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पीडब्ल्यूडी की 2 रिपोर्ट में खुलासा, टीएडी विभाग में फर्नीचर घोटाले में कमेटी ही दोषी, राजभवन से कार्रवाई के आदेश, फिर भी बचा रहे

Banswara
पीडब्ल्यूडी की 2 रिपोर्ट में खुलासा, टीएडी विभाग में फर्नीचर घोटाले में कमेटी ही दोषी, राजभवन से कार्रवाई के आदेश, फिर भी बचा रहे
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विजयपाल डूडी

टीएडी विभाग में फर्नीचर टेंडर घोटाले की जांच में भी यह तय हो गया है कि सामग्री खरीद में अनियमितता बरती गई थी। जनजाति विभाग द्वारा सार्वजनिक निर्माण विभाग से करवाई गई 2 अलग-अलग जांचों में सामग्री की गुणवत्ता निर्धारित मापदंडों से घटिया पाई गई। टेंडर सहित पूरी प्रक्रिया की जिम्मेदारी 6 सदस्यीय कमेटी के पास थी, जिसका गठन निदेशक ने किया था। हैरानी की बात तो यह है कि राज्यपाल ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए दोषियों पर एक्शन के लिए विभाग के प्रशासन सचिव को पत्र भी लिखा, लेकिन उसमें भी विभाग पर्दा डालने में जुटा है।

दरअसल, जनजाति विभाग के हॉस्टलों में फर्नीचर सप्लाई के लिए जनजाति विभाग की कार्यकारी एजेंसी स्वच्छ परियोजना के जरिए 10 करोड़ रुपए का टेंडर हुआ। इस टेंडर के लिए जारी बोली सूचना में 4 आइटम डायनिंग टेबल-कुर्सी, फ्लंग, गीजर व क्लास रूम टेबल कुर्सी के लिए निविदा आमंत्रित की गई, लेकिन अधिकारियों द्वारा जेम पोर्टल पर जारी निविदा में गीजर को नियमविरुद्ध टेंडर से ही हटा दिया। अन्य आइटमों की खरीद भी विभाग द्वारा अनुमानित दरों से अधिक दरों पर की गई। जिसमें डायनिंग टेबल व स्टूल अनुमानित दर से 69 फीसदी अधिक रेट पर ऐसी फर्म को टेंडर दे दिया जो कि स्टील फर्नीचर की मैन्युफेक्चरिंग करती ही नहीं है। साथ ही फर्म ने अलग-अलग जगहों से घटिया माल उठाकर सप्लाई कर दिया। इतना ही नहीं फर्म ने 15 दिन में सामग्री आपूर्ति करना बताकर 9.61 करोड रुपए के बिल का भुगतान भी पेश कर इसिर। विभाग के अधिकारियों ने भी सामग्री की गुणवत्ता रिपोर्ट प्राप्त किए बिना फर्म को करीब 95% भुगतान भी कर दिया ।

ऐसे किया हेरफेर... विभाग ने 10 करोड़ से 4 प्रकार की सामग्री खरीदने के लिए स्वच्छ परियोजना को सोंपा था जिम्मा, टेंडर से गायब कर दिया गीजर, बाकी सामग्री ज्यादा दरों पर खरीदकर संख्या कम की

इस फटी प्रक्रिया में जिम्मेदारों की बात करें तो स्वच्छ फरियोजना के तत्कालीन निदेशक 1. वृद्धिच॑द्र जर्ग ने कमेटी का जठन किया था। 2. कमेटी में परियोजना प्रबंधक राजेरा जैन, 3. जनजाति विकास कित्राण के वित्तीय सलाहकार आलोक सैनी, 4. विभाग के एक्सईएन हरीश कुमाचत, 5. सहायक लेसाधिकारी निदेशालय स्वच्छ परियोजना मरत व्यास, 6. सहायक परियोजना अधिकारी स्वच्छ परियोजना त्रिभुवन सिंह चावड़ा, 7. तत्कालीन उपनिदेशक जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग राधेश्याम शर्मा शामिल थे।

घपला छिपाने के लिए ऑनलाइन पोर्टल की बजाय ऑफलाइन वर्क ऑर्डर दिया
जनजाति क्षेत्रीय क्कास विभाग के स्वच्छ परियोजना निदेशालय द्वारा बांसवाड़ा सहित छात्रावास और आवासीय स्कूलों में टेबल, कुर्सी, बेड, डाइनिंग टेबल और गीजर सप्लाई की ऑनलाइन निविदा निकाली गई। टेंडर में 14 फर्में आईं लेकिन सिर्फ 1 फर्म सुकुमाल ट्रेडर्स पास हुई। घप्ले को छिपाने के लिए अधिकारियों ने ऑनलाइन पोर्टल की बजाय ऑफलाइन बर्कऑर्डर जारी कर दिया। दूसरी ओर विभाग द्वारा टेबल कुर्सी सेट, डाइनिंग टेबल कुर्सी, पलंग और गीजर की प्रतिनग राशि तय की गई। हालांकि टेंडर में डाईनिंग टेबल सेट अनुमानित दर से 69 फीसदी अधिक दर, पलंग 22 फीसदी अधिक दरों पर और टेबल कुर्सी 17 फीसदी अधिक दरों पर खरीदे गए। हॉस्टलों के लिए 666 गीजर भी खरीदने थे, एसपीपीपी पोर्टल पर जारी बोली सूचना में तो गीजर की भी निविदा का उल्लेख किया गया, लेकिन जेम पोर्टल पर गीजर को गायब ही कर दिया।

राजभवन के आदेश पर जांच जारी है : आयुक्त
# पीडब्ल्यूडी की जांच पर कमेटी बैठी हुई है। कमेटी जो रिपोर्ट देगी, उसी के हिसाब पर कार्रवाई होगी। आपको स्वच्छ परियोजना के निदेशक के पास भेजूंगा, वो आपको सब चीजें बताएंगे राज्यपाल के आदेश पर ही जांच हो रही है। बांसवाड़ा, राजसमंद, उदयपुर सहित जिलों के हॉप्टल में पीडब्ल्यूडी ने जांच की है।- राजेंद्र भड़ आयुक्त, जनजाति विकास विभाग

राजभवन ने टेंडर प्रक्रिया में बताई अनियमितता
राज्यपाल द्वारा इस मामले में विभाग से रिपोर्ट मांगे जाने के बाद 29 नवंबर 2022 को राज्यपाल के प्रमुख सचिन ने जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखा कि विभाग द्वारा प्रेषित रिपोर्ट के आधार पर टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताएं हैं। राज्यपाल द्वारा दोषी अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही के लिए निर्देशित किया गया। इसके बाद भी दोषी अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। वहीं, पीडब्ल्यूडी द्वार 2 अलग-अलग जांच में सामग्री की क्वालिटी घटिया पाए जाने के बाद भी अभी तक फर्म सुकुमाल ट्रेडर्स पर भी कोई कार्रवाई नहीं की है।

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