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राजराजेश्वर मंदिर परिसर के सभी मंदिराें का सीमांकन, सार्वजनिक उपयाेग की मांग

Banswara
राजराजेश्वर मंदिर परिसर के सभी मंदिराें का सीमांकन, सार्वजनिक उपयाेग की मांग
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शहर के चर्चित राजराजेश्वर मंदिर विवाद काे लेकर राजेश्वर सेवा समिति के बैनर तले राज्यपाल के नाम ज्ञापन साैंपा गया। जिसमें मांग रखी गई है कि राजराजेश्वर मंदिर परिसर में स्थित सभी मंदिराें अाैर उसकी भूमी का सीमांकन किया जाए और मंदिराें तक आवागमन के रास्ताें और सार्वजनिक उपयाेग के चाैक का सीमांकन करने के आदेश जारी किए जाएं। गाेपीराम अग्रवाल और उनके परिवार के सदस्याें का माैके पर से एकाधिपत्य हटाकर पुलिस की सहायता से व्यवस्था कराने की मांग रखी गई है। ज्ञापन में बताया कि राजराजेश्वर परिसर बांसवाड़ा स्टेट के समय का है।

जिसमें राजराजेश्वर मंदिर, गुप्तेश्वर मंदिर, धुलेश्वर मंदिर, भाैरवजीमंदिर और उसके आगे की खुली जमीन और अन्य छाेटे बड़े करीब 52 मंदिर विद्यमान हैं। यह प्राेपर्टी तत्कालीन महारावल चंद्रवीरसिंह की निजी संपत्ति थी। उन्हाेंने जायदाद बेटे भवानीप्रतापसिंह और नरहरि प्रतापसिंह काे दान में दी थी। उन्हाेंने जायदाद काे शंकरलाल अग्रवाल, गाेपीराम अग्रवालन और अग्रवाल परिवार के सदस्याें काे 9 अलग अलग विक्रय पत्राें के जरिए दिया था। जागीर समाप्त हाेने के बाद मंदिराें काे देवस्थान विभाग के नियंत्रण में लिया गया है। ये सभी मंदिर विक्रय नहीं किए गए हैं। विक्रय पत्र में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि जाे भी मंदिर हैं अाम जनता काे आवागमन का अधिकार रहेगा। अग्रवाल परिवार काे इसमें बाधा डालने का अधिकार नहीं रहेगा।

काेर्ट के आदेशाें की नहीं हाे रही पालना : ज्ञापन में बताया कि वर्तमान परिस्थितियाें में हाईकाेर्ट में एक याचिका लंबित है। काेर्ट द्वारा अंतरिम अादेश पारित किए गए हैं लेकिन इसकी पालना नहीं हाे रही। पूरे राजराजेश्वर परिसर पर गाेपीराम अग्रवाल और उसके परिवार के सदस्याें द्वारा अतिक्रमण किया हुआ है। देवस्थान विभाग भी किसी प्रकार की कार्रवाई करने में सक्षम नहीं दिखा रहा। ऐसे में मांग की गई है कि विक्रय पत्राें के साथ संलग्न नक्शों के अनुसार परिसर की सार्वजनिक जायदाद का सीमांकन कर उसे आम लाेगाें के लिए खाेला जाए। इस दाैरान पूर्व राज्यमंत्री भवानी जाेशी, प्रेमकांत मेहता, महावीर बाेहरा, जयपालसिंह डाबी, मुकेश नायक, मांगीलाल हरिजन अादि माैजूद थे।

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