Home News Business

14 साल में पहली बार नहीं उतरा माही का पानी चारणेश्वर के दर्शन करने नावों से पहुंचे भक्त

Banswara
14 साल में पहली बार नहीं उतरा माही का पानी चारणेश्वर के दर्शन करने नावों से पहुंचे भक्त
@HelloBanswara - Banswara -

बांसवाड़ा. अांबापुरा के खांदू गांव में स्थित 400 साल पुराना चारणेश्वर महादेव मंदिर 14 साल बाद इस बार टापु बना रहा। नाव में बैठकर भक्त उनके दर्शन और पूजा के लिए पहुंचे।

हर साल शिवरात्रि से पहले पानी उतरने से खुलता है रास्ता, इस बार नहीं खुला, इससे पहले 2006 में अतिवृष्टि के कारण नहीं खुला था, माही बांध बनने के कारण 1984 से डूब क्षेत्र में है खांदू गांव

शहर से 25 किमी दूर आंबापुरा क्षेत्र में ही पानी में डूबा खांदू गांव। जो माही बांध बनने के कारण पूरी तरह से डूब गया है। लेकिन वहां स्थित चारणेश्वर महादेव मंदिर के लिए लोगों की आस्था आज भी है। हर साल वहां शिवरात्रि पर मेला भरता है और माही का पानी उतर जाने के कारण वहां तक जाने का रास्ता भी निकल जाता है। लेकिन 14 सालों के बाद इस बार ऐसा मौका आया कि माही का पानी मंदिर से नहीं उतरा। मंदिर शिवरात्रि पर भी टापू ही बना रहा। इससे पहले 2006 में अतिवृष्टि होने के कारण यहां शिवरात्रि पर मंदिर तक जाने का रास्ता नहीं बना था। तब नावों के जरिए भक्तों को दर्शन कराए गए थे। इस बार भी वैसा ही हुआ। क्योंकि इस मंदिर में शिवरात्रि पर न केवल बांसवाड़ा के बल्कि मध्यप्रदेश के बाजना, सैलाना और रतलाम के लोग भी दर्शन के लिए आते हैं। यहां हर शिवरात्रि पर मेला भरता है। लेकिन इस बार पानी कम नहीं होने के कारण मंदिर पानी में डूबा हुआ था। इसलिए इस बार भक्तों के लिए भोले के दर्शन कर पाना मुश्किल ही था।

मंदिर में सेवा करने वाले युवक हरीश बामनिया ने बताया कि पानी कम नहीं होने के कारण आसपास की तीन पंचायतों के ग्रामीणों ने शिवभक्तों को शिवरात्रि पर दर्शन कराने के लिए एक बैठक रखी। सरपंच के पास गए और नावों की व्यवस्था की। 18 फरवरी को मंदिर की सफाई शुरू की। क्योंकि पानी में डूबने के कारण हर साल मंदिर में काफी मिट्‌टी जम जाती है। इसके बाद 20 फरवरी को मंदिर में रंगरोगन किया गया। क्योंकि मंदिर में बिजली की कोई व्यवस्था नहीं है, इसलिए ग्रामीणों की ओर से यहां पर कैंडल जलाए गए। हरीश ने बताया कि यहां पर पानी करीब चार फीट तक है। लेकिन उसे पैदल इसलिए पार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि पानी के अंदर कई कुएं बने हुए हैं, जो काफी गहरे हैं। ऐसे में यदि कोई उसमें गिर जाए तो हादसे का भय बना रहता है।

खासियत : करीब 400 साल पुराना मंदिर। चुना, ईंट अाैर पत्थरों की मदद से बना मंदिर साल में 8 माह पानी में ही डूबा रहता है, लेकिन हर वर्ष महाशिवरात्रि से पहले यहां का पानी उतर जाता है। े शिवलिंग की खासियत यह है कि साल में अाठ माह पानी में डूबे रहने के बावजूद इसका क्षरण नहीं हाेता है। इस विशेष ग्रेनाइट के पत्थर से बनाई गई है, जबकि शिवलिंग काले पत्थर से बनाया गया है।

 

By दीपेश मेहता/नितेश भावसार | बाँसवाड़ा

FunFestival2024
शेयर करे

More news

Search
×