दावा: एमजी अस्पताल से डूंगरपुर की फर्म बायोवेस्ट उठा रही हकीकत: डंपिंग यार्ड में खुले में फेंक रहे, कुत्ते-मवेशी खा रहे
एमजी अस्पताल में बायोवेस्ट के निस्तारण के लिए सालाना 6.72 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं। डूंगरपुर की ई-टेक प्रोजेक्ट कंपनी को बायोवेस्ट ले जाकर निस्तारण का ठेका दिया है। इसके बावजूद मौके पर यह बायोवेस्ट नगर परिषद के ट्रैक्टर के जरिये भंडारिया डपिंग यार्ड में खुले में फेंका जा रहा है। जहां कुत्ते और मवेशी इन पीली, नीली थैलियों में बंद अपशिष्ट को नोंच रहे हैं।
खुले में बायोवेस्ट को फेंकने से शहर में संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है। भास्कर रिपोर्टर ने 7 दिनों तक अस्पताल में बायोवेस्ट निस्तारण प्रक्रिया की निगरानी की तो ट्रैक्टर से डंपिंग यार्ड में फेंकन का सच सामने आया। कंपनी से करार के तहत रोजाना 1 हजार 850 रुपए बायोवेस्ट निस्तारण के रूप में दिए जा रहे हैं। जिसके तहत कंपनी को मेडिकल वेस्ट के रूप में पीली, नीली थैली और अन्य कचरा ले जाना तय है। इसके लिए कंपनी की ओर से तय दिन में गाड़ी लगाकर वेस्ट को ले जाना है। इसके लिए मोर्चरी के नजदीक एक स्टोर रूप भी बनाया है।
^बायोवेस्ट को खुले में रखने से जीवाणु सांस के साथ शरीर में चले जाते हैं। इससे चर्म रोग और आंखों के इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। वेस्ट जलने से जहरीली गैस बनती है। जिससे भी बीमारियां फैलती है। अगर इन्हें खुले में साधारण कचरे के साथ जलाने पर वातावरण प्रदूषण के साथ ही में जहरीला धुंआ निकलता है जिससे दम घुटने एवं संक्रमण फैलने का खतरा रहता है।
- डॉ. मयंक शर्मा, एमडी
फिजिशियन अस्पताल में मेडिकल वेस्ट और बॉयावेस्ट को अलग-अलग इकट्ठा किया जाना है लेकिन मेडिकल और बायोवेस्ट को एक साथ जमा कर रहे हैं। नगर परिषद की ओर से ले जाए जाने वाले कचरे को साधारण कचरा बताया जाता है लेकिन इसमें बड़ी मात्रा में बायोवेस्ट होता है। वहीं ईटेक कंपनी के अधिकारी आकाश श्रीमाली का कहना है कि वह रोज बायोवेस्ट उठा रहे हैं।
सामान्य कचरे और बायोवेस्ट को अलग-अलग करना अस्पताल प्रबंधन का जिम्मा। ^महात्मा गांधी अस्पताल पीएमओ डॉ.खुशपाल सिंह राठौड़ ने बताया कि मेडिकल वेस्ट और बायोवेस्ट का टेंडर अलग-अलग है। डूंगरपुर की कंपनी को बायावेस्ट ले जाना है। अगर फिर भी मेडिकल और बायोवेस्ट एक साथ डाला जा रहा है तो इसे दिखवाता हूं। इसमें प्रभाव में मॉनिटरिंग बढ़ाकर सुधार करवाया जाएगा। संबंधित कर्मचारियों को पाबंद करेंगे। -डॉ. खुशपालसिंह राठौड़, पीएमओ, एमजी अस्पताल