138 बेरोजगारों ने पोर्टल पर फर्जी हाजिरी बताकर बिना इंटर्नशिप 1 साल में 70 लाख भत्ता उठाया, रिकवरी होगी

िवश्वजीत गोले
सरकारी नौकरी नहीं मिली तो बेरोजगारों ने सरकारी स्कीम को ही कमाई का जरिया बना लिया। राज्य सरकार की ओर से बेरोजगारों को दिए जा रहे भत्ते में जिले में जनवरी 2024 से जनवरी 2025 के बीच 138 बेरोजगारों (73 महिला और 65 पुरुष) ने 70.62 लाख रुपए इंटर्नशिप की फर्जी हाजिरी देकर उठा लिए।
अभी जिला रोजगार कार्यालय से 5244 बेरोजगारों को भत्ता दिया जा रहा है। इनमें से करीब 3 हजार बेरोजगारों की जांच हो चुकी है, 2 हजार की जांच बाकी है। अधिकारियों के अनुसार भत्ता लेने वाले बेरोजगारों ने जिस विभाग से इंटर्नशिप की, वहां गए बिना ही हर माह हाजिरी रजिस्टर की फोटो पोर्टल पर अपलोड कर दी। हाजिरी रजिस्टर के ऑनलाइन वेरीफिकेशन में गड़बड़ी मिली तो टीम ने अलग-अलग विभागों में जाकर आकस्मिक जांच की। टीम को मौके पर न हाजिरी रजिस्टर मिला न बेरोजगार। इससे सामने आया कि बेरोजगारों की ओर से पोर्टल पर फर्जी हाजिरी अपलोड कर विभाग को इंटर्नशिप करना बताते हुए भत्ता उठाया जा रहा था।
जिला रोजगार अधिकारी खेताराम मेघवाल ने बताया कि गड़बड़ी पकड़ में आते ही विभाग ने तत्काल इनका भत्ता रोकते हुए जांच शुरू कर दी। गड़बड़ी की अनुमानित राशि 70 लाख 62 हजार रुपए है। इनमें 73 महिला बेरोजगारों ने 39.42 लाख और 65 पुरुष बेरोजगारों ने 31.20 लाख रुपए फर्जी तरीके से भत्ते के नाम से उठा लिए। अब विभाग ने इनसे रिकवरी की तैयारी शुरू कर दी है। इस फर्जीवाड़े ने सरकारी योजनाओं की निगरानी और पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिला रोजगार कार्यालय के अधिकारियों की ओर से भत्ता प्राप्त करने वालों की हाजिरी का हर माह ऑनलाइन सत्यापन किया जाता है, लेकिन इस फर्जीवाड़े ने इस दावे की पोल खोल दी है। यानी निगरानी की कमी से योजना में गलत तरह से फायदा ले सकते हैं। बेरोजगार युवाओं की ओर से जिस विभाग में इंटर्नशिप की जा रही है, वहां हाजिरी रजिस्टर पर संबंधित विभाग के अधिकारी के साइन कराने के बाद इसकी फोटो पोर्टल पर अपलोड की जाती है। शुरू के एक दो माह तक तो ऑरिजनल रजिस्टर की फोटो अपलोड करते रहे। बाद में इन्हीं फोटो में कांट-छांट कर महीने का नाम बदलकर पोर्टल पर अपलोड कर भत्ता उठाते रहे। जिला रोजगार कार्यालय के कर्मचारियों को जब हर महीने एक तारीख पर एक ही वार मिला तो शक हुआ। जांच की तो ये फर्जी पाए गए। ऐसे सभी बेरोजगारों की ओर से अपलोड हाजिरी का डाटा एकत्रित किया गया। इसके बाद संबंधित विभाग में आकस्मिक जांच की गई तो गड़बड़ी का खुलासा हुआ।
राज्य सरकार की ओर से ग्रेजुएशन कर चुके युवक-युवती को दो साल तक बेरोजगारी भत्ता दिया जाता है। वर्ष 2021 तक सामान्य वर्ग के युवक को 3 हजार और महिला व दिव्यांग को 35 रुपए मासिक दिए जाते थे। वर्ष 2022 में राज्य सरकार ने भत्ता राशि में 1-1 हजार रुपए की बढ़ोत्तरी की। पुरुष को 4 हजार और महिला को 4500 रुपए प्रतिमाह भत्ता दिया जाता है। शर्त है कि इंटर्नशिप के तौर पर प्रतिदिन 4-4 घंटा जिला रोजगार कार्यालय की ओर से बताए विभाग के कार्यालय में ड्यूटी देनी होगी। यहां से प्राप्त हाजिरी रजिस्टर की फोटो पोर्टल पर अपलोड करने के बाद ही भत्ता मिलेगा। वर्ष 2021-22 तक बेरोजगारी भत्ता पाने के लिए किसी भी प्रकार की इंटर्नशिप करने का नियम नहीं था।
वर्ष 2022-23 में राज्य सरकार ने बेरोजगारी भत्ता बढ़ाते हुए इंटर्नशिप अनिवार्य कर दी। विभाग के आंकड़ों के अनुसार शुरुआती वर्ष 2022-23 में 1772 बेरोजगारों का इंटर्नशिप की सहमति न देने पर भत्ता बंद किया था। इसके अगले वर्ष 2023-24 में इंटर्नशिप की हाजिरी में गड़बड़ी के 225 केस सामने आए थे। एक तरह से यह फर्जीवाड़े की शुरुआत थी। विभाग ने उस समय सीधेतौर पर कोई कार्रवाई न करते हुए सिर्फ इनका भत्ता रोका था। अधिकारियों का तर्क है कि जांच में जैसे-जैसे हाजिरी में गड़बड़ी मिलती गई, भत्ता रोकते गए।
