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हर माह रिश्वत के दो लाख रुपए से ज्यादा आपस में बांट रहे तहसीलदार और रीडर

हर माह रिश्वत के दो लाख रुपए से ज्यादा आपस में बांट रहे तहसीलदार और रीडर
@HelloBanswara - -

गढ़ी के नायब तहसीलदार गुलाबसिंह का आरोप, तहसीलदार की अनुपस्थिति में भी होती है रजिस्ट्री और कन्वर्जन  
दो माह पहले गिरदावर को एसीबी ने पकड़ा, अब तहसीलदार और रीडर पर आरोप 

गढ़ी तहसील में करीब दो माह पहले एसीबी की कार्रवाई में रंगे हाथों रिश्वत लेते पकड़े गए गिरदावर के बाद तहसीलदार पर भी हर माह 2 लाख से रुपए से ज्यादा बतौर रिश्वत लेने के आरोप लगे हैं। यह आरोप किसी कर्मचारी या ग्रामीण की ओर से नहीं बल्कि नायब तहसीलदार ने ही लगाए है। नायब तहसीलदार गुलाबसिंह ने बताया कि तहसीलदार गोपाल बंजारा और रीडर मंदोर गवारिया हर माह 2 लाख से ज्यादा रुपए भ्रष्टाचार कर अपनी जेब में भरते हैं। दोनों के ही द्वारा यहां रजिस्ट्री कराने आने वाले लोगों से 2 हजार रुपए प्रति रजिस्ट्री और 10 से 15 हजार रुपए प्रति कन्वर्जन के अतिरिक्त वसूले जाते हैं। नियमानुसार जो शुल्क लगता है, वो अलग होता है। इस राशि में रीडर के अलावा कंप्यूटर ऑपरेटर का भी हिस्सा होता है। गढ़ी तहसील में हर माह 70 से अधिक रजिस्ट्रियां होती हैं और 15 से ज्यादा कन्वर्जन कराए जाते हैं। इस हिसाब से यह राशि प्रति माह दो लाख रुपए से ज्यादा की होती है। उन्होंने कि अगर यहां जांच की जाए तो सारा मामला सामने आ जाएगा। गौरतलब है कि यहां पर पहले भी तहसील कार्यालय में म्यूटेशन खोलने की एवज में गिरदावर डडूका निवासी राजेंद्र को एसीबी ने रंगे हाथों पकड़ा था। 

पैसे दो किसी को तहसील आने की जरूरत नहीं, रजिस्ट्री हो जाएगी 

रजिस्ट्री कराने के लिए खातेदार जितने भी हो उन सभी के साथ खरीदने वाले क्रेता, दो गवाह के आधार कार्ड, फोटो और जरूरी कागज तहसीलदार के सामने पेश करने होते हैं। इसके अलावा सभी को तहसीलदार के समक्ष पेश होता होता है। तहसीलदार की गैर मौजूदगी में यह काम नायब तहसीलदार करता है। लेकिन गढ़ी में रीडर ही इन पूरे कामों को कर रहा है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि खरीदार और गवाह मौके पर नहीं होने के बावजूद रजिस्ट्री हो जाती है और यह काम लंबे समय से चल रहा है।

तहसीलदार थे ही, रजिस्ट्री होती रही : नायब तहसीलदार के आरोप पर भास्कर की पड़ताल में सामने आया कि यहां पर हर काम नियमों के विरुद्ध होता है। तहसीलदार ने सभी पावर अपने रीडर को दे रखे हैं। तहसीलदार की अनुपस्थिति में उसके द्वारा ही रजिस्ट्रियां की जाती है। यहां पर 16 और 17 अप्रैल को 13 रजिस्ट्रियां हुई है जबकि दो दिनों से तहसीलदार चुनावी ड्यूटी बांसवाड़ा में दे रहे हैं। स्टाफ ने भी बताया कि तहसीलदार सुबह सवा दस बजे ही बांसवाड़ा निकल गए थे। इसके बाद यहां रजिस्ट्री की गई। 

तहसीलदार से आकर बात करना- रीडर : इस मामले के सामने आने के बाद रीडर से बात की तो बताया कि तहसीलदार साहब सुबह सभी मार्क कर जाते हैं, जिसके बाद ही रजिस्ट्री करता हूं। साहब अभी आ रहे हैं उनसे आगे की बात कर लेना। 

जो आरोप लगाए जा रहे है वो पूरी तरह से गलत हैं। ऐसा कुछ भी नहीं है। तहसीलदार की मार्किंग के बाद ही रजिस्ट्री और कन्वर्जन के काम होते हैं। आरोप निराधार है। ऐसा कुछ छापना मत, कल बांसवाड़ा आकर बात करते हैं। गोपाल बंजारा, तहसीलदार, गढ़ी 

 

By Bhaskar

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