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मनमानी:कोरोनाकाल में जीजीटीयू ने तीन जिलों के 136 कॉलेजों के एफिलिएशन फीस पर लगाया 18% जीएसटी, असर-50 हजार स्टूडेंट्स को ज्यादा शुल्क देना होगा

Banswara
मनमानी:कोरोनाकाल में जीजीटीयू ने तीन जिलों के 136 कॉलेजों के एफिलिएशन फीस पर लगाया 18% जीएसटी, असर-50 हजार स्टूडेंट्स को ज्यादा शुल्क देना होगा
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कोरोनाकाल के बीच गोविंद गुरु जनजातीय यूनिवर्सिटी ने डूंगरपुर, बांसवाड़ा व प्रतापगढ़ जिले के 120 कॉलेजों पर 18 प्रतिशत जीएसटी लागू कर दी है। इसके चलते कॉलेजों को सत्र 2022-23 के लिए विभिन्न यूजी, पीजी व डिप्लोमा काेर्स के एफिलिएशन के लिए अब जीएसटी की राशि जमा करानी हाेगी। इसका सीधा असर तीनाें जिलाें के करीब 50 हजार स्टूडेंट्स पर हाेगा। क्याेंकि-काॅलेज यह राशि स्टूडेंट्स से फीस बढ़ोतरी के रूप में वसूल करेंगे।

राज्य सरकार से मान्यता मिलने के बाद सभी निजी काॅलेज को हर साल निर्धारित यूनिवर्सिटी से प्रत्येक सत्र की संबद्धता लेनी होती है। कला संकाय के तहत 80 सीट के एक इंटेक के लिए 80 हजार, 15 हजार रुपए इंस्पेक्शन फीस तथा एक हजार आवेदन शुल्क जोड़कर कुल 96 हजार की राशि यूनिवर्सिटी में जमा करवानी होती है।

इसी प्रकार बीएससी के लिए 70 हजार, बीकॉम के लिए 40 हजार, बीएड और इंटिग्रेटेड कोर्स के लिए 1.50 लाख रुपए है। वहीं, पीजी कोर्स के लिए 30 हजार एफिलिएशन फीस निर्धारित हैं। इंस्पेक्शन और आवेदन शुल्क अलग से है, लेकिन अब इन सभी कोर्स पर एक इंटेक के लिए 18 प्रतिशत जीएसटी यूनिवर्सिटी अलग से लेगी।

बीए के लिए 14,400, बीएससी के लिए 7,200, बीएड के लिए 9 हजार रुपए जीएसटी देना होगा

{बीए की 80 हजार की एफिलिएशन फीस पर 14 हजार 400 रुपए की जीएसटी, बीएससी के 70 सीट के एक इंटेक के लिए 7 हजार 200 रुपए, बीएससी कंप्यूटर साइंस के 70 सीट के एक इंटेक पर 7 हजार 200 रुपए, बीबीए की 60 सीट के एक इंटेक पर 7 हजार 200 रुपए की जीएसटी देना हाेगी।

बीएड की डेढ़ लाख की एफिलिएशन फीस पर 27 हजार रुपए, इंटिग्रेटेड बीए, बीएड, बीएससी, बीएड के लिए 27 हजार जीएसटी, बीसीए 40 सीट के एक इंटेक पर 9 हजार का जीएसटी देना हाेगा। पीजी काेर्स की बात करें ताे एमए, एमकाॅम, एमएससी प्रत्येक सबजेक्ट 40 सीट के इंटेक पर 5 हजार 400 रुपए, पीजीडीसीए 30 सीट के इंटेक पर पांच हजार 400 रुपए की राशि जीएसटी के रुप मेें काॅलेजाें काे यूनिवर्सिटी काे देनी हाेगी।

आदेश के खिलाफ कोर्ट में जाएंगे : सचिव

ट्राइबल एरिया प्राइवेट कॉलेज वेलफेयर सोसायटी के सचिव शरद जाेशी का कहना कि कोरोना के चलते पहले ही मुश्किलें बढ़ी हुई है। ऊपर से यूनिवर्सिटी ने जीएसटी लगाकर काॅलेज और उसमें अध्ययनरत हजारों छात्रों के साथ अन्याय किया है। हमनें आर्थिक परिस्थितियों से विश्वविद्यालय प्रबंधन को अवगत करवाया है।

साथ ही एफिलिएशन से जुड़े नए सर्कुलर का भी वकील के माध्यम से अध्ययन करवा रहे हैं। यूनिवर्सिटी द्वारा एफिलिएशन से जीएसटी नहीं हटाने पर कोर्ट की शरण लेने का निर्णय कार्यकारिणी ने लिया है। साथ ही सब निजी काॅलेज अपनी शैक्षणिक फीस बढ़ाने को मजबूर होंगे।

जीएसटी के आर्टिकल 66 के अनुसार स्कूल कॉलेज जीएसटी फ्री

निजी काॅलेज संचालकाें का कहना है कि आर्टिकल 66 अंतर्गत हैडिंग पैरा 9992 में शैक्षणिक संस्थानों से जीएसटी नहीं लेना उल्लेखित है। चूंकि स्कूल या कॉलेज संस्थान के अधीन नो लॉस नो प्रॉफिट के नियम पर संचालित होते हैं, ऐसे में इन्हें जीएसटी से राहत दी गई है। इस मामले को लेकर पूर्व में अलग-अलग राज्यो में शैक्षणिक संस्थानों द्वारा दायर कोर्ट केस के बाद फैसला भी हुआ है। सत्र 2022-23 के लिए यूनिवर्सिटी ने एफिलिएशन के लिए जीएसटी का नियम लागू करके आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के अध्ययनरत छात्रों की मुश्किलें बढ़ाने वाला कदम उठाया है।

नए नियम में जीएसटी ले सकते हैं : वित्त नियंत्रक

इस बार से काॅलेजाें काे एफिलिएशन फीस के साथ जीएसटी देना हाेगा। यह अधिकतम 18 प्रतिशत हाेगा। साल 2018 में नए नियमों में जीएसटी अा गया था। एफिलिएशन की सर्विसेज व अन्य कई बाताें काे लेकर कन्फ्यूजन था, सुखाड़िया यू्निवर्सिटी की तरफ से जीएसटी लिया जा रहा है। अब यहां पर भी इसे लागू कर दिया है। -साेहन सिंह, वित्त नियंत्रक, जीजीटीयू बांसवाडा।

मेडिकल-डेंटल काॅलेज ने किया था रिफंड : जैन

हेल्थ काॅलेज जिसमें मेडिकल काॅलेज व डेंटल काॅलेज चलते हैं। उन्हाेंने दाे साल पहले जीएसटी ले लिया था। उनकाे भी रिटर्न करना पड़ा। स्कूल, काॅलेज से जीएसटी नहीं ले सकते हैं। मीटिंग की गई है। यह निर्णय गलत है। यदि काेर्ट में जाना पड़ेगा ताे काेर्ट भी जाएंगे। -अभिषेक जैन, अरावली काॅलेज, बांसवाड़ा

छात्रहित में लेंगे निर्णय : कुलपति

जीएसटी का प्रावधान हैं या नहीं यह ताे वित्त नियंत्रक बता सकते हैं। अगर शैक्षणिक संस्थान जीएसटी के दायरे नहीं हैं ताे बिल्कुल इसे हटा दिया जाएगा। मंगलवार को विश्वविद्यालय जाकर इस संबंध में जानकारी लेकर छात्र हित में निर्णय लिया जाएगा। -प्राे. आईवी त्रिवेदी, कुलपति, जीजीटीयू

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