सरकारी स्कूल; स्टूडेंट और स्टाफ ताे है, लेकिनकमरों में पानी टपक रहा और सीलन, बैठाएं कहां

जर्जर भवन। छताें से टपकता पानी। दीवाराें में सीलन। ग्रमीण अंचल के सरकारी स्कूलाें की यह तस्वीर बदल नहीं रही है। मानसून के साथ ही प्रतिवर्ष अाने वाली इस समस्या का स्थाई समाधान नहीं किया जा रहा है। इसके चलते बारिश के दौरान कई बार स्कूल बंद करना पड़ता है। कैबिनेट मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीया के क्षेत्र मंे जर्जर स्कूल भवन खतरे की घंटी बजा रहे हैं। बच्चों की जान को खतरा बना हुआ है। गनोड़ा, गढ़ी, अरथूना में भी स्थिति बहुत ही खराब है।
बारिश में स्कूल तालाब में तब्दील : गनोड़ा तहसील की नागवाला पंचायत के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय चेकला की हालत खराब है। यहां 130 बच्चे पढ़ते हैं। विद्यालय में कुल 10 कमरे हैं लेकिन केवल तीन कमरे ही ऐसे हैं जिनमें बच्चों को बैठा सकते हैं। बाकी सभी कमरे जर्जर हैं। बारिश के दिनों में विद्यालय का स्टाफ बच्चों को बरामदे में बिठाकर पढ़ाते हैं, क्योंकि कमरों में पानी टपकता है। प्लास्टर उखड़ गया है तथा छत के सरिये दिखाई पड़ रहे हैं। पानी की निकासी नहीं होने के चलते ज्यादा बारिश में स्कूल तालाब में तब्दील हो जाता है। इधर, शहर के राजकीय बालिका माध्यमिक स्कूल खांदू कॉलोनी के कमरों में पानी टपकता है। स्कूल की दीवारों में जगह जगह दरारें पड़ गई हैं। आरसीसी की छत से सरिये निकल गए हैं। बारिश में हादसा होने का भय लगा रहता है।
बच्चे 275 और स्टाफ 12, लेकिन कमरे नहीं
रोहनवाड़ी. राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय भीतपाडा जो कि कैबिनेट मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीया के विधानसभा क्षेत्र में है। यहां बच्चे हैं स्टाफ है, लेकिन उन्हें बैठाने की व्यवस्था नहीं है। यहां सिर्फ 6 कमरे हैं। बरामदे में कक्षाएं लगती हैं। बारिश में कक्षों में टप...टप...शुरू हो जाती है। संस्था प्रधान मनीष ताबियार ने बताया कि 275 बच्चे हैं। 12 का स्टाफ है। कमरे नहीं होने से परेशानी है। एक दिन बारिश के बाद चार दिन तक पानी टपकता रहता है। दो कमरे 2010-11 में बने थे। इसके बाद यहां निर्माण नहीं हुआ। ग्रामीणों ने स्कूल में नए कमरे बनाने के लिए कई बार जनप्रतिनिधियों और उच्चाधिकारियों को अवगत कराया, लेकिन किसी ने सुध नहीं ली। ऐसे में बच्चों का भविष्य खराब होने का डर सता रहा है। ग्रामीणों ने स्कूल में नए कमरे बनाकर राहत देने की मांग की है।
गनोड़ा के बालिका स्कूल में छत गिरने से खराब हो रहा फर्नीचर।
गनोड़ा बालिका स्कूल की छत टूटी, बोरदा स्कूल की दीवारों में दरारें, एक ही कमरे में बिठा रहे
गनोड़ा. गनोड़ा के राजकीय उच्च प्राथमिक बालिका विद्यालय में बरसात के दिनों में बेटियों को पढ़ने में काफी दिक्कत आती है। विद्यालय में 6 से 7 कमरे हैं, लेकिन तीन ही उपयोग में आ रहे हैं। बरसों पुराने कमरे अब जर्जर हो चुके हैं। जर्जर कक्षों से खतरा बना हुआ है और छत टूटने से सामान खराब हो रहा है। बोरदा ग्राम पंचायत के सीनियर विद्यालय में भी छोटे बच्चों को जर्जर हो चुके कमरों में बैठाया जा रहा है, जिससे हादसे की आशंका है। सीनियर स्कूल में कक्षा 1 से 8 तक 250 बच्चे हैं। कमरों की कमी के चलते बच्चों को एक साथ बैठाया जा रहा है। एक तरफ कंप्यूटर कक्ष तो दूसरी तरफ कार्यालय का काम होता है। बच्चे बैठते हैं वहीं फर्नीचर भी रखा है। विद्यालय के संस्था प्रधान गोकुल यादव ने बताया कि कमरों की स्थिति खराब है तथा बरसात के दिनों में बच्चों को बिठाने में दिक्कत आती है। विद्यालय के अधिकांश कमरे जर्जर हैं तथा दीवार में दरारें आ गई हैं, जिसके चलते डर बना हुआ है।
अरथूना के अनेलीपाड़ा स्कूल भवन और बरामदे की पटि्टयां टूटी
बांसवाड़ा. खांदू कॉलोनी स्कूल की जर्जर छत।
परतापुर. अरथूना ब्लॉक में ग्राम पंचायत भतार के अनेली पाड़ा का प्राथमिक स्कूल भवन जर्जर है। यहां पर एक से 5वीं तक के स्कूल में कुल 36 बच्चों का नामांकन है। यहां पर 2 कमरे हैं, लेकिन इन कमरों का बरामदा खस्ताहाल है। ब्लॉक शिक्षा अधिकारी सुरेश पाटीदार ने बताया की यहां पर तीसरा रूम बन रहा है पर कई सालों से अधूरा पड़ा है। जर्जर स्कूल भवन की जानकारी उच्चाधिकारियों को दे दी है।