विस्थापित बोले- हमारी जमीनें अधिग्रहण कर जहां भेजा, वहां पहले से लोग रह रहे, हम कहां जाए?
बांसवाड़ा/चिड़ियावासा बांसवाड़ा जिला जंगल के नाम से मशहूर है लेकिन यहां एक जंगल ऐसा भी है, जहां इंसानों का बसेरा है। वन क्षेत्र में वन्य जीव आपको भूले से कहीं दिखाई नहीं दे लेकिन इंसानों की मौजूदगी हर 10-20 कदम पर मिलेगी। ड्रोन की इस तस्वीर में यह दिख रहा है कि जंगल में किस कदर इंसानी बस्ती बसा ली गई है।
यह फोटो घाटोल रेंज के कुहानिया और वनाला से सटे जंगल का है। यहां नहर के किनारे जंगल में करीब 150 परिवारों ने झोपड़े बनाकर बसेरा बना लिया। इंसानों की मौजूदगी के सबूत यहां जगह-जगह पेड़ों के ठूंठ से भी मिल जाते हैं। बस्ती के नजदीक के वन क्षेत्र में 100 से भी ज्यादा ठूंठ हैं। कभी पैंथर का गढ़ रहे इंसानी दखल इतना बढ़ चुका है कि अब पैंथर तो दूर अन्य वन्य जीव भी बेहद कम दिखाई देते हैं।
20 हैक्टेयर में फैले जंगल में वन विभाग के अनुसार करीब 8 हैक्टेयर पर कब्जा है। दरअसल, वर्ष 2011 में कुछ विस्थापित आकर रहने लगे और इस उम्मीद के साथ धीरे-धीरे बढ़ते गए कि वन अधिकार पत्र (पट्टे) मिल जाएंगे। अब इन्होंने खेती भी शुरू कर दी । जंगल में 4 से 5 पैंथर का बसेरा था। ये जगमेर जोगीमाल पहाड़ी की तरफ पलायन कर चुके हैं। रात में कभी-कभी यहां भी नजर आते हैं। इसलिए लोगों की सुरक्षा भी चिंता का विषय है।
जंगल के बीच में एक साथ 25 झोपड़ियां। ड्रोन फोटो : कपिल शर्मा पांचलवासा डूब क्षेत्र से अंदर काबिज बीएड धारी युवा सुंदरलाल ने बताया कि हमें डूब क्षेत्र के नाम पर प्रशासन कभी लोहारिया क्षेत्र तो कभी गढ़ी और कभी अरथूना क्षेत्र में जमीन आवंटित होने की बात कहता है। जबकि उस क्षेत्र में जहां हमें जमीन आवंटित करना बताया जा रहा है वहां पर पहले से ही स्थानीय लोग रह रहे हैं। इसलिए हमारे पास रहने के लिए अब कोई जमीन नहीं है।
सरकार और प्रशासन हमें कहीं पर भी पहले जमीन दिलवाए। हम भी जंगल में नहीं रहना चाहते लेकिन अभी कहां जाए? वर्तमान जंगल में जंगली जानवरों का खतरा, डर और भय के साथ बच्चों और बुजुर्गों के साथ मजबूरी में रह रहे हैं। वन क्षेत्र होने से यहां न सड़क है और न यातायात के साधन। रोजगार के लिए भी रोजाना 10 किमी पैदल चलकर मुख्य सड़क तक पहुंचते हैं। शहर में मजदूरी कर घर चला रहे हैं। हमें वनहक पत्र भी नहीं मिल पाए हैं।
कुहानिया ग्राम पंचायत के सरपंच मोहनलाल निनामा ने बताया कि जंगल में काबिज लोगों को हक दिलाने को लेकर कई बार वन विभाग के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया है। वनाला क्षेत्र के पूर्व सरपंच जितेंद्र चरपोटा ने बताया कि पांचलवासा डूब क्षेत्र के लोगों को कुहानिया- घाटोल रेंज की सीमा पर अगर पट्टे मिलते हैं तो हमें कोई आपत्ति नहीं है। उप वन संरक्षक अभिषेक शर्मा ने बताया कि वन क्षेत्र में कब्जे की जानकारी लेंगे कि वहां कितना वन क्षेत्र है। लोग कितने समय से और क्यों काबिज है। इसका पता करने के बाद आगे नियमानुसार उचित कदम उठाएंगे।