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2 हजार से 2400 करोड़ तक पहुंचा दिया टेंडर: सरकारी से 35 प्रतिशत ज्यादा रेट, निरस्त करना पड़ा

Banswara
2 हजार से 2400 करोड़ तक पहुंचा दिया टेंडर: सरकारी से 35 प्रतिशत ज्यादा रेट, निरस्त करना पड़ा
@HelloBanswara - Banswara -

विजयपाल डूडी | बांसवाड़ा जिले में जल जीवन मिशन के तहत कनेक्शन देने में जलदाय विभाग फिसड्डी तो साबित हो ही रहा है, साथ ही इसके टेंडर में भी बड़ा खेल हो रहा है। योजना के चार साल पूरे होने के बाद भी महज 14 प्रतिशत ही काम हो पाया है। यानी पूरे प्रदेश में नल कनेक्शन देने में बांसवाड़ा आखिरी पायदान पर चल रहा है। इसके अलावा प्रोजेक्ट में जहां 4 टेंडर की अनुमानित राशि करीब 2000 करोड़ थी, अधिकारियों ने बड़े लोट निकाले, जिससे केवल बड़ी फर्में ही भाग ले पाई और छोटी फर्में बाहर गई है। जिसके चलते यह टेंडर 2400 करोड़ के पार चले गए हैं। यानी 400 करोड़ से ज्यादा टेंडर की रेट गई। हर टेंडर में 20 से लेकर 35% बीएसआर रेट भरी गई।। ऐसे में अब चारों टेंडर फाइनेंस विभाग की कमेटी ने निरस्त कर दिए हैं। इन चार टेंडर के जरिए ही जिले के करीब 2.50 लाख घरों में नल कनेक्शन होना है। प्रोजेक्ट में बड़े ठेकेदारों ने रेट बढ़ा दी और अधिकारियों ने भी फायदा देने के लिए बड़े लोट निकाले। दूसरी तरफ रेगुलर विंग ने छोटे लोट में टेंडर किए, जिससे 18 टेंडर करीब 8 करोड़ तक पहुंचे, यानी बीएसआर रेट 10 प्रतिशत माइनस में गई। इसकी वजह से जिले में केवल 14.48 प्रतिशत ही काम हो पाया है। साल 2024 तक 3 लाख 81 हजार 108 कनेक्शन देने का लक्ष्य है, लेकिन अभी तक केवल 55 हजार 193 कनेक्शन ही हो पाए हैं। सवाल उठ रहा है कि आखिर टारगेट कैसे पूरा होगा। साथ ही लापरवाही करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होना भी सवाल खड़े कर रहा है।

ऐसे किया फर्जीवाड़ा... रेगुलर में 10% कम पर, प्रोजेक्ट में 35% हाई गया टेंडर

खास बात यह है कि जलदाय विभाग की रेगुलर विंग ने टुकड़ों में टेंडर किया। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ गई और कई कंपनियों ने भाग लिया। ऐसे में बीएसआर 10% माइनस में आई। इससे 18 टेंडर करीब 7 करोड़ तक हो गए, जिसमें 20 लाख रुपए से लेकर 80 लाख तक के टेंडर हुए। ये काम भी समय पर पूरे हुए। दूसरी तरफ प्रोजेक्ट के अधिकारियों ने बड़ी फर्मों को फायदा देने के लिए बड़े लोट निकाले, जिसकी वजह से बीएसआर रेट 35% अधिक गई।

प्रोजेक्ट में बड़े और रेगुलर विंग ने छोटे लोट निकाले

प्रोजेक्ट के चार टेंडर - 650 करोड़, 211 करोड़, 712 करोड़ और 430 करोड़
रेगुलर विंग ने - 20 करोड़, 50 करोड़, 30 करोड़, 80 करोड़ सहित अन्य टेंडर निकाले

ठेकेदारों को मिल रही है राहत

ठेकेदारों के लिए राहत की खबर यह है कि विभाग में क्वालिटी कंट्रोल व विजिलेंस चैकिंग की सही व्यवस्था नहीं है, जिसका फायदा ठेकेदारों को मिल रहा है। क्योंकि इसकी वजह से न तो जांच हो रही है और न ही कोई कार्रवाई। मौके पर सैंपल लेने में क्वालिटी कंट्रोल विंग को कई सप्ताह लग जाते हैं और शिकायतों पर विजिलेंस विंग सख्त कार्रवाई नहीं कर पाती है। अधिकांश कस्बों व गांवों में पहले से पाइपलाइन डाली हुई है, ठेकेदार व इंजीनियर अपनी माप पुस्तिका में गड़बड़ कर पूरी पाइपलाइन नई दिखा रहे हैं। स्कीम में एचडीपीई पाइप डालने हैं, लेकिन दूसरे डाले जा रहे हैं।

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