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ज्वॉइन किया तब स्कूल जर्जर था, छत टपकती थी अब 11 कंप्यूटर, एलईडी टीवी और आईसीटी लैब भी

Banswara
ज्वॉइन किया तब स्कूल जर्जर था, छत टपकती थी अब 11 कंप्यूटर, एलईडी टीवी और आईसीटी लैब भी
@HelloBanswara - Banswara -

बांसवाड़ा 5 साल पहले जब मैंने स्कूल में ज्वाइन किया था, ये स्कूल महज नाम का था। सुविधाओं के नाम पर सिर्फ खस्ताहाल भवन ही था। कक्षाकक्षों में लाइट, पंखे नहीं थे। कंप्यूटर एक ही था, प्रिंटर था नहीं, प्रधानाध्यापक कक्ष भी नहीं था। रसोईघर छोटा होने के साथ ही अव्यवस्थित था। इसकी खिड़कियां टूटी थी और पूरी तरह से जर्जर हो रहा था। यहां मिड-डे मील तैयार करने के दौरान हर समय डर लगा रहता था।

भवन पुराना होने के कारण बारिश में छतों से पानी टपकता था। मैंने स्वयं के प्रयासों से भामाशाहों को खोजना शुरू किया। कई महीनों तक भामाशाह नहीं मिले लेकिन मेरे प्रयास रंग लाए, मुझे भामाशाह मिले और आज मेरे स्कूल में प्रत्येक कक्ष में दो पंखे, दो ट्यूबलाइट, 11 कंप्यूटर और एलईडी टीवी लगी है। आईसीटी लैब भी शुरू करा दी है। मैंने 4 कक्षा की छतों का काम करवाया। भामाशाह से सभी कक्षों में ग्रीन बोर्ड, प्रधानाध्यापक की कुर्सी और अतिथियों के लिए प्लास्टिक की कुर्सियां लेकर आई। पंचायत के शौचालय मंजूर कराया। स्टाफ ने भी उनका सहयोग किया। आज उनके स्कूल में रैक, अलमारियां, पंखे, प्रिंटर- रोटरी क्लब से प्राप्त हुई। कक्षाकक्षों में बच्चों के लिए बैंचें भी भामाशाहों को प्रेरित कर ली गई। प्रतिवर्ष बालकों के हितार्थ शिक्षण, छाते, ड्रेस, स्कूल बैग, वितरित करवाए जाते हैं।

शिक्षण व्यवस्था को गुणवत्तावान करने स्टाफ मोटिवेशनल कार्यक्रम शुरू किया है। जिसमें प्रतिवर्ष स्टाफ की ओर से बच्चों के पढ़ाई व अन्य गतिविधियों में श्रेष्ठ कार्य करने पर सम्मानित किया जाता है। प्रतिदिन कार्य कौशलता पर छात्रों व शिक्षकों को प्रोत्साहन के लिए सम्मानित किया जाता है। संस्थाप्रधान खुशलता भट्ट का अपने स्कूल में सुविधाएं बढ़ाने का ऐसा जुनून है कि जिला शिक्षा विभाग ने इनको शिक्षक दिवस पर ब्लॉक स्तरीय समारोह में सम्मानित किया था। पुरस्कार स्वरूप पांच हजार रुपए की राशि भेंट की थी।

इन्होंने यह राशि अपने स्कूल में शिक्षण सामग्री खरीदने के लिए दे दी। इन्होंने स्कूल में पढ़ने वाली एक बच्ची को भी गोद लिया। इसकी शिक्षा का पूरा खर्च उठाने की जिम्मेदारी ली है। स्कूल में पढ़ने के लिए आने वाले अधिकांश बच्चे गरीब तबके हैं। बच्चों के परिवार की ऐसी स्थिति नहीं है वो अपने जूते-चप्पल या अन्य शिक्षण सामग्री खरीद सकें। विद्यालय में नवाचार लाने के लिए प्रत्येक विद्यार्थी और शिक्षकों का जन्मदिवस विद्यालय में मनाया जाता है।

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