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सूरत से पैदल चलकर 8 दिनों में सेनावासा पहुंचे 10 श्रमिक, जवानों ने रुपए इकट्ठा किए, किराए की कार से 800 किमी दूर आगरा बॉर्डर तक पहुंचाया

Banswara
सूरत से पैदल चलकर 8 दिनों में सेनावासा पहुंचे 10 श्रमिक, जवानों ने रुपए इकट्ठा किए, किराए की कार से 800 किमी दूर आगरा बॉर्डर तक पहुंचाया
@HelloBanswara - Banswara -

लॉकडाउन में दुकानें बंद कराने और राहगीरों से पुलिस के मनमानी करने की शिकायते सामने आती है तो वहीं कई बार पुलिस का ऐसा रूप भी दिखाई पड़ता है। जिसमें वह लीग से हटकर जरूरतमंदों की मदद करती दिखाई पड़ती है। यह प्रयास आमजन में पुलिस के प्रति सम्मान को और बढ़ा देती है।

रविवार को सदर पुलिस का 10 श्रमिकों के प्रति ऐसा ही रूप दिखाई पड़ा। जहां 8 दिनों से पैदल चलकर बांसवाड़ा पहंचे 10 श्रमिकों को ना सिर्फ भोजन कराया बल्कि खुद चंदा करके किराए की कार से 800 किमी दूर यूपी- भरतपुर बॉर्डर तक उन्हें उनके घर यूपी तक पहुचाने के लिए रवाना किया।

दरअसल, उत्तरप्रदेश के कानपुर क्षेत्र के 10 श्रमिक सूरत की एक फैक्ट्री में काम करते थे। लॉकडाउन की वजह से फैक्ट्री बंद हुई तो यह श्रमिक बेरोजगार हो गए। लॉक डाउन बढ़ता गया और राशन खत्म हो गया तो ये सभी पैदल ही कानपुर जाने निकल पड़े। 8 दिनों के लंबे पैदल सफर के बाद रविवार को सभी सेनावसा चेक पोस्ट पहुचे तो सदर पुलिस ने उन्हें रोक दिया। जानकारी ली तो पता चला कि बॉर्डर पर किसी की स्क्रीनिंग नहीं हुई है। सभी की शारीरिक दशा देखकर पुलिस ने सभी को नाश्ता, स्नान और फिर भोजन कराया। कुछ देर आराम के बाद सभी को यूपी पहुंचाने का बंदोबस्त शुरू किया। श्रमिकों के पास कैश नही था। किराये के वाहन से पहुचाने का पता किया तो चालक ने 10 रुपये प्रति किमी के हिसाब से 18 हजार किराया बताया। इस पर थाने के जवानों ने खुद अपनी और से 6 हजार की आर्थिक सहयोग राशि इकट्ठा की। बाकी रुपये भामाशाह के रूप में सेनावासा के हरीश कलाल ने 5100, आज़म खान ने 2100 और 3 हजार रुपये सेनावासा सरपंच गणपत कटारा ने 3 हजार और बाकी ग्रामीणों ने आर्थिक मदद की। इस तरह 16200 रुपए जुटाए।

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