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बिना एलएलएम लाॅ काॅलेज के डायरेक्टर बने, नाैकरी बचाने स्टूडेंट बन दाे साल बिना काॅलेज गए पास हाे गए

Banswara
बिना एलएलएम लाॅ काॅलेज के डायरेक्टर बने, नाैकरी बचाने स्टूडेंट बन दाे साल बिना काॅलेज गए पास हाे गए
@HelloBanswara - Banswara -

पेसिफिक यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार शरद काेठारी और एलएलएम काेर्स में प्रवेश लेने वाले लाॅ काॅलेज के डायरेक्टर राहुल व्यास के खिलाफ बांसवाड़ा काेतवाली में बुधवार काे धाेखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ है। फर्जीवाड़े का यह बेहद गंभीर मामला है। तीन साल पहले लॉ कॉलेज के डायरेक्टर राहुल व्यास ने गोविंद गुरु ट्राइबल यूनिवर्सिटी में एलएलएम के रेगुलर कोर्स में दाखिला लिया। चौंकाने वाला यह है कि राहुल एक दिन भी कॉलेज में एक भी क्लास नहीं ली। इसके बाद यूनिवर्सिटी ने खुली छूट देते हुए फर्स्ट व सैकंड ईयर की एग्जाम भी ले ली और उत्तीर्ण भी घोषित कर दिया। इस पूरे मामले की शिकायत हुई, तब यूनिवर्सिटी ने दोनों सालों का रिजल्ट निरस्त कर डिग्री पर रोक लगा दी। उदयपुर के अधिवक्ता मनीष गुर्जर ने पुलिस महानिदेशक को शिकायत की। जिसके बाद काेतवाली पुलिस ने अब मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इसकी एफआईआर पहले प्रतापनगर थाने में हुई थी। जिसकी फाइल जांच के लिए बांसवाड़ा कोतवाली को ट्रांसफर कर दी गई।


सवाल : जीजीटीयू में डिस्टेंस लर्निंग पाठ्यक्रम ही नहीं, दो साल तक अनुपस्थित रहते हुए परीक्षा में कैसे बैठने दिया?
कई सालों से राहुल व्यास उदयपुर की पेसिफिक यूनिवर्सिटी के लाॅ काॅलेज में डायरेक्टर व काॅआेर्डिनेटर के पद पर कार्यरत हैं। बार काउंसिल आॅफ इंडिया (बीसीआई) व यूजीसी के नियमानुसार इस पद के लिए निर्धारित याेग्यता एलएलएम है। बिना एलएलएम के काेई भी लाॅ काॅलेज का हैड यानि डायरेक्टर नहीं बन सकता। राहुल लॉ काॅलेज में गलत तरीके से डायरेक्टर बने हुए थे। इसलिए उन्होंने इस तथ्य को छिपाते हुए चुपके से गोविंद गुरु ट्राइबल यूनिवर्सिटी के लॉ कॉलेज में एलएलएम कोर्स में दाखिला ले लिया। उन्हाेंने यहां सत्र 2018-19 व 2019-20 का नियमित छात्र रहते हुए लिखित व प्रैक्टिकल परीक्षा भी दी। रिजल्ट भी घोषित कर दिया।


पेसिफिक यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार की मिलीभगत से एलएलएम में लिया दाखिला : एफआईआर में बताया गया कि इस फर्जीवाड़े में डायरेक्टर राहुल व्यास के साथ पेसिफिक यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार शरद काेठारी की भी मिलीभगत थी। निर्धारित याेग्यता नहीं हाेने के बावजूद काेठारी ने व्यास काे पेसिफिक लाॅ काॅलेज में डायरेक्टर के पद पर नियुक्ति दे दी। डायरेक्टर के रूप में वेतन उठाते रहे। दूसरी आेर बांसवाड़ा की गाेविंद गुरु ट्राइबल यूनिवर्सिटी के लाॅ काॅलेज में एलएलएम के दाे वर्ष के काेर्स में नियमित छात्र के रूप में प्रथम व द्वितीय वर्ष की परीक्षा दे कर उत्तीर्ण हाे गए। जबकि दाेनाें ही की जानकारी में था कि जीजीटीयू बांसवाड़ा में इवनिंग क्लासेज व दूरस्थ शिक्षा और डिस्टेंस लर्निंग पाठ्यक्रम नहीं है।


फंसे तो बोले-मैं डायरेक्टर पद पर कभी रहा ही नहीं
{आपने लाॅ काॅलेज के डायरेक्टर पद पर रहते हुए ा जीजीटीयू में एलएलएम के नियमित विद्यार्थी के रूप में प्रवेश लेकर परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली?
-मैं लाॅ काॅलेज के डायरेक्टर पद पर कभी रहा ही नहीं। कॉआर्डिनेटर के रूप में नियुक्त था।
{इस पद के लिए निर्धारित योग्यता एलएलएम हाेना आवश्यक है। उसके बिना आपकी नियुक्ति कैसे हाे गई?
-जिस पद पर मैं नियुक्त था। उसके लिए किसी भी फेकल्टी में पीएचडी की डिग्री पर्याप्त है। इस पद के लिए एलएलएम डिग्री हाेना आवश्यक नहीं।
{एक तरफ आप उदयपुर में पेसिफिक लाॅ काॅलेज के कॉआर्डिनेटर के रूप में काम कर रहे थे। दूसरी आेर आपने बांसवाड़ा में एलएलएम काेर्स में नियमित विद्यार्थी के रूप में एडमिशन ले रखा था। दाेनाें एक साथ कैसे?
-मैंने एक भी दिन वहां काॅलेज में उपस्थिति नहीं दी। इसके बावजूद काॅलेज ने मुझे प्रथम वर्ष की परीक्षा में बैठने की अनुमति दी थी। इसके बाद ही मैं ने परीक्षा दी। द्वितीय वर्ष की अनुमति नहीं मिली ताे परीक्षा दी ही नहीं।


जांच रिपोर्ट के आधार पर डिग्री पर रोक लगा दी
{पेसिफिक लाॅ काॅलेज के डायरेक्टर कम कॉआर्डिनेटर ने वहां नियुक्ति के दाैरान जीजीटीयू के एलएलएम के नियमित काेर्स में प्रवेश ले लिया?
-प्रवेश के समय उस व्यक्ति ने तथ्य छिपाए थे। प्रथम वर्ष का परीक्षा परिणाम जारी हाेने के बाद शिकायत मिली। इस तरह के मामलाेें के लिए जीजीटीयू में कमेटी है। उसने जांच की। प्रमाणित हाेने पर उसकी रिपोर्ट के आधार पर परीक्षा परिणाम निरस्त कर दिया गया। साथ ही डिग्री पर भी राेक लगा दी गई।
{जब उस व्यक्ति ने एक भी दिन जीजीटीयू के लाॅ काॅलेज में उपस्थिति दर्ज नहीं कराई ताे उसे एलएलएम के नियमित विद्यार्थी के रूप में परीक्षा में बैठने की अनुमति कैसे दे दी गई?


-कुछ समय तक ताे वे यहां आए थे। यह एकेडेमिक सेक्शन का मामला है। वहीं से अटेंडेंस वेरिफिकेशन सहित अन्य आवश्यक दस्तावेज फॉरवर्ड हाेते हैं। अब यह ताे उस सेक्शन वाले ही बता सकते हैं कि ऐसा कैसे हुआ।

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