बांसवाड़ा को संभाग बनाया अब रेल भी चला दीजिए:2082 करोड़ का प्रोजेक्ट अब 6 हजार करोड़ पार, जहां 59.60 करोड़ मुआवजा दे चुके
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बांसवाड़ा को संभाग बना दिया गया है, लेकिन यहां के रेल प्रोजेक्ट पर बड़ा संकट दिख रहा है। डूंगरपुर-रतलाम वाया बांसवाड़ा प्रोजेक्ट की लागत 2082 करोड़ से 6 हजार करोड़ तो पार हो ही चुकी है, इसके उलट रेलवे ने 59.60 करोड़ की लागत में जो 175.56 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की वहां बड़ी संख्या में फिर से कब्जे हो गए। यहां मकान खेतों के साथ ईंट-भट्टे लग गए हैं। 176.83 करोड़ रुपए खर्च कर बने आरओबी-आरयूबी के स्ट्रक्चर कई जगह बदहाल स्थिति में है। इन पर 50 से 60 करोड़ रुपए फिर से खर्च करने पड़ेंगे। कई जगह लाेहा व अन्य समान चोरी हो चुका है। डूंगरपुर में तो लोगों ने सीमांकन तक हटा दिए हैं।
लोग वर्तमान दर से मुआवजे और मकान की मांग कर रहे हैं। बड़ा झटका मुआवजे का भी है। अभी 1536 हैक्टेयर जमीन का मुओवजा बंटना बाकी है। बांसवाड़ा, परतापुर-गढ़ी, सागवाड़ा के जिन 30 गांवों में अवार्ड जारी होना है वहां 10 साल में डीएलसी दर दाेगुना तक बढ़ चुकी है। इसका असर यह है कि प्रोजेक्ट में जो 154 करोड़ रुपए की अवार्ड राशि सामने आई थी, अब वह 350 कराेड़ तक चली जाएगी। डूंगरपुर माल गांव में 2012 में 1.98 लाख प्रति बीघा डीएलसी थी, अब 3.26 लाख बीघा हाे गई। 2011 में बांसवाड़ा के झूपेल में 60500 और गणऊ में 27500 प्रति बीघा दर थी, अब झूपेल में यही जमीन 1,19,773 और गणऊ में 52,030 रुपए प्रति बीघा हाे गई है।
प्रोजेक्ट में कुल 1712 हैक्टेयर भूमि अवाप्त होनी है, इसमें राजस्थान में डूंगरपुर-बांसवाड़ा में 99 गांवों की 1282 हैक्टेयर जमीन आ रही है। इसमें डूंगरपुर शहर, बांसवाड़ा शहर व आबापुरा के आसपास की कुल 175.56 हेक्टेयर जमीन अवाप्त हो चुकी है। जिस पर 59.60 करोड़ रुपए का मुआवजा बांटा गया। भास्कर टीम ने झूपेल के आसपास के गांवों में अवाप्त की गई जमीनों की स्थिति देखी। यहां लोगों ने रेलवे जमीन पर फिर से मकान बना लिए हैं। ट्रैक के दोनों और मक्के और कपास की खेती हो रही है।
थोड़ा आगे बड़े तो सीमांकन वाले क्षेत्र में ईंट के भट्टे लगे हुए थे। ट्रैक के लिए जो मिट्टी बिछाई गई थी, वहां बड़े-बड़े गड्ढे हो गए है, मिट्टी निकालने से स्ट्रक्चर कमजोर हो गए हैं। आरयूबी के स्ट्रक्चर की हालत भी ठीक नहीं थी। अवाप्त जमीन पर मकान बना कर रह रही झूपेल की देवकी ने कहा कि हमें सिर्फ जमीन का पैसा मिला, मकान का पैसा नहीं मिला। मकान के बदले में मकान मिलने पर ही जमीन छोड़ेंगे वरना नहीं। मणिलाल ने कहा कि उनकी जमीन पर बोर-कुआं है, उनका मुआवजा नहीं मिला है।
