आधे शटर के नीचे से कचौरी बेचते पकड़ा, थानेदार की कार्रवाई, सीआई और डिप्टी एसपी भी पहुंचे, परिषद से बनवा दिया चालान
संपूर्ण लॉकडाउन में निष्पक्ष कार्रवाई की दुहाई देने वाली पुलिस का मंगलवार को दूसरा चेहरा दिखाई दिया। खुली कचौरी बेच रहे दुकानदार के खिलाफ कार्रवाई की बजाए पुलिस के आलाअधिकारी मामले पर लीपापोती करते दिखे। ताज्जूब भी तब हुआ, जब पुलिस के ही थानेदार (प्रोबेशनरी आरपीएस) ने खुद दुकानदार को शटर के नीचे से कचौरी बेचते पकड़ा। साथ में मौजूद जवानों ने वीडियो भी बनाए। दुकानदार ने भी किसी की नहीं सुनी। एक के बाद एक मोबाइल खनखनाए। बस क्या था? कुछ ही देर में यहां शहर कोतवाल पहुंच गए। इसके कुछ देर बाद बांसवाड़ा के पुलिस उपअधीक्षक गजेंद्रसिंह राव भी पहुंच गए। एकबारगी ऐसा लगा कि दूसरों की तरह यह दुकान भी सीज होगी, लेकिन मौके पर जो भी हुआ वह सब सोच से परे था। यहां जिस स्पीड से पुलिस के वाहन आकर रूके थे। उसी अंदाज में लौटते भी नजर आए। पहले डिप्टी एसपी और फिर थानेदार यहां से लौटे। वहीं शहर कोतवाल दुकानदार को सांत्वना देने के साथ ही नगर पालिका के सैनेट्री इंस्पेक्टर के आने का इंतजार करते दिखे। बाद में यही कोतवाल मौजूद दुकानदार के साथ सैनेट्री इंस्पेक्टर को धीरे से समझाकर चालान की औपचकारिकताएं पूरी करने की बात कहते हुए दिखे। दरअसल, मामला पुराने बस स्टैंड क्षेत्र के एक नामी मिष्ठान भंडार का है। एक शिकायत पर थानेदार जेठूसिंह ने जवानों के साथ यहां दबिश दी। तभी दुकानदार ने दो लोगों को कचौरी बेची। साथ में मौजूद पुलिस जवानों ने सुबह करीब 11.05 बजे इसका वीडियो भी बनाया। नए थानेदार ने रौब दिखाया और दुकानदार को कार्रवाई के लिए चलने को कहा। लेकिन, खुद को पुलिस से घिरा देख मिष्ठान भंडार के संचालक ने मोबाइल से घंटियां बजाई। कुछ ही देर में यानी 11.22 मिनट पर यहां सीआई मोतीराम सारण पहुंच गए। कुछ कहते सुनते इससे पहले डिप्टी गजेंद्रसिंह राव भी आ गए। उन्होंने आते ही सारा मामला पूछा। कुल दो मिनट मौके पर रूके। बाद में कोतवाल को चालान बनवाने का बोल कर निकल लिए। जाते समय थानेदार जेठूसिंह को भी कंट्रोलरूम आने का कह गए। करीब तीन मिनट में दोनों वाहन निकल गए। बचे कोतवाल तो वह दुकानदार से बातें करते रहे। बाद में नगर परिषद से पहुंचे सैनेट्री इंस्पेक्टर को कोतवाल कार्रवाई के तरीके बताते दिखे।
बोले...पुलिस मांगेगी तो कचौरी नहीं देंगे
खास वाक्या तो तब देखने को मिला, जब शहर कोतवाल की मौजूदगी में दुकानदार जोर से कहता दिखा कि अभी पुलिस ही कचौरी मांगे तो देंगे नहीं क्या? देनी ही पड़ेगी। ऐसी ही बातें यहां समीप के दुकानदारों के भी हौंसले बढ़ाते हुए दिखाई दिए। ऐसे में वहां मौजूद कुछ लोगों ने पुलिस की पक्षपातपूर्ण कार्यवाई को लेकर सवाल खड़े किए। खास यह भी रहा कि मिष्ठान भंडार संचालक मौके पर जोधपुर निवासी शहर कोतवाल से मारवाड़ी में संवाद करता रहा।
ऑर्डर पर पैकिंग
इधर, लोगों के बीच दुकानदार बार-बार कहते हुए दिखा कि वह ऑर्डर पर पैकिंग माल घर भेजते हैं। पुलिस के सामने भी वह होम डिलीवरी की बात दोहराता रहा। लेकिन, सच तो यह है कि इस दुकान से आज के पहले कभी भी होम डिलीवरी जैसी कोई जानकारी किसी को भी नहीं है। वहीं पुलिस के सामने एक बंदा तो दुकान के ठीक सामने बैठकर कचौरी खाता रहा। खरीदार को सामान्य दिनों की तरह कचौरी अखबार में लपेटकर दी गई।
हमेशा ऐसी कार्रवाई
बात अगर, संपूर्ण लॉकडाउन की पालना में सजग प्रशासन और पुलिस की करें तो यहां शहर में अब तक करीब एक सौ अधिक दुकानों को सीज किया जा चुका है। मुखबिरी पर पहुंचने वाली पुलिस यहां किसी दुकानदार की एक नहीं सुनती। सफाई देने वाले को ज्यादा परेशान किया जाता है। लेकिन, यह शायद पहला मामला होगा, जब पुलिस के बड़े-बड़े आलाधिकारी आए और बहुत सालीनता से दुकानदार से पेश आए और बिना ठोस कार्रवाई, दुकान सीज किए बिना लौट गए। गौरतलब है कि इससे पहले पुलिस ने कुछ दुकानदारों से ऐसे मामलों में 72 घंटे के लिए दुकान ही नहीं सीज की। चालान बनाकर 25 हजार तक जुर्माना भी वसूला। पुलिस में एफआईआर भी दर्ज कराई।
यह बोले कोतवाल
शहर कोतवाल सारण ने बताया कि मिष्ठान भंडार की ओर से होम डिलीवरी हो रही है। वह होम डिलवरी में ही व्यस्त थे। तभी कुछ ग्राहकों ने आकर बहुत ज्यादा निवेदन किया, जिन्हें दुकान संचालक ने कचौरी पकड़ा दी। इसलिए नगर परिषद से कर्मचारी को बुलवाकर चालान की कार्रवाई की है।