60 प्रतिशत मरीजों में H3N2 जैसे ही लक्षण: 38 दिन में 72,583 की ओपीडी, 80 प्रतिशत काे खांसी-बुखार निमोनिया फेफड़े जमा रहा
कोरोना के बाद अब एच3एन2 वायरस लोगों को डरा रहा है। हालांकि इस वायरस का मरीज जिले में अभी तक सामने नहीं आया है, लेकिन इन दिनों चल रहे वायरल बुखार ने इन्फ्लूएंजा जैसा ही डर बना रखा है। आम दिनों में 600-700 के करीब रहने वाले जिला अस्पताल का आउटडोर कई दिनों से औसत 2000 के पार बना हुआ है। इलाज के लिए आने वाले 80 फीसदी राेगी बुखार, जुकाम और खांसी के हैं। फेफड़ों में निमोनिया और ऑक्सीजन लेवल भी 80 से नीचे जाने पर कई मरीजों काे भर्ती तक करना पड़ रहा है।
मरीजों में सर्दी-जुकाम और थकान के साथ बुखार का असर दाे हफ्तों तक देखने काे मिल रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक यह लक्षण एच3एन2 वायरस जैसे ही हैं। हालांकि इसकी जांच सुविधा नहीं हाेने से फिलहाल आम वायरल इन्फेक्शन मानते हुए ही दवाई दी जा रही है। तेजी से फैल रहे वायरल काे लेकर अब चिंता इसलिए बढ़ गई है क्याेंकि, जिला अस्पताल की ओपीडी बीते 5 सालाें के सबसे उच्च स्तर पर पहुंच चुकी है। बीते 38 दिनों में ही अस्पताल में 72 हजार 583 मरीज उपचार के लिए पहुंच चुके हैं। यह आंकड़ा जिला अस्पताल का ही है। मार्च के 10 दिनों की ही बात करें ताे 10 हजार 838 राेगी अस्पताल पहुंचे हैं। वहीं तेज बुखार से ग्रसित 1431 लाेगाें काे भर्ती करना पड़ा है।
मार्च के 10 दिन में रोज 2 हजार से ज्यादा मरीज अस्पताल पहुंचे
जिला अस्पताल में पहली बार ऐसा हुआ है जब राेजाना का औसत आउटडोर 2000 मरीजों के पार रहा है। फरवरी में एमजी अस्पताल में 61,745 मरीजों की ओपीडी रजिस्टर्ड हुई यानी हर दिन 2205 मरीज राेजाना पहुंचे। यही बढ़ोतरी इनडोर में भी रही, जहां राेजाना 286 मरीज भर्ती किए गए जाे सामान्य आईपीडी से 100 से अधिक हैं। जबकि जनवरी में ओपीडी 30340 और आईपीडी मरीजों की संख्या 4264 रही है।
एक्सपर्ट- डॉ. मयंक शर्मा, एमडी फिजिशियन
अस्थमा वाले मरीजों के लिए ज्यादा घातक है इन्फ्लूएंजा
सामान्य ताैर पर मरीजों में वायरल इन्फेक्शन देखें ताे सर्दी, खांसी जुकाम और बुखार का असर 5-6 दिन तक रहता है, लेकिन इन दिनों जाे स्थितियां बन रही हैं, उसमें खांसी और बुखार का असर 12-14 दिनों तक रहता है। इन्फ्लूएंजा का और वायरल को लेकर काेई अलग से ट्रीटमेंट की गाइडलाइन जारी नहीं हुई है। इसे इन्फ्लूएंजा ए वायरस कहा जाता है, यह एक सांस रिलेटेड वायरल इन्फेक्शन है। इसके फैलने की रफ्तार काेराेना की तरह ही है। अंतर सिर्फ इतना है कि काेराेना की तुलना में इसमें ऑक्सीजन सेचुरेशन बहुत कम रफ्तार से कम हाेता है। हमारे यहां आने वाले मरीजों में अस्थमेटिक पेशेंट की संख्या 10 फीसदी, निमाेनाइटिस 5 फीसदी और मायाेकाइटिस यानी हार्ट में सूजन के मरीजों की संख्या 1 फीसदी है।
भास्कर EXPLAINER - बुखार 102 डिग्री से ऊपर, 15 दिन खांसी, इन्फ्लूएंजा वायरस स्वाइन फ्लू जैसा ही
इन्फ्लूएंजा, स्वाइन फ्लू का ही एक रूप है। जिसे सामान्य वायरल बुखार माना जा रहा है, इसमें इन्फ्लूएंजा के रोगी भी हो सकते हैं। इनके सामान्य लक्षण 102 से 104 डिग्री तक बुखार, 15 दिन से ज्यादा खांसी के अलावा ऑक्सीजन का लेवल लगातार गिरना है। मरीज को सांस लेने में तकलीफ भी हो सकती है। इसमें दवा का असर खत्म होने पर फिर से बुखार आता है।