हमें आज की तारीख से मुआवजा देना होगा, तभी जमीन छोड़ेंगे। गरोड़ीपाड़ा के कैलाश डिंडोर बोले कि घर के बदले घर चाहिए या इसका पूरा पैसा मिले। डूंगरपुर से करीब 20 किमी दूर आसपुर राेड पर खेडा गांव में रेलवे ब्रिज स्ट्रक्चर के पास बने मकान के मालिक कल्याणमल पाटीदार ने बताया कि उसकाे जमीन व खेत का 80 प्रतिशत मुआवजा राशि मिल चुकी है लेकिन मकान का मिलना बाकी है। उसके बाद ही जमीन देंगे डूंगरपुर के आसपुर राेड पर खेडा गांव में रेलवे ब्रिज स्ट्रक्चर के पास निर्माणाधीन अतिक्रमण और अवाप्त जमीन पर बना मकान। (इनसेट) बांसवाड़ा के झूपेल में रेलवे की अवाप्त जमीन पर हो रही खेती।
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2019 से प्रोजेक्ट फ्रीज, इस बार भी केंद्र सरकार ने बजट में दिए सिर्फ 5 करोड़
31 मई 2011 को हुए एमओयू के अनुसार एमपी में आने वाली जमीन को छोड़कर प्रोजेक्ट लागत का 50 प्रतिशत राजस्थान सरकार एवं 50% रेलवे द्वारा वहन किया जाएगा। लेकिन 2019 में जब एस्टीमेट रिवाइज हुआ तो राज्य सरकार अपना हिस्सा देने से मुकर गई। 2019 में ही रेलवे ने रतलाम सैलाना में उपमुख्य अभियंता कार्यालय को बंद कर परियोजना का फ्रीज कर दिया। इस बजट में भी प्रोजेक्ट में सिर्फ पांच करोड़ रुपए दिए, ताकि यह जीवित रहे।
- डूंगरपुर-बांसवाडा के कुल गांव-99
- कुल अनुमाेदित- 59
- अनुमाेदन से शेष- 10
- अवार्ड जारी हाेने से शेष-30
191.74 किमी डूंगरपुर-रतलाम वाया बांसवाड़ा रेल परियोजना की लंबाई
192 किमी रेल लाइन में ब्रिज 260 से ज्यादा 52 से ज्यादा छोटी पुलिया बनेगी। कई स्ट्रक्चर बन चुके
2082.75 करोड़ रुपए लागत 2011 में शिलान्यास। 2017-18 में रिवाइज एस्टीमेट में 4262 करोड़ लागत हुई। राज्य सरकार का बजट से इनकार।
- 2019 में रेलवे ने परियोजना फ्रीज कर रतलाम सैलाना में उपमुख्य अभियंता कार्यालय बंद किया।
- गुजरात और दिल्ली-मुंबई से जुड़ेंगे बांसवाड़ा-डूंगरपुर...192 किमी लंबी डूंगरपुर-बांसवाड़ा-रतलाम रेल परियोजना पर 17 रेलवे स्टेशन प्रस्तावित है। इसके पूरा होने से क्षेत्र की कनेक्टिविटी दिल्ली व मुंबई से हो जाएगी। वाया अहमदाबाद होकर मुंबई से जुड़ेगा और वाया जयपुर होकर दिल्ली से। अभी डूंगरपुर, बांसवाड़ा व रतलाम क्षेत्र के आदिवासी आपस में बस मार्ग से जुड़े हैं। बांसवाड़ा को थर्मल प्लांट के कोयला की रैक आसानी से मिलना शुुरू हो जाएगी। बांसवाड़ा के पास रतलाम-दोहाद क्षेत्र में दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कोरिडोर प्रस्तावित है। ऐसे में रेलवे लाइन से फायदा मिलेगा।