राष्ट्रीय स्मारक के रूप में विकसित होगा मानगढ़, डीपीआर के लिए एक करोड़ मंजूर
- मानगढ़ से संभाग में फिर कांग्रेस का गढ़ बनाने की कवायद
कांग्रेस की गहलोत सरकार ने मानगढ़ धाम विकास के लिए जरूरी डीपीआर बनाने 1 करोड़ रुपए की स्वीकृति जारी कर एक साथ दो निशाने साधे हैं। पहला तो सीएम गहलोत ने इस बजट स्वीकृति के साथ सीधा संदेश दिया है कि वह मानगढ़ धाम विकास को लेकर गंभीर हैं और अपने वायदे को पूरा करने की शुरुआत कर दी है।
दूसरा इस घोषणा के साथ ही कांग्रेस ने वोट बैंक भी साधने की कोशिश की है। मानगढ़ धाम आदिवासियों की शहादत स्थली है। गोविंद गुरु न सिर्फ बांसवाड़ा बल्कि मध्यप्रदेश और गुजरात में भी लाखों अनुयायी हैं।
ऐसे में कांग्रेस मानगढ़ विकास को आगामी चुनाव में भुनाना चाहेगी। विश्व आदिवासी दिवस पर मानगढ़ धाम पर हुई सभा में मुख्यमंत्री गहलोत ने 100 करोड़ बजट से मानगढ़ धाम विकास की घोषणा की थी। मानगढ़ इसलिए भी अहम है क्योंकि बांसवाड़ा संभाग की 11 सीटों पर एसटी आरक्षण है। संभाग की करीब 65-70 फीसदी आबादी जनजाति वर्ग की है।
इधर, मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक बनाने की लंबे समय से मांग की जा रही है, भाजपा सांसद कनकमल कटारा ही नहीं, बल्कि ख़ुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मानगढ़ पर मोदी की सभा में राष्ट्रीय स्मारक की मांग प्रधानमंत्री से कर चुके हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री ने 100 करोड़ रुपए की घोषणा कर राष्ट्रीय स्मारक के मुद्दे को भुनाकर मास्टर स्ट्रोक खेलने को कोशिश की है। बांसवाड़ा संभाग कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है।
पिछले चुनाव में बीटीपी ने स्थानीय और आदिवासियों के मुद्दे को प्रमुखता से उठाकर चुनाव में कदम रखा और पहले ही चुनाव में दो सीटें हासिल कर ली। वहीं कुशलगढ़ में निर्दलीय की जीत हुई थी। बांसवाड़ा- डूंगरपुर की 9 सीटों का भाजपा- कांग्रेस और अन्य में 3-3-2-1 से बंटवारा हो गया। बीटीपी से सबसे ज़्यादा वोटबैंक का नुकसान कांग्रेस को हुआ है। ऐसे में मिशन 2030 को पूरा करने के लिए आदिवासी सीटें अहम रोल निभा सकती है।