46 ट्रक चालक और सहयोगी गिरफ्तार, चालक बोले-तस्कर बताकर मारपीट की, नकदी छीनी

बांसवाड़ा गौ तस्करी की आशंका पर बांसवाड़ा में हुए हंगामे के 6 दिन बाद भी कोई खरीदार छुड़ाने के लिए सामने नहीं आया है, लेकिन नागौर प्रशासन से खरीदारों ने गोवंश को छुड़ाने का आग्रह किया है। फिलहाल इस मामले में नागौर और रतलाम प्रशासन में तालमेल की कमी नजर आ रही है। नागौर प्रशासन का कहना है कि मेले में सभी गोवंश कानूनी प्रक्रिया पूर्ण कर खरीदे गए। जिन्हें परमिट भी दिया था। इससे पहले भी गोवंश मध्यप्रदेश भेजे हैं, जबकि रतलाम प्रशासन ने रूट परमिट नहीं होने का हवाला देकर एंट्री देने से इनकार कर दिया। अब इन्हीं वजह से यह सारी गफलत की स्थितियां बनी और 388 गोवंश गोशालाओं में स्थानांतरित करनी पड़ी है, जबकि बांसवाड़ा में हंगामे के बाद खरीदे हुए 400 और गोवंश अब भी नागौर में ही अटके हुए हैं। नागौर प्रशासन इन्हें गोशालाओं में सुरक्षित स्थानांतरित कर सकता है। इधर, बांसवाड़ा पुलिस अलग-अलग थानों में प्रकरण दर्ज कर अब तक 46 ट्रक चालक और सहयोगियों को धारा 9, 10 राजस्थान गोवंश अधिनियम 1955 और धारा 11 (घ) पशु क्रूरता अधिनियम 1960 में गिरफ्तार कर चुकी है। इनमें से सदर थाना पुलिस 32, घाटोल में 5 और कोतवाली पुलिस 9 चालक और सहयोगियों को गिरफ्तार कर चुकी है। सभी ट्रक भी जब्त हैं। ऐसी स्थिति में पुलिस प्रकरण दर्ज होने और गिरफ्तारियां होने से अब मामला कोर्ट तक जाएगा।
ऐसे में गोवंश रिलीज होने को लेकर संभवत: अंतिम फैसला कोर्ट से होना संभव है। गौरतलब है कि नागौर के मेड़तासिटी में पशु मेले से करीब 800 गोवंश खरीदे थे। जिनमें से 400 के करीब गोवंश को 52 ट्रकों से बांसवाड़ा से होते हुए मध्यप्रदेश ले जाने की सूचना पर गौ तस्करी की आशंका पर 13 अप्रैल को गौ सेवकों ने जगह-जगह गोवंश के परिवहन पर एतराज जताया। मध्यप्रदेश बॉर्डर पर सैलाना प्रशासन ने रूट परमिट नहीं होना बताकर गोवंश से भरे ट्रकों को एंट्री देने से इनकार कर दिया। इसके बाद 46 वाहनों में 390 गोवंश छुड़ाया गया। इनमें से 3 गोवंश की मौत हो गई। फिलहाल 387 गोवंश को जिले की 5 गोशालाओं में स्थानांतरित किया गया है। ट्रकों में गोवंश को क्षमता से अधिक वाहन में भरना भी पाया था। नागौर कलेक्टर अर्जुन पुरोहित ने बताया कि मेले से खरीदे गोवंश को मध्यप्रदेश में जहां ले जाना था, वहां तक का रूट परमिट दिया हुआ था। 800 गोवंश एमपी ले जाने थे, लेकिन हंगामे के बाद बाकी 400 नागौर में ही हैं। जहां तक गोवंश को खरीदने की मंशा है तो इन्हें घरेलू, कृषि और डेयरी के लिए इस्तेमाल करने की मंशा से किसान मेले में आते हैं।
इधर, सदर थाने में गिरफ्तार ट्रक चालकों ने पूछताछ में बताया कि घटना के दिन उनके साथ मारपीट हुई थी। हमलावरों ने उनसे मारपीट कर नकदी छीनी। उनके ट्रकों के रस्से और तिरपाल निकाल लिए। हालांकि अभी ट्रक चालकों की ओर से कोई रिपोर्ट नहीं दी है लेकिन पुलिस अब इस दिशा में भी जांच कर सकती है। थानाधिकारी बुधाराम बिश्नोई ने बताया कि प्रकरण में 32 ट्रक चालकों को गिरफ्तार किया है। पूछताछ में 4 से 5 ट्रक चालकों ने घटना के दिन उनसे मारपीट होने और लूट होने की शिकायत की है। चालकों ने बताया कि कुछ लोगों ने उन्हें गौ तस्कर बताया, इससे वह मानसिक तनाव में है। प्रकरण की जांच की जा रही है।
इन सभी को रूट परमिट दिया हुआ था। इसके बावजूद एमपी प्रशासन ने एंट्री नहीं दी गई। ^राजस्थान से गोवंश मध्यप्रदेश लाया जा रहा था। पूरा रूट परमिट लेकर खरीदार गोवंश लेकर आए तो हमें कोई दिक्कत नहीं है। गोवंश परिवहन से संबंधित दस्तावेजी प्रक्रिया पूरी करनी होगी। -राजेश बाथम, कलेक्टर, रतलाम, मध्यप्रदेश
