पिछले साल रबी में 39,594 किसानों ने 8 करोड़ प्रीमियम जमा कराई, सालभर बाद सिर्फ 62 को 1 लाख का बीमा क्लेम मिला
प्राकृतिक आपदा व अतिवृष्टि से फसल को होने वाले नुकसान की भरपाई करने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की थी, लेकिन इसमें किसानों को राहत नहीं मिल रही है। किसान फसल का बीमा कराकर प्रीमियम भर रहे हैं, लेकिन बीमा क्लेम पास नहीं हो रहा है। बांसवाड़ा में वर्ष 2023-24 रबी की सीजन में 39, 594 किसानों ने 28 हजार हैक्टेयर में बोई फसल का बीमा कराया था, जिसके लिए 8 करोड़ रुपए प्रीमियम जमा कराई थी। इसमें 2.32 करोड़ रुपए स्वयं किसानों और शेष राशि केंद्र व राज्य सरकार ने सब्सिडी के रूप में जमा कराए थे।
सालभर बीतने के बावजूद प्रभावित किसानों को बीमा क्लेम नहीं मिला है। जिले में वर्ष 2023-24 में 5 हजार किसान प्रभावित थे, जिनमें से महज 62 किसानों को एक लाख रुपए का बीमा क्लेम मिला है। शेष किसानों को क्लेम कब मिलेगा, इस बारे में अधिकारियों से पूछा तो जवाब नहीं दे पाए। बड़ा सवाल ये कि जब रबी की फसल का बीमा क्लेम सालभर से नहीं मिला तो इस साल खरीफ फसल की बीमा राशि क्लेम मिलेगी। इस साल जिले में अतिवृष्टि से काफी फसल खराब हुई है। वर्ष 2024 खरीफ में 46737 किसानों ने 9.96 करोड़ रुपए की प्रीमियम राशि जमा कराई है। 4 से 5 हजार किसान प्रभावित हैं, इनको भी बीमा क्लेम राशि मिलने का इंतजार है। ^फसलों की कटाई के बाद कहां कितना उत्पादन प्रभावित हुआ, इसकी रिपोर्ट बनाकर समय से बीमा कंपनी को दी जाती है। इसके बाद बीमा कंपनी प्रदेश के सभी जिलों से डाटा कंपाइल कर सरकार को भेजती है, उसके बाद सरकार सब्सिडी देने की प्रक्रिया शुरू करती है।
प्रक्रिया पूरी होने के बाद किसानों तक क्लेम मिलने में सालभर का समय हो जाता है। -दिलीप सिंह यादव, उप निदेशक कृषि विस्तार बांसवाड़ा किसानों की फसलों का बीमा करने वाली एजेंसी एग्रीकल्चर इश्योरेंस कंपनी के बांसवाड़ा जिला समन्वयक (वेंडर) भुवन पंडया ने बताया कि बीमा क्लेम की प्रीमियम राशि में खरीफ में 49-49 प्रतिशत राशि केंद्र और राज्य सरकार देती है। जबकि किसानों से 2 प्रतिशत ही ली जाती है। रबी फसल में किसानों से 1.5 प्रतिशत और बागवानी में 5 प्रतिशत राशि ली जाती है। प्रीमियम की बकाया राशि सरकार से सब्सिडी के रूप में लेते हैं। केंद्र व राज्य सरकार से सब्सिडी आने में देरी की वजह से किसानों को बीमा क्लेम समय पर नहीं मिल पाता। क्योंकि सब्सिडी मिलने के बाद ही क्लेम की राशि बनती है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों की फसलों से जुड़े हुए जोखिमों की वजह से होने वाले नुकसान की भरपाई करता है। इससे किसानों को अचानक आए जोखिम या प्रतिकूल मौसम की वजह से फसलों को हुए नुकसान की भरपाई की जाती है। इसमें बीमित राशि देखे तो पिछले 7 वर्ष के जिला स्तर के उपज में से सर्वश्रेष्ठ 5 वर्षों उपज के औसत को न्यूनतम समर्थन मूल्य से गुणा के अनुसार, जिन फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित नहीं हैं, उनके लिए बाजार भाव से गुणा कर तय की जाती है।
प्रभावित किसान को 72 घंटे के अंदर टोल फ्री नंबर पर या फिर बीमा कंपनी के पोर्टल पर सूचना देनी होती है। कंपनी के अधिकारी मौके पर जाकर प्रभावित फसल का सर्वे या आकलन कर रिपोर्ट कंपनी को भेजते हैं। इसके आधार पर किसान का क्लेम राशि तय की जाती है।