अब 5244 बेरोजगारों की इंटर्नशिप हाजिरी खंगालेंगे विभागों से डाटा मंगाकर क्रॉस वेरिफिकेशन भी करेंगे

फर्जी हाजिरी पोर्टल पर अपलोड करके 70 लाख रुपए का फर्जीवाड़ा करने का खुलासा होने के बाद अब विभाग सभी 5244 बेरोजगारों की इंटर्नशिप हाजिरी की जांच करेगा। अभी विभाग ने जनवरी 2024 से अब तक 3 हजार से ज्यादा बेरोजगारों की सूची में से रैंडम करीब 500 लोगों की इंटर्नशिप हाजिरी जांची थी। इसमें 138 मामलों में हाजिरी फर्जी मिली थी। अब सभी विभागों से डाटा मंगवाकर क्रॉस वेरीफिकेशन किया जाएगा। जनवरी 2024 से अब तक का पूरा रिकॉर्ड चैक किया जाएगा। विभागीय सूत्रों का मानना है कि फर्जी मामलों की संख्या 300 से भी ज्यादा हो सकती है।
फर्जीवाड़ा करने वाले सभी बेरोजगारों से रिकवरी की जाएगी। गौरतलब है कि ग्रेजुएट युवाओं को अधिकतम 30 वर्ष की उम्र तक और अधिकतम दो साल तक जिला रोजगार कार्यालय के जरिए बेरोजगारी भत्ता दिया जाता है। राज्य सरकार ने वर्ष 2022 से बेरोजगारी भत्ते में बढ़ोत्तरी के साथ ही नियमों में बदलाव किया था। इसमें सामान्य वर्ग पुरुष को 3 हजार के स्थान पर 4 हजार रुपए मासिक और महिला बेरोजगार, दिव्यांग को 3500 रुपए के स्थान पर 4500 रुपए भत्ता कर दिया था। इसके लिए इंटर्नशिप अनिवार्य कर दिया था। मतलब, भत्ता पाने वाले बेरोजगार को जिला रोजगार कार्यालय द्वारा उसकी कार्यक्षमता के अनुरूप विभाग का आवंटन किया जाता है, जिसमें उसे प्रतिदिन 4 घंटे ड्यूटी देकर हाजिरी एक रजिस्टर (कार्ड) भरवाना होता है।
रजिस्टर पर संबंधित विभाग का प्रभारी अधिकारी महीने के अंत में अपने हस्ताक्षर कर इसे सत्यापित करता है। इसके बाद इस हाजिरी रजिस्टर को बेरोजगार को पोर्टल पर अपलोड करना होता है। जिला रोजगार कार्यालय इस हाजिरी को चैक करने के बाद भत्ता अप्रूव करने के साथ इनके बिल बनाकर जिला कोषालय भेजता है। यहां से भत्ता राशि बेरोजगारों के खाते में ऑनलाइन ट्रांसफर होती है। 90 फीसदी सरकारी विभाग कर्मचारियों की कमियों से जूझ रहे हैं। ऐसे में राज्य सरकार ने जहां बेरोजगारों को भत्ता राशि की बढ़ोत्तरी की, वहीं इनसे इंटर्नशिप के जरिए कार्मिकों की पूर्ति का भी रास्ता खोजा था।
अब तक चर्चा बेरोजगारों की फर्जी हाजिरी पर थी, लेकिन असली लापरवाही इंटर्नशिप कराने वाले विभागों की भी है। दरअसल, रोजगार कार्यालय तो हाजिरी रजिस्टर की जांच करता है, लेकिन यह जिम्मेदारी तय नहीं है कि इंटर्नशिप कराने वाले विभाग रोजाना या साप्ताहिक रिपोर्ट दें। यही वजह है कि जिन विभागों में इंटर्नशिप होनी थी, वे भी संलिप्तता के शक में आ गए हैं। जांच के दौरान अब यह भी देखा जाएगा कि क्या विभागीय अधिकारियों ने जानबूझकर हाजिरी सत्यापित की या महज खानापूर्ति की?