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हैंगिग ब्रिज:28 मीटर गहरे पानी में तैयार हाे रहा राजस्थान का पहला सेंसर सपोर्ट हैंगिंग ब्रिज, चलते वाहन का वजन हाेगा, सरिए पर जंग ताे भी बताएगा

Banswara
हैंगिग ब्रिज:28 मीटर गहरे पानी में तैयार हाे रहा राजस्थान का पहला सेंसर सपोर्ट हैंगिंग ब्रिज, चलते वाहन का वजन हाेगा, सरिए पर जंग ताे भी बताएगा
@HelloBanswara - Banswara -

चिखली से आनंदपुरी को जोड़ने वाला गोविंद गुरु सेतु (हैंगिग ब्रिज) राजस्थान का पहला सेंसर सपोर्ट ब्रिज होगा। इसमें कोटा में बने केबल ब्रिज से ज्यादा आधुनिक तकनीक का उपयोग किया है। 123 करोड़ रुपए की लागत से बन रहे पुल पर करीब 20 से 25 सेंसर लगेंगे। इनकी ही कीमत 5 कराेड़ रुपए हाेगी। ये सेंसर 100 साल तक इसके व्यवहार को बताएंगे। ये सेंसर ब्रिज पर चलते वाहन का वजन कर लेंगे और सैटेलाइट

सिस्टम से इसकी रिपाेर्ट दिल्ली तक पहुंचेगी। अगर किसी सरिए में जंग लग गया ताे सैंसर उसके बारे में भी बताएगा। पुल में 144 मीटर के दो फाउंडेशन पिलर बनेंगे। जो पूरे ब्रिज को स्टील के तारों को खींच कर वजन सहन करेंगे। यह भी तीन-तीन मीटर के सेट में दाए-बाए लगेंगे। दाेनाें तरफ 72-72 मीटर हाेंगे। 25 मीटर तक पानी की गहराई को ध्यान में रख कर बनाया जा रहा है। यह पुल 906 मीटर लंबा होगा। पानी में

फाउंडेशन बनाने में चूक की संभावना बिल्कुल नहीं है। अापकाे बारीकी से नजर रखनी पड़ती है। मसलन ऊपर से कितने प्रहार पर चट्टान टूट रही है। ज्यादा टूट रही है, कम में टूट गई। पानी की गहराई 20 मीटर है। इसमें हम 8 मीटर गहराई का अाैर फाउंडेशन तैयार करते है। हमें ऊपर से कुछ नहीं पता हाेता है कि 28 मीटर नीचे पानी में क्या हाे रहा है? यह सब तकनीक की बारिकियाें से पकड़ते हैं। यहां तक फिनिश

लेवल पर अल्ट्रा साउंड में भी यह देखते है कि कांक्रीट से टकराकर रिटर्न हाेने में लेजर कितना समय ले रही है। यहां के हिसाब से यह ढाई सेकेंड में रिटर्न हाेनी चाहिए। पानी में कंक्रीट बहे नहीं, इसलिए एंकरिंग करके स्टेबल करते है। लाेहे के बाॅक्स बनाकर उन्हें पानी में सेट करने तक हर काम बहुत टेक्निकली है। चार बड़े पायलाॅन हाेंगे। प्रत्येक में 12 फाउंडेशन अलग से हाेंगे। प्रत्येक की क्षमता 1000 टन वजन सहन करने की हाेगी। टेस्टिंग में हम इस पर 1500 टन वजन एप्लाई करके देखेंगे। इस ब्रिज में एक अाैर खास बात है इसका काेडिंग सरिया। राजस्थान में पहली बार पुल निर्माण में इस तरह का सरिया उपयाेग किया जा रहा है।

यह हरे रंग जैसा दिखता है। इसकी लाइफ सामान्य सरिए से पांच गुना ज्यादा हाेती है। ब्रिज में इंटरनेशनल मापदंड पर समान का उपयोग हो रहा है। जिसमें जर्मनी से सूपी रियल हाई ग्रेड स्टील केबल लगेगी। एस्ट्रो डोस केबल ब्रिज टेक्नोलॉजी से बनेगा। आईआईटी से रिसर्च के आधार पर डिज़ाइन तैयार की गई है। इसे 7.0 तीव्रता के भूकंप झटके और तेज हवा तूफान सहन करने की क्षमता है।

123 करोड़ रुपए की लागत से बन रहे पुल पर 20 से 25 सेंसर लगेंगे

चिखली के बेडूआ गांव में माही-अनास, संगमेश्वर नदी व आनंदपुरी के बीच स्थित नदियों के संगम स्थल पर पुल का काम दिसंबर 2018 में शुरू हुअा। मंदिर के एक ओर डूंगरपुर का चिखली तो दूसरी अाेर बांसवाड़ा की आनंदपुरी पंचायत समिति क्षेत्र है। माही नदी के ऊपर से गुजरने वाली कर्क रेखा के सर्वाधिक पास 650 मीटर से अधिक पुल का निर्माण होगा। गुजरात के कड़ाणा डेम के जल विस्तार में क्षेत्र में माही

अनास नदी संगम जल की सर्वाधिक गहराई 20 से 25 मीटर है। इस हैंगिंग ब्रिज से आनंदपुरी से चिखली का सफर मात्र 20 किमी रह जाएगा। अभी यह दूरी 90 किमी तय करनी पड़ती है। राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश तीन राज्यों के कई जिलों की भी आपस में दूरी कम

कोटा के बाद राजस्थान का दूसरा हैंगिंग ब्रिज, लेकिन तकनीक उससे आधुनिक
कोटा का हेंगिंग ब्रिज देश का तीसरा और प्रदेश का पहला हैंगिंग ब्रिज है। इसकी लंबाई करीब 1.5 किमी है। साथ ही चंबल नदी की धरातल से 46 मीटर तक की ऊंचाई पर उसे बनाया गया है। वह पुल 30 मीटर चौड़ाई का है और दोनों ओर 1.6 मीटर का फुटपाथ बना हुआ है। वहीं उसके निर्माण में ब्रिज को हैंगिंग बनाने के लिए 80 केबल पर बनाया है। इसमें से 41 मीटर सबसे छोटी और 192 मीटर सबसे बड़ी केबल लगाई गई है।

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