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886 साल पहले अरथूना में नागर शैली में बनाया था हनुमान मंदिर

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886 साल पहले अरथूना में नागर शैली में बनाया था हनुमान मंदिर
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    कंटेंट-मुकेश पाटीदार, फोटो : अब्दुल कमाल

    अरथूना. प्राचीन शिलालेख और इतिहास के अनुसार 11-12वीं शताब्दी में वागड़ पर परमार वंश का शासन था। उन्हीं के समय अरथूना अर्थात प्राचीन उत्थुनक में 1108 ईसवी में हनुमान गढ़ी नाम से प्रमुख मंदिर बनवाया था। परमार शासकों ने सूर्य कुंड, नीलकंठ महादेव मंदिर, मंडलेश्वर मंदिर, चौसठ योगिनी, सोमेश्वर, कुंभेश्वर, जैन मंदिर समूह, खंडाडेरा शिव मंदिर भी बनवाए। मंडलेश्वर मंदिर पर लगे एक शिलालेख से पता चलता है कि परमार शासक चामुंडराज ने 1079 ईसवी यानी 1136 विक्रम संवत में अपने पिता की स्मृति में मंडलेश्वर नामक शिव मंदिर बनवाया था। मंदिर के सेवक सुभाष सेवक ने बताया कि 886 साल पहले 1136 में शिव भक्त राजा ने हनुमान मंदिर में भगवान बजरंगबली की मूर्ति प्रतिष्ठापित की थी। आदिवासी समाजजन फसल पकते ही पहले हनुमानजी को चढ़ाते हैं, उसके बाद उपयोग में लेते हैं। भूगाेल के सेवानिवृत्त प्राध्यापक रूपलाल उपाध्याय मोटी बस्सी ने बताया कि इस क्षेत्र में सभी मंदिर मध्यकालीन संस्कृति की नागरशैली में बने हैं।

    जन्मोत्सव पर आज 5 बजे से दर्शन, दिनभर सुंदरकांड पाठ
    हनुमान जन्मोत्सव पर अरथूना हनुमान मंदिर में सुबह 5 बजे से ही भक्त पूजा अर्चना और दर्शन के लिए आने शुरू हो जाएंगे। दिनभर सुंदरकांड पाठ किया जाएगा। शनिवार को मूर्ति का विशेष वागा किया जाता है।



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