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भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष गोविंद सिंह और उनके भाई की ट्रांसपोर्ट पर इनकम टैक्स की कार्रवाई, महंगी गाड़ियां खरीदने के दस्तावेज भी मिले

Banswara
भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष गोविंद सिंह और उनके भाई की ट्रांसपोर्ट पर इनकम टैक्स की कार्रवाई, महंगी गाड़ियां खरीदने के दस्तावेज भी मिले
@HelloBanswara - Banswara -

आईटी टीम को जयपुर शाखा में कुछ ऐसी डायरियां मिली हैं। जिनमें इसमें वित्तीय वर्ष 2018-19 और इसके बाद प्राप्त नकद राशि के साथ किए कुछ खर्च का भी उल्लेख है। टीम को सर्च के दौरान एक नकद रसीद भी मिली है, जो बेनामी परिवहन से होने वाली आय को बता रही है। इस पूरे लेनदेन की गणना अधिकारी कर रहे हैं। इसी तरह कंपनी के मुंबई ऑफिस में वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2024-25 से संबंधित 29 करोड़ की नकद प्राप्ति व खर्च के अलावा मुंबई से उदयपुर भेजी गई राशि के दस्तावेज भी बरामद हुए हैं। आईटी टीम को कंपनी के कार्यालयों से वापी गुजरात की एक फैक्ट्री के दस्तावेज मिले हैं।

आईटी टीम ने वापी पहुंचकर इस फैक्ट्री में छापेमारी की तो यहां स्टाक में भारी गड़बड़ी मिली है। अधिकारी कंपनी के दस्तावेजों की जांच कर इसके मालिक का पता लगाने में जुटे हैं। शक है कि यह कंपनी टीकम सिंह राव व उसके भाई गोविंद सिंह राव की है। जिसमें परचून से संबंधित सामग्री का उत्पादन कर अपने ही ट्रांसपोर्ट से सप्लाई किया जाता है।

बांसवाड़ा भाजपा पूर्व जिलाध्यक्ष गोविंद सिंह राव और उनके बड़े भाई टीकम सिंह राव की उदयपुर गोल्डन ट्रांसपोर्ट एंड लॉजिस्टिक प्राइवेट कंपनी के 23 ठिकानों पर कार्रवाई मंगलवार को पांचवें दिन भी जारी रही। अब कार्रवाई इन ठिकानों से एकत्रित किए दस्तावेजों की जांच को लेकर चल रही है। सभी ठिकानों पर रेड खत्म होने के बाद इनकम टैक्स अधिकारी इसे 137 करोड़ की काली कमाई मानकर चल रहे थे, लेकिन नकद लेनदेन को यदि इसमें शामिल किया जाए तो यह राशि बढ़कर 269 करोड़ पहुंच रही है। कंपनी के उदयपुर ऑफिस से 240 करोड़ और मुंबई ऑफिस में 29 करोड़ रुपए के नकद लेनदेन का हिसाब मिला है, जो संदेह के दायरे में है। कंपनी के ठिकानों से 330 ट्रकों का रिकॉर्ड भी मिला है। यह सभी ट्रक ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों व रिश्तेदारों के नाम पर है। इसके अलावा आईटी टीम ने एक दर्जन लग्जरी वाहनों की जानकारी भी जुटाई है। इनमें बीएमडब्ल्यू, वोल्वो, रेंज रोवर, वेलफायर, लेक्स, ऑडी, पोर्शे, जीप मेरेडियन, डिफेंडर जैसी 14 गाड़ियां शामिल हैं। अधिकारियों ने अब इन गाड़ियों के पंजीयन और खरीद से संबंधित दस्तावेज की पड़ताल करना शुरू कर दिया है। आयकर टीम के हाथ 25 इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स भी लगे हैं। इनकी फोरेंसिक जांच कराई जाएगी।

आयकर विभाग की ओर से छोटी ट्रांसपोर्ट कंपनियों को राहत देने के लिए कानून में 7500 रुपए माह प्रति ट्रक की दर से आयकर जमा कराने की व्यवस्था है। इसके साथ ही ऐसे ट्रांसपोर्टर को लेखा पुस्तिकाओं का रखरखाव नहीं करने की भी छूट मिलती है। आरोपी उदयपुर गोल्डन ट्रांसपोर्ट एंड लॉजिस्टिक प्रा. लि. कंपनी ने इस छूट का गलत उपयोग करते हुए अपने कर्मचारियों के नाम से ट्रक खरीदे। उन्हें अपनी ही कंपनी में काम में लिया। इसी तरह जीएसटी कानून में रिवर्सल चार्ज मैकेनिज्म में दिए जाने वाले लाभ का भी गलत उपयोग किया गया।

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