यह मंदिर श्री राय रयां महाराजाधिराज महारावल जी श्री १०८ श्री पृथ्वी सिंह जी बहादूर के.सी.आई.ई ने बनवाया. और प्रतिष्ठा मिति बैसाख सुद्दी १३ चंद्रवार संवत १८८२ विक्रमी को हुई. यह राजघरानो की निजी संपत्ति थी. जब राजपुताना से राजस्थान बना तब राजघरानों ने इस मंदिर को राजस्थान सरकार को सुपुर्द कर दिया. यहाँ चार मुखी काले पाषाण में शिवलिंग है. यहाँ अम्बे माता की प्रतिमा है. व राम लक्षमण जी की प्रतिमा है. इस प्रांगन में हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित है. यह इस मंदिर से भी पुराणी है और इसे लगभग 200 वर्ष से भी ज्यादा का समय हुवा है.