सुविधा देने एमजी अस्पताल में डीआईसी भवन 8 साल पहले तैयार कराया था। स्टाफ नहीं मिलने से बंद है। सेंटर में टूटे पलंग, फटे गद्दे, चारों तरफ गंदगी है। मशीनें धूल खा रही है। यूनिट प्रभारी आरसीएचओ दिनेश भाबोर ने बताया कि स्टाफ नहीं मिला। इसमें चार विभाग, एचआर मैनेजर, एक शिशु रोग विशेषज्ञ, दंत विशेषज्ञ, ईएनटी रोग विशेषज्ञ, मनोरोग विशेषज्ञ व स्टाफ की जरूरत होती है। एक ही छत के नीचे आयुर्वेद, योगा, नेचरथैरेपी, यूनानी, सिद्धा और होम्योपैथी यानी आयुष योजना के तहत नेचर थैरेपी के जिए फिजियोथैरेपी सेंटर तीन साल पहले खोला था। इसमें मांसपेशियों में दर्द, माइग्रेन आदि का इलाज मसाज व योगा के जरिए किया जाता है।
भवन निर्माण के बाद सरकार स्तर से फिजियोथैरेपिस्ट व अन्य स्टाफ के पद भरने का प्रयास किया लेकिन कोई भी नहीं आया। अस्पताल प्रबंधन ने भवन का उद्घाटन कराने के बाद से यहां आज तक सफाई तक नहीं की है। युवाओं के साथ-साथ बच्चों में नशे की बढ़ती प्रवृति को देखकर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने नेशन एक्शन प्लान फॉर डिमांड रिडक्शन (एनएपीडीडीआर) योजना के तहत नशा मुक्ति केंद्र साल 2021-22 में शुरू किया था। भवन एमजी अस्पताल प्रबंधन ने बनाकर दिया। संचालन एनजीओ राजस्थान इंटीग्रेटेड डेवलेपमेंट सोसायटी (रीड्स) को सौंपा। एनजीओ ने काउंसलर लगाया और मरीजों को भर्ती करने के लिए 5-5 बेड का महिला, पुरुष अलग-अलग वार्ड व एक 10 बेड का एक सामान्य वार्ड बनाया। मरीजों को भर्ती कर इलाज देने राज्य सरकार से तीन साल से लाइसेंस का इंतजार है। वर्तमान में मरीजों की सिर्फ काउंसिलिंग कर रहे हैं। वार्डों में पलंग, प्रचार सामग्री व अन्य सामान भरा है,
आधे से ज्यादा कबाड़ हो चुका है। ^नशा मुक्ति केंद्र का भवन समाज कल्याण ने तैयार कराकर एनजीओ को दिया था। इसमें मरीज भर्ती करने का लाइसेंस सरकार स्तर पर प्रक्रियाधीन है। फिजियोथैरेपी सेंटर के लिए स्टाफ नहीं मिला। डीआईसी यूनिट का भवन स्वास्थ्य विभाग तैयार कराया था। स्टाफ नहीं मिल रहा है, शुरू कैसे करें। -डॉ. खुशपाल सिंह राठौड़, पीएमओ, एमजी अस्पातल