कमीशन का पावर; छह माह में 10 पावर ट्रांसफार्मर जले, यहां 12 कंपनियों को ठेका, फिर भी उदयपुर मंगवाकर सही करा रहे
डिस्कॉम में पावर ट्रांसफार्मरों की मरम्मत में गड़बड़ियां चल रही हैं। यह गड़बड़ियां चीफ इंजीनियर कार्यालय उदयपुर से कमीशन के चक्कर में की जा रही हैं। इस वित्तीय वर्ष 2024-25 में 1 अप्रैल से 30 सितंबर तक 6 माह में ही करीब 10 पावर ट्रांसफार्मर जल गए। जिले में 10 कंपनियां ट्रांसफार्मर मरम्मत के लिए हायर की गई हैं। इसके बावजूद उन्हें ट्रांसफार्मर नहीं देकर उदयपुर की कंपनियों के पास भेजे गए।
खास बात यह है कि जिले में हायर की गई कंपनियों को सिर्फ छोट-छोटे ट्रांसफार्मर ही मरम्मत के लिए देते हैं। पावर ट्रांसफार्मर मरम्मत के लिए उदयपुर भेजे जाते हैं। क्योंकि छोटे ट्रांसफार्मरों के रिपेयरिंग के बिल 10 हजार से 50 हजार रुपए तक के बनते हैं और एक पावर ट्रांसफार्मर का रिपेयरिंग बिल 5 लाख रुपए तक का बनता है। ट्रांसफार्मर रिपेयरिंग के लिए जिले में हायर एक एजेंसी के मालिक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि लाइन पर चालू ट्रांसफार्मर मरम्मत की जिम्मेदारी डिस्कॉम अधिकारियों की होती है।
अगर इनका समय-समय पर सही तरीके से मेंटिनेंस होता रहे तो इनके जलने की संभावनाएं बेहद कम हो जाती है। ओवरलोड होने पर पावर ट्रांसफार्मर का ऑयल खत्म हो जाता है, जिसे समय पर बदला जाए तो इसके जलने की संभावना कम होती है। साथ ही गर्मी में ओवरलोड होने के समय लोड शिफ्ट किया जाए तो भी पावर ट्रांसफार्मर नहीं जलता है। इसी मरम्मत में अधिकारियों ने लापरवाही बरती है। क्योंकि मरम्मत करेंगे तो ये कम संख्या में जलेंगे। ज्यादा संख्या में जले, इसलिए मरम्मत नहीं करते हैं। जलने के बाद इनको उदयपुर के चीफ इंजीनियर कार्यालय से उदयपुर की ही कंपनियों को भेजा जाता है।
^इस वित्तीय वर्ष में सितंबर तक करीब 12 पावर ट्रांसफार्मर जले थे। इनमें से 10 को रिपेयरिंग के बाद रिप्लेस किया। 2 ट्रांसफार्मर गारंटी में होने से बदले गए हैं। रिपेयरिंग का टेंडर चीफ इंजीनियर कार्यालय उदयपुर से होता है। रिपेयरिंग के लिए किस कंपनी को देना है वो ही तय करते हैं। हमारे हाथ में कुछ नहीं है। -पीएस नायक, कार्यवाहक एसई व एक्सईएन शहर