गर्मियों में नॉन कमांड के 38 गांवों को जल संकट से उबारने पर 2.68 करोड़ खर्च होंगे

गर्मी शुरू हो चुकी है। जिले के अनेक ग्रामीण क्षेत्रों में भू-जल स्तर गिरने लगा है। ऐसे में पेयजल संकट से निपटने के लिए पीएचईडी ने 38 गांवों के पुराने जल स्त्रोतों को दुरुस्त करने के लिए 2.68 करोड़ और 300 से अधिक गांवों में टैंकरों से पानी पहुंचाने के लिए 1 करोड़ 12 लाख रुपए का बजट निधार्रित किया है। इन दोनों कामों के टेंडर कर दिए हैं।
पेयजल के पुराने संसाधनों को सुधारने का कार्य शुरू हो चुका है, डिमांड आने पर गांवों में पानी के टैंकर सप्लाई किए जाएंगे। पीएचईडी एसई जेके चारण के अनुसार इसके अलावा प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 10-10 नए हैंडपंपों का खनन किया जाएगा। इनके खनन पर करीब 1-1 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। इस प्रकार सभी 50 हैंडपंपों के खनन पर 50 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 5-5 नए ट्यूबवेलों का खनन किया जाएगा। इनको सौलर पनघट बनाया जाएगा। प्रत्येक की लागत 9-9 लाख रुपए आएगी। इस प्रकार इन पर 2.25 करोड़ रुपए की खर्च आएगा। पेयजल के पुराने संसाधनों को दुरुस्त करना और नए पेयजल के नए स्त्रोत मार्च अंत तक तैयार कर दिए जाएंगे।
जिले में ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में पेयजल संकट गहराने पर पानी के टैंकर सप्लाई किए जाएंगे। 1 करोड़ 1 लाख रुपए ग्रामीण क्षेत्रों के लिए और 11 लाख रुपए शहरी क्षेत्र में शामिल बांसवाड़ा, कुशलगढ़, परतापुर नगरीय क्षेत्र के लिए प्रावधान किया है। टैंकरों की डिमांड के लिए प्रत्येक पंचायत समिति स्तर पर कमेटी का गठन किया रहा है। सरपंच इस कमेटी में मुख्य भूमिका में होंगे। ग्रामीण सरपंच को टैंकर की डिमांड कर सकेंगे। सरपंच इस डिमांड को एसडीएम और यहां से डिमांड पीएचईडी को भेजेगा। इसके बाद उक्त गांव में अगले रोज पानी के टैंकर पहुंच दिए जाएंगे।
1 अप्रैल से पीएचडी जिला मुख्यालय पर कंट्रोलरूम शुरू किया जाएगा। ग्रामीण कंट्रोलरूम पर अपने क्षेत्र के पेयजल स्त्रोत जैसे हैंडपंपों में पानी न आने, टैंकरों की डिमांड या पेयजल संकट संबंधी शिकायतें कर सकेंगे। जिले के 38 गांवों में 2.68 करोड़ रुपए से बोरवेल सुधारेंगे, मोटरें बदलेंगे और 50 किमी नई पाइपलाइन बिछाई जाएगी। इन 38 गांवों को डार्क जोन में रखा गया है, जहां भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है।
सज्जनगढ़ ब्लॉक के कासारवाड़ी, डूंगरा में 20.87 लाख रुपए, गढ़ी के पालोदा, बोरी, सरेड़ी बड़ी, भीमपुर, आसन, लोहारिया में 14.4 लाख रुपए, कुशलगढ़ के बस्सी, छोटी सरवा, खजूरा, कोटड़ा में 17.33 लाख रुपए, अरथूना के पचवाड़ा में 9.82 लाख रुपए, बांसवाड़ा के आबापुरा, बोरिया, तलवाड़ा, कूपड़ा में 13.74 लाख रुपए, छोटी सरवन के छोटी सरवन, दानपुर में 52.68 लाख रुपए, गांगड़तलाई के शेरगढ़, गांगड़तलाई में 45.37 लाख रुपए, बागीदौरा के सुवाला, करजी, बागीदौरा, नौगामा में 80.99 लाख रुपए, आनंदपुरी के रोहानिया, आनंदपुरी, छाजा में 23.56 लाख रुपए, घाटोल के देलवाड़ा, लोकिया, मुंगाना, छोटी पड़ाल, मोटागांव, बस्सी आड़ा, खमेरा में 18.3 लाख रुपए से बोरवेल में मोटर और केबल बदलेंगे।
कई इलाकों में पुराने बोरवेल में नई मोटर और इलेक्ट्रिकल केबल लगाई जाएगी। जीआई पाइपलाइन का विस्तार करेंगे। इसमें जलापूर्ति बेहतर करने के लिए 50 एमएम और 80 एमएम जीआई पाइप डाले जाएंगे। पीएचईडी अधिकारियों के अनुसार जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से हैंडपंपों में पानी कम होने की शिकायतें मिलने लगी है। भू-जल स्तर की रिपोर्ट देखें तो जिले का सामान्य औसत भू-जल स्तर 125 फीट है।
फरवरी के अंत में औसत 150 फीट तक पहुंच गया है, जबकि कुशलगढ़, छोटी सरवन और दानपुर क्षेत्र के कई गांवों में भू-जल स्तर 200 से 225 फीट तक चला गया है। मई-जून में इन क्षेत्रों में भू-जल 250 से 300 फीट तक पहुंच जाता है। हैंडपंपों का खनन 100 से 150 फीट तक होता है। कुंए भी 70 से 80 फीट तक गहरे हैं। गांवों के कुछ प्राचीन कुंए 150 फीट गहराई तक हैं। भू-जल स्तर गिरने से टैंकरों से पानी सप्लाई की जाती है।
