ओवरलोड बजरी के 50 ट्रकों को गुजरात बॉर्डर पार कराने के लिए अफसर हर माह ले रहे ~2.50 लाख की रिश्वत

तस्करी का रुट...सभी ट्रक और डंपर रात को ही गुजरात के छोटा उदयपुर, देवगढ़ बारिया, लीमखेड़ा, लिमड़ी, झालोद होते हुए मोनाडूंगर से पहुंचते हैं बांसवाड़ा
सुप्रीम कोर्ट से राजस्थान में बजरी खनन के लिए भले ही छूट दे दी हो, लेकिन बांसवाड़ा में रोजाना 50 ट्रक बजरी से ओवरलोड भरे हुए पहुंच रहे हैं। राजस्थान से गुजरात तक पुलिस और खनिज विभाग के अधिकारियों की आेर से 5 हजार प्रति ट्रक रिश्वत लेकर माफियाओं को छूट दी जा रही है। यानी अफसर हर माह 2.50 लाख रुपए सिर्फ बजरी माफियाओं से ले रहे हैं। भास्कर पड़ताल में सामने आया कि माफियाओं ने पुलिस पर नजर रखने के लिए 30 वाट्सएप ग्रुप बना रखे हैं। जो पीछे आने वाले ट्रकों के चालकों को फोन पर इसकी जानकारी देते हैं कि आगे पुलिस की गाड़ी खड़ी है या नहीं। इन दिनों तस्करी इसलिए बढ़ गई है, क्योंकि ज्यादातर पंचायतों में सीसी सड़कें बन रही हैं। सीवरेज का काम चलने के कारण यहां डिमांड भी ज्यादा है। इसके अलावा बांसवाड़ा की स्थानीय नदियों में इतनी साफ रेत नहीं होती है। यहां मिट्टी मिली रेत मिलती है, उसे साफ करने का खर्च और बढ़ जाता है।
कार्रवाई की जाएगी अवैध रेती परिवहन पर हम समय-समय पर कार्रवाई करते हैं। मुझे ज्वाॅइन किए दाे महीने हुए हैं। अगर तस्करी हाे रही है ताे निश्चित ही कार्रवाई की जाएगी। विजयसिंह गुर्जर, एएसपी, झालाेद
डिमांड दोगुनी हुई...ज्यादातर पंचायतों में सीसी सड़क का काम हो रहा, कई जगह ब्लॉक लगाकर सड़कें बना रहे
{प्रदेश में पहले बजरी खनन पर छूट होने के चलते पहले वागड़ में गुजरात से बजरी लाने का चलन था। इसलिए यहां के माफिया पहले से सक्रिय हैं। अब सुप्रीम कोर्ट से छूट बजरी खनन की मिलने के बाद यही माफिया अब ओवरलोडिंग बजरी ला रहे हैं। जिसका कमीशन दे रहे हैं।
{बांसवाड़ा में अचानक बजरी की डिमांड इसलिए दोगुनी हो गई है। क्योंकि यहां ज्यादातर पंचायतों सीसी सड़क का काम किया जा रहा है। कई जगह ब्लॉक लगाकर सड़कें बनाई जा रही है। दोनों ही जगह भारी मात्रा में बजरी की जरूरत होती है।
{पहले बांसवाड़ा में औसत 20 से 30 ट्रक बजरी आते थे। लेकिन अब कंस्ट्रक्शन का काम बढ़ने से रोजाना करीब 50 ट्रक बजरी लाई जा रही है।
गुजरात से ही बजरी की तस्करी क्यों?
बांसवाड़ा से गुजरात बॉर्डर नजदीक, वहां रेत में मिट्टी कम, गुणवत्ता अच्छी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राजस्थान में बजरी का खनन शुरू हो चुका है। बांसवाड़ा के लिए सबसे बड़ी समस्या है कि प्रदेश के अन्य जिलों से यहां की कनेक्टिविटी ज्यादा अच्छी नहीं है। ऐसे में वहां से बजरी लाना महंगा होता है। बांसवाड़ा में स्थानीय बजरी में मिट्टी ज्यादा मिली होती है। जिसे साफ करके बेचने में मेहनत पर ज्यादा रुपए खर्च होते हैं। क्योंकि गुजरात सटा है और वहां से कम मिट्टी, गुणवत्ता वाली बजरी मिल जाती है। वो भी कम दाम में। लेकिन उसमें ज्यादा कमाई के लिए ओवरलोड कर लाया जाता है।
बांसवाड़ा में जितनी मात्रा में जरूरत, उतनी बजरी स्थानीय नदियों में नहीं
बांसवाड़ा में जितनी मात्रा में बजरी की जरूरत है। उतनी मात्रा में बजरी उपलब्ध नहीं होती है। न ही यहां की नदियों में इतनी मात्रा में बजरी है। ऐसे में गुजरात से बजरी लाना सस्ता और किफायती साबित होता है।
गुजरात में एक टन की कीमत 450, बांसवाड़ा में 1100 रुपए में बिक रही
बांसवाड़ा में बजरी प्रति टन 1100 रुपए मिल रही है। जबकि गुजरात में यह 450 रुपए में। रेती से भरे एक ट्राेले में औसत 25 से 30 टन रेती भरी हाेना भी मान लें ताे एक ट्राेले की कीमत 1100 रुपए प्रति टन के हिसाब से 33,000 रुपए तक में बिकता है। इस हिसाब से 50 ट्राेले की बात करें ताे यह अवैध काराेबार 16 लाख रुपए से भी ज्यादा का हाे जाता है।
