हर मिनट 500 लीटर ऑक्सीजन उत्पादन का नया प्लांट लगेगा, चारों से बनेगी 1020 लीटर
एमजी अस्पताल में सीएसआर मद से 500 लीटर प्रति मिनट ऑकसीजन उत्पादन का नया प्लांट बनेगा। कोशिश है कि काेराेना की काेई भी लहर क्याें ना आ जाए, लेकिन किसी भी मरीज की माैत ऑक्सीजन की कमी के कारण नहीं हाे। करीब महीने पर चली काेराेना की दूसरी लहर सरकार-प्रशासन और चिकित्सा विभाग काे यह सबक ताे दे गई। इसी सबक के कारण जिले में प्रशासन और चिकित्सा विभाग ने तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए तैयारियां शुरू कर दी हैं।
दूसरी लहर में मरीजों में ऑक्सीजन की कमी ज्यादा देखने काे मिली, जिस कारण हर परिजन सिलेंडरों के लिए भागा-भागा फिर रहा था, लेकिन अब ऐसी नोबत नहीं आएगी, क्योंकि अभी जिले में 500 से 600 सिलेंडर का स्टाॅक है और अगले एक माह में ऑक्सीजन उत्पादन की क्षमता चारों प्लांट को मिलाकर भी एक हजार लीटर प्रति मिनट हो जाएगी। अभी अस्पताल में 160 लीटर ऑक्सीजन उत्पादन का प्लांट चल रहा है। 160 व 200 लीटर प्रति मिनट उत्पादन दो प्लांट निमार्णाधीन हैं।
काेविड के लिए 1 करोड़ रुपए मिले लेकिन सहयोग भामाशाहाें से लेंगे
{कलेक्टर ने बताया कि जिले में काेविड काे लेकर सरकार से 1 कराेड़ रुपए की राशि प्राप्त हुई थी। इसमें ऑक्सीजन सिलेंडर की रिफिलिंग और ट्रांसपाेर्टेशन पर 5 से 8 लाख रुपए खर्च हुए हैं। बजट की उपलब्धता है, लेकिन काेशिश सीएसआर और भामाशाहाें से ही संसाधनाें काे जुटाने की की जा रही है। जिला अस्पताल में 15 रेडिएंट वार्मर हंै, ऊपर से 30 वार्मर की खरीदी के आदेश प्राप्त हुए हैं, जिसके लिए मयूर मिल, एनपीसीआईएल और डीएमएफटी के फंड का उपयाेग किया जा रहा है।
ब्लाॅक स्तर पर बन रहे हैं बच्चाें के लिए चाइल्ड केयर सेंटर, 5-5 बेड रिजर्व किए
{जिले में 8 शिशु राेग विशेषज्ञ हैं। जिसमें 4 जिला अस्पताल में और एक परतापुर, एक बागीदाैरा और दाे कुशलगढ़ में। ऐसे में काेविड केयर सेंटर की तरह ब्लाॅक हाॅस्पिटल में भी चाइल्ड केयर सेंटर तैयार कराए जा रहे हैं। हर जगह 5-5 बेड बच्चाें के लिए रिजर्व रहेंगे। जिला अस्पताल में 30 बेड क्रिटिकल केस के लिए रिजर्व रहेंगे। 0 से 1 साल के बच्चाें एनएनसीयू की क्षमता 20 बेड की और 1 से 12 साल तक के बच्चाें पीआईसीयू यानि पिडियाट्रिक आईसीयू में 10 बेड की क्षमता हाेगी। वहीं 12 से 18 साल के बच्चाें को व्यस्क वार्ड में भर्ती किया जाएगा।
बच्चाें के मास्क मिलने में दिक्कत, इसलिए दूसरे राज्य से खरीदेंगेे
{तीसरी लहर में प्रिकाेशन के ताैर पर बच्चाें के लिए मास्क की डिमांड बढ़ गई है। ऐसे में बाजार में इसकी उपलब्धता भी कम हाे गई है। अमूमन सभी जिलाें में प्रशासन बच्चाें के मास्क लेकर चिंतित नजर आ रहा है। लेकिन सूत्राें से मिली जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन और चिकित्सा विभाग मास्क के लिए साेर्सेज जुटाने में लग गया है। इसमें आसानी से मास्क उपलब्ध हाेने के आसार जताए जा रहे हैं। जिला अस्पताल में 10 से 12 साल के बच्चाें के लिए ताे मास्क उपलब्ध हैं।
तीसरी लहर से पहले उससे निपटने की तैयारी में जुटा प्रशासन-चिकित्सा विभाग
{कलेक्टर सिंह ने बताया कि पहले शुरुआत में जिला अस्पताल में शुरुआत में केवल एक ही प्लांट संचालित था, जिसकी उत्पादन क्षमता 160 लीटर प्रति मिनट थी, लेकिन काेविड की दूसरी लहर में स्थितियां ऐसी बनी की प्राेडक्शन कम पड़ने लगा, ऐसे में सिलेंडरों का सहारा लेना पड़ा। वहां भी केवल स्टाॅक में 100 सिलेंडर ही थे। लेकिन अब 500 से 550 सिलेंडरों का स्टाॅक हाे चुका है। वहीं प्लांट की बात करें ताे अब नए प्लांट लगने से उत्पादन भी बढ़ेगा। अभी 3 प्लांट हैं, एक एमजी अस्पताल का, दूसरा निजी कंपनी और तीसरा राज्य सरकार का, जिनकी उत्पादन क्षमता 160, 160 और 200 लीटर प्रति मिनट है। इसके अलावा एक प्लांट पाइपलाइन में चल रहा है, जाे सीएसआर से लगाया जाएगा। वाे सबसे बड़ा प्लांट हाेगा, जिसकी क्षमता 500 लीटर प्रति मिनट के करीब हाेगी।