बांसवाड़ा में अंजुमन सदर की हत्या के आरोपी बरी:घटना के 7 आरोपियों में सिराज सहित 5 बरी, एक आरोपी की हो चुकी मौत
बांसवाड़ा में 10 साल पहले हुई अंजुमन इस्लामिया के पूर्व सदर अबू लाला की हत्या के मामले में सेशन कोर्ट ने 7 में से 5 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
सुनवाई के दौरान पुलिस की लापरवाही भी सामने आई। कोर्ट में कुल 24 गवाह पेश किए गए। इसमें से सरकारी कर्मचारियों को छोड़कर किसी ने भी पूरे बयान नहीं दिए।
कोर्ट ने सिराज अहमद सहित 5 आरोपियों को बरी कर दिया। आरोपियों में विजय पंवार (35) पुत्र गोपाल निवासी बसाड़ जिला प्रतापगढ़ को फरार घोषित किया है। एक आरोपी रियाज खान (66) पुत्र मीर मोहम्मद निवासी डूंगरी मोहल्ला परतापुर की मृत्यु हो गई। इसलिए इसके खिलाफ कार्यवाही बंद कर दी गई।
10 साल पहले हुआ था मर्डर
जानकारी के अनुसार अबू लाल के भांजे मोइनुद्दीन ने 19 मई 2014 की रात 9:30 बजे रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में बताया- अबू लाला, सईदुल्लाह खान, नईम खान व अन्य पप्पू पान वाले की दुकान के बाहर बैठे थे। पास में मौलाना उर्फ अयूब अली फोन पर बात कर रहा था। फोन पर बात करते हुए उसने कहा जल्दी आ जाओ अबू लाला अकेला बैठा है। इसके करीब 5 मिनट बाद एक बाइक आई।
बाइक को सिराज अहमद चला रहा था। बाइक के पीछे खान बहादुर बैठा हुआ था। खान बहादुर के हाथ में 12 बोर की बंदूक थी। उसने अबू लाला पर फायर किया।गोली लाला के पेट में लगी। इसके बाद पीछा किया तो उन्होंने बंदूक तान दी। अबू लाला को महात्मा गांधी अस्पताल लेकर गए वहां प्राथमिक उपचार के बाद उदयपुर के लिए रेफर कर दिया।
पुलिस ने 24 लोगों की गवाही ली
उदयपुर में अबू लाला की मृत्यु हो गई। इस घटना के दो दिन बाद तक शहर में कर्फ्यू जैसे हालात रहे। पुलिस ने गहन जांच पड़ताल के बाद चालान पेश किया। पुलिस ने कुल 24 लोगों की गवाही ली। कई सबूत व अन्य दस्तावेज भी कोर्ट की फाइल में पेश किए।
अधिवक्ता जितेंद्र सिंह कुवालिया ने बताया- होली चौक पृथ्वीगंज निवासी सिराज अहमद पुत्र रियाज अहमद, खान बहादुर पुत्र मीर मोहम्मद निवासी डूंगरी मोहल्ला परतापुर, इरशाद खान पुत्र नाहर खान डूंगरी पाड़ा परतापुर, अयूब खान पुत्र सलीम खान चनिया खेड़ी प्रतापगढ़, अमजद खान पुत्र अफजल खान, साकरिया रठांजना जिला प्रतापगढ़ प्रतापगढ़ को सबूत के अभाव में बरी कर दिया गया है।
अपने ही बयान दोहरा नहीं पाए गवाह
घटना के प्रत्यक्षदर्शी और अबू लाला को अस्पताल ले जाने वाले गवाह घटना को पूरी तरह दोहरा नहीं पाए। उनके बयान में विरोधाभास आ गया। साथ में जब बचाव पक्ष ने जिरह की तो वे जवाब नहीं दे पाए। केस दर्ज कराने वाला मोइनुद्दीन भी पूरी तरह अपनी बातों पर नहीं टिक पाया।
अबू लाला के दोनों बेटों की मौके पर मौजूदगी कोर्ट में साक्ष्य के रूप में नहीं आ पाई। कोर्ट में जिरह के दौरान एक गवाह ने तो हमलावर को अज्ञात बताया था। अनुसंधान में पता चला कि बाइक चालक अयूब था जबकि फायर अमजद ने किया था। जबकि रिपोर्ट में बाइक चालक सिराज था और फायर करने वाला खान बहादुर था।
पुलिस ने इस मामले का चालन सीजेएम कोर्ट में पेश किया था। मामला बाद में सेशन कोर्ट भेजा गया। सेशन कोर्ट के न्यायाधीश अरुण कुमार अग्रवाल ने यह फैसला सुनाया।