नगर परिषद ने लाखाें रुपए का किया नकद लेन-देन, बिना रसीद धराेहर राशि भी लाैटाई

नगर परिषद में मनमर्जी हावी है। सरकारी आदेश किनारे कर 2020-21 में लाखों रुपए का नगद लेन-देन कर दिया गया। धरोहर राशि भी बिन रसीद के लौटाकर वित्तीय अनियमितता की गई। तो िकराया वसूली के मामले में भी सुस्ती से करोड़ों रुपए बकाया हैं, जबकि कर्मचारियाें का वेतन चुकाना परिषद के लिए सिरदर्द बना हुआ है।
यह खुलासा फाइंनेंशियल ऑडिट में हुआ है। वित्त विभाग के आदेश 21/5/2010 अनुसार सभी राजकीय और स्वायत्तशासी संस्थाओं काे भुगतान चैक और डीडी द्वारा बैंक के माध्यम से करना है। किसी खास परिस्थिति में ही भुगतान कैश किया जा सकता है।
नगर परिषद में कई दुकानाें का किराया बकाया है। इसके लिए समय समय पर नाेटिस भी दिए गए हैं। अब ताे दुकान सीज करने के नाेटिस जारी किए हैं। जहां तक बाद बिना रसीद भुगतान की है ताे यह हाेना नहीं चाहिए, इस मामले काे दिखवाया जाएगा। कहीं काेई कैश में भुगतान नहीं किया है। -प्रभुलाल भाभाेर, आयुक्त नगर परिषद बांसवाड़ा।
कागदी काॅम्पलेक्स का 3 कराेड़ बकाया
परिषद में आय का सबसे बड़ा जरिया दुकानाें का किराया है, लेकिन परिषद इसमें भी काफी पिछड़ गई है। शहर के पाला राेड क्षैत्र में स्थित कागदी काॅम्पलेक्स की 22 दुकानाें का 1 अप्रैल 2020 तक का बकाया किराया 3 कराेड़ 55 लाख 90 हजार 33 रुपए है। यह बकाया 10 प्रतिशत सालाना बढ़ाेतरी के अनुसार है।
चिमनलाल मालाेत और न्यू चिमनलाल मालाेत में किराया 46 हजार लेकिन भुगतान 2 हजार : शहर में नगर परिषद का दूसरा बड़ा मार्केट पुराना बस स्टैंड पर चिमनलाल मालाेत मार्केट और न्यू चिमनलाल मालाेत का मार्केट है। इसमें करीब 42 दुकानें संचालित हैं। पिछली ऑडिट में यहां भी 4 कराेड़ के करीब किराया बकाया था।
आज तक कई दुकानदाराें ने बकाया जमा नहीं कराया है और न ही वसूली काे लेकर काेई सख्ती दिखा रही है। करारनामे के अनुसार जिन दुकानाें का किराया 46 से 50 हजार महीने तक है, वाे दुकानदार भी महज 2 हजार से 2500 रुपए का भुगतान कर रहे हैं, वाे भी नियमित नहीं।
बिना रसीद कर दिया 72 हजार का भुगतान : शहर में लगाए गए यूनिक पाेल और विज्ञापन हाॅर्डिंग के टैंडर में 3 फर्माें ने आवेदन किया। इसमें उन्हाेंने 24-24 हजार रुपए धराेहर राशि जमा कराई। बाद में नगर परिषद ने 24 हजार की धराेहर राशि यानि कुल 72 हजार रुपए बिना मूल रसीद प्राप्त किए हुए भुगतान कर दिया। ऑडिटर्स ने इसमें गबन की आशंका जताई है। इन तीन फर्माें में राॅयल एडवर्टाइजिंग, सक्सेज इंडिया और जमना पब्लिसिटी फर्म शामिल है।