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Radha Kishan Shankh Temple

Radha Kishan Shankh Temple
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यह पुरे संभाग का शंख नुमा आकृति का पहला मंदिर है. इस मंदिर की कल्पना एक सपने से हुई. श्री महेंद्र कुमार जी देवारा पुत्र श्री मोहनलाल जी देवारा के स्वयं की भावना में बदलाव व किसी अनजान शख्स (जो कृष्णा भक्त) के 2000 में संपर्क में आने हुई. उस समय वो कुवैत में कार्यरत थे. उसके बाद स्थितिया बदली. देवारा जी कृष्णा भक्ति में रमे. इसी दोरान उन्हें सपना आया की उन्हें एक विशाल मंदिर व बिच में कृष्णाजी की प्रतिमा व चारों तरफ सीडिया ही सीडिया हो जैसे मानो शाक्षात दर्शन हो रहे हो भगवान् के. उस दोरान उन्होंने अपना नया घर बनाया और उस घर में उन्होंने कृष्णा जी की प्रतिमा स्थापित करी. फिर उन्हें लगा की सबकुछ अच्छा हो रहा है. तब उन्होंने सोचा की लोगो को भक्ति से जोडू व लोगो को भक्ति से जोड़ने का रास्ता मंदिर से अच्छा कोई नहीं हो सकता है. उस दोरान देवारा जी उपन्यास व धार्मिक किताबे पढ़ते थे. तभी उन्होंने पढ़ा की एक शंख नुमा आकृति का धार्मिक स्थल हो जहाँ पर लोग धर्म से जुड़े. इस सोच को लेकर उन्होंने कई बुजुर्गो व् कई अनुभवी लोगो से संपर्क किया की ऐसा संभव है या नहीं? पर उन्हें कहीं से भी संतुष्टि नहीं मिली. तभी उन्हें एक आर्किटेक से मुलाकात हुई सन 2004 से 2006 में , जिन्होंने इस काम का की शुरुआत हुई. सर्व प्रथम उन्होंने एक थर्माकोल के द्वारा रूपात्मक (MODAL) रूप बनाया. तत्पश्यात कार्य आरम्भ हुवा. जिसमे भूमि पूजन में श्री हरिओह्म शरण दास जी महाराज(लालीवाव मठ के महंत) व भारतमाता मंदिर के महंत श्री राम स्वरुप जी महाराज के सानिध्य में हुवा. मदिर 2011 में पूर्णतया बनकर तैयार हो गया और इस वर्ष दिवस संवत 2068 वैशाख कृष्ण षष्टि (दिनांक 23-05-2011) को प्रतिष्ठा की गई.

 

इस मंदिर के निर्माण में अलग अलग जगह के कारीगर व अलग अलग स्थलों के पत्थरों को काम में लिया गया है. हमने हमेशा देखा गया है की राधा जी की मूर्ति सफ़ेद पत्थर और किशनजी की काले पत्थर में ही होती है.

 

इस मूर्ति की विशेषता किशनजी व राधा जी की मूर्ति श्याम वर्ण (Grey) रंग में है. यह पत्थर बहुत ही कम मात्रा में पाया जाता है. यह मकराना का पत्थर है. इस प्रतिमा की लम्बाई 3 फीट 3 इंच है. यह मकराना के कारीगर के द्वारा बनाई गई है. व शेष नाग की आकृति डूंगरपुर के कारीगरों के द्वारा बनाई गई है. व सिंघासन बाँसवाड़ा जिले के तलवाड़ा के कारीगरों के द्वारा बनाई गई है. इस परिसर में सत्संग भवन है. जिसमे देवारा जी के पिताजी की मूर्ति स्थापित है. इस संत भवन के अंदर कुछ धार्मिक द्रश्य की आकृतिया इंदौर के कारीगरों के द्वारा बनाई गई है. इस परिसर के उध्यान में शिव दरबार स्थापित है. जो की इंदौर के कारीगरों के द्वारा बनाया गया है. यहाँ भक्ति का सन्देश देती हुई मीरा बाई की मूर्ति भी है. इन्हें भी इंदौर के कारीगरों ने ही रूप दिया है.

 

कार्यक्रम : 

* पाटोत्सव (प्रतिवर्ष वैशाख कृष्ण षष्टि, वार्षिक उत्सव) 

* साप्ताहिक भागवत ज्ञान गंगा

* जन्माष्ठमी

* अनकुट

* तुलजी विवाह पर तुलसी पूजन

* हर माह की पूर्णिमा, ग्यारस को भजन कीर्तन

 

मंदिर खुलने का समय 

प्रात: 05:30 से 12:00 बजे और सांय 04:00 से रात्रि 09:30

प्रात: 06 बजे मंगला आरती 07 बजे महा आरती सायं : 07:15 बजे सांयकाल आरती

नित्य भोग, नित्य आरती, नित्य श्रृंगार

 

संपर्क 

मुख्या व्यवस्थापक - नवनीत जी पंड्या (9413015279, 8890954245) 

सह सहायक - गोविन्द जी चौबिसा (9784964853) 

पुजारी जी - श्री हीरालालजी सेवक (8769647815) 

 

किसी आगन्तु के निवास हेतु कक्ष निशुल्क उपलब्ध है. यह केवल एक दिन के लिए ही रहेगा. इस हेतु समिति के सदस्य की स्वीकृति आवश्यक होगी. भविष्य में अधिक से अधिक लोगो को जोड़ना, पशु-पक्षियों की सेवा, निसहायों की सेवा, गौ: सेवा . 

 

नवजवानों के लिए सन्देश : ईश्वर के प्रति आस्था, भारतीय संस्कृति के अनुरूप चले, बड़ो व माता-पिता का सम्मान. धर्म रक्षति रक्षत: (जो धर्म की रक्षा करेगा धर्म उसकी रक्षा करेगा) इस समिति में बजुर्गों की व नौजवानों की समिति बनाई गई है.

 सन्देश : hellobanswara.com के द्वारा बाँसवाड़ा जिले के धार्मिक स्थल व सारे भारत के धार्मिक स्थल जोड़े. नौजवान इस साईट से जुड़े, समय की कमी के कारण ऑनलाइन सेवा उपयोगी है. शुभकामनाये : नवनीत जी पंड्या , महेंद्र कुमार देवारा.

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