शटडाउन के बाद भी शुरू की सप्लाई, लाइनमैन खंभे पर ही चिपका, साढ़े पांच घंटे तक नहीं उतारा शव
शहर से 10 किमी दूर चिड़ियावासा में गुरुवार को डिस्कॉम की लापरवाही से फॉल्ट ठीक कर रहे एक लाइनमैन की करंट लगने से मौत हो गई। इससे भी बड़ी बेपरवाही ये रही कि हादसे के 4 घंटे बाद भी लाइनमैन का शव उतारने डिस्कॉम के अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे। इससे गुस्साए समाजजन और ग्रामीणों ने स्टेट हाइवे 32 पर जाम लगा दिया। गुस्साए लोग अधिकारियों को मौके पर बुलाने की मांग पर अड़ गए। करीब ढाई घंटे की समझाइश के बाद जाम खुला। हादसे में लाइनमैन सुरपुर निवासी 35 वर्षीय नटवरलाल पुत्र प्रेमजी यादव की
मौत हुई है। रात 12 बजे शव को नीचे उतारा।
गांव में शाम 5 बजे एकाएक बिजली सप्लाई बंद हो गई। इस पर लाइनमैन नटवरलाल ने 6 बजे चिड़ियावासा और शिवपुरा का शटडाउन लिया। अपने एक साथी कार्मिक की मदद से लाइनमैन चिड़ियावासा-सुरपुर क्रासिंग पर खंभे पर चढ़ फॉल्ट ठीक कर रहा था तभी, एकाएक सप्लाई शुरू हो गई। जिससे करंट का झटका लगने से नटवरलाल खंभे पर चिपक गया। इसे देख नीचे खड़ा साथी चिल्लाया और मदद के लिए लोगों को बुलाया लेकिन तब तक नटवर की मौत हो चुकी थी। घटना की सूचना पर समाजजन और ग्रामीण मौके पर इकट्ठा हुए और रात 9 बजे बांसवाड़ा-उदयपुर हाइवे जाम कर दिया। इत्तला पर डीएसपी डिप्टी प्रभातीलाल सदर, लोहारिया, गढ़ी और कोतवाली का जाब्ता लेकर मौके पर पहुंचे। शट डाउन के बाद भी सप्लाई शुरू होने पर संबंधित अधिकारियों को मौके पर बुलाने की मांग पर अड़ गए। आखिर ढाई घंटे की समझाइश के बाद जाम खोला जा सका।
शाम 6 बजे की घटना, डर के कारण डिस्कॉम के अधिकारी रात 11 बजे तक नहीं पहुंचे मौके पर, पुलिस ने जेसीबी बुलाकर रात 12 बजे शव उतारवाया, सुरपुर का था लाइनमैन
शाम 6 बजे : शटडाउन लिया
6.30 बजे लाइनमैन पोल पर चिपका
रात 8 से 11 तक हाइवे जाम
रात 12 बजे शव पोल से उतारा
नारायण लाल के शव को रात को एमजी अस्पताल की मोर्चरी में रखा गया था। जहां से उसके जिंदा होने की असर में एक बार उसके परिजन व समाजजन फिर ट्रोमा वार्ड में लेकर कर आए। पार्षद देवबाला राठौड़ ने बताया कि नारायण के परिजनों का मानना था कि उसकी नब्ज चल रही थी, लेकिन डॉक्टरों ने जांच की तो ऐसा नहीं था। आखिरकार नारायण को मृत घोषित कर दिया गया।
लोगों के गुस्से को देखकर मौके पर नहीं पहुंचे
लोगों का गुस्सा इसलिए भी बढ़ गया क्योंकि, हादसे के बाद भी डिस्कॉम का कोई अधिकारी शव उतारने मौके पर नहीं आया। रात 9 बजे की घटना के बाद से शव खंभे पर ही चिपका रहा। हालांकि विभाग के एईएन और जेईएन मौके पर पहुंचे लेकिन लोगों के आक्रोश को देखते हुए वे कहीं नजर नहीं आए। पुलिस को भी ग्रामीणों की नाराजगी का सामना करना पड़ा।
हम जानकारी ले रहे हैं कैसे सप्लाई शुरू हो गई
फाल्ट ठीक करने के लिए पहले ही शटडाउन लिया था। सप्लाई कैसे शुरू हुई यह तो जांच के बाद ही कह सकते हैं। घटना के बाद हम मौके पर पहुंचे और शव को नीचे उतरवाया है। आरके मीणा, एईएन, डिस्कॉम
जानकारी मिली है कि घटना हुई है और मौके पर एईएन आर के मीणा, जेईएन जयंतीलाल गरासिया गए हैं, जिनसे रिपोर्ट ली जाएगी। उन्होंने बताया कि ये जांच का विषय है कि शटडाउन लेने के बावजूद बिजली सप्लाई किसने शुरू की। कमलेंद्र खोईवाल, अधिशासी अभियंता
नियम : लिखित में लेना होता है शटडाउन
विभागीय नियमों के अनुसार जिस पावर लाइन पर काम करना होता है, उस दौरान जिस जीएसएस से लाइन आ रही है। वहां पर लिखित में शटडाउन लिया जाता है। काम पूर्ण होने के बाद उस जीएसएस में सूचना दी जाती है। जिसके बाद पावर सप्लाई वापस शुरू कर दी जाती है। लेकिन यहां पर कर्मचारी इसे गंभीरता से नहीं लेते और काम शुरू करने से पहले मौखिक रूप से ही जीएसएस में सूचना दे देते हैं। ऐसे में कई बार असमंजस की स्थिति में ऐसे हादसे होते रहते हैं।