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बांसवाडा 10वीं बाेर्ड:दसवीं में बेटे और बेटियां बराबर, बांसवाड़ा में दोनों का रिजल्ट 79.35%, पिछले साल के परिणाम में 3.89 प्रतिशत बढ़ोतरी

Banswara
बांसवाडा 10वीं बाेर्ड:दसवीं में बेटे और बेटियां बराबर, बांसवाड़ा में दोनों का रिजल्ट 79.35%, पिछले साल के परिणाम में 3.89 प्रतिशत बढ़ोतरी
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राजस्थान बोर्ड में बांसवाड़ा का रिजल्ट 79.35 प्रतिशत रहा। इस बार जिले के रिजल्ट में आंकड़ाें का विशेष संयाेग देखने काे मिला है। कुल परिणाम के साथ छात्र और छात्राओं का रिजल्ट भी 79.35 प्रतिशत रहा। पिछले साल के परिणाम में 3.89 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई। इससे जिला प्रदेश में 29वें से 19वें पायदान पर पहुंच गया। इस बार 31251 विद्यार्थियाें ने परीक्षा दी थी, जिसमें 24798 विद्यार्थी पास हुए।

इसके अलावा बाेर्ड द्वारा प्रवेशिका का परिणाम भी जारी कर दिया गया है। जिसमें में जिले का 54.21 प्रतिशत रिजल्ट रहा। इस बार प्रवेशिका में 190 विद्यार्थी शामिल हुए थे, जिसमें 103 पास हुए हैं। परीक्षा में 98 छात्राें में 59 पास हुए, रिजल्ट 60.20 प्रतिशत रहा। वहीं छात्राओं का परिणाम 47.83 प्रतिशत हैं, 92 में से 44 छात्राएं पास हुई हैं।

10वीं में सबसे ज्यादा 13376 विद्यार्थी द्वितीय श्रेणी से पास
बांसवाड़ा जिले में रिजल्ट की क्वालिटी की बात करें ताे यहां हमेशा से ही सबसे ज्यादा विद्यार्थी द्वितीय श्रेणी से पास हाेते आ रहे हैं। इसके बाद तृतीय श्रेणी और फिर शेष विद्यार्थी प्रथम श्रेणी से पास हाे रहे हैं। इस बार पास हुए 24798 विद्यार्थियाें में सबसे ज्यादा 13376 विद्यार्थी द्वितीय श्रेणी से पास हुए हैं। 7 सालाें में पहली बार प्रथम श्रेणी से पास हाेने वाले विद्यार्थियाें की संख्या तृतीय श्रेणी से ज्यादा है। यानि प्रथम श्रेणी 6176 और तृतीय श्रेणी से 5246 विद्यार्थी पास हुए हैं।

छात्र-छात्राओं के परिणाम का विश्लेषण

इस बार बाेर्ड परीक्षा में 16612 छात्राें ने रजिस्ट्रेशन कराया था। जिसमें 15745 ने ही परीक्षा दी। इसमें 12494 छात्र पास हुए हैं, जिसका परिणाम 79.35 प्रतिशत है। 3080 छात्र प्रथम श्रेणी से पास हुए हैं। वहीं 6723 छात्र द्वितीय श्रेणी, 2691 तृतीय श्रेणी से पास हुए हैं। इस बार बाेर्ड परीक्षा में 16050 छात्राओं ने रजिस्ट्रेशन कराया, लेकिन परीक्षा 15506 ने ही दी। इसमें 12304 छात्राएं पास हुई हैं। इनका परिणाम भी 79.35 प्रतिशत ही रहा है। प्रथम श्रेणी से 3096, द्वितीय श्रेणी से 6653 और तृतीय श्रेणी से 2555 छात्राएं पास हुई।

मजबूती: 7 सालाें में 28.35% सुधरा परिणाम
हमारे लिए यह अच्छा है कि साल दर साल 10वीं बाेर्ड के परिणामाें में सुधार अाता जा रहा है। भास्कर ने पिछले 7 सालाें के परिणामाें का विश्लेषण किया ताे 28.35 प्रतिशत परिणाम सुधरा है। 2014 में 10वीं बाेर्ड का परिणाम 51 प्रतिशत था वाे अब 79.35 प्रतिशत हाे चुका है। सबसे बड़ी छलांग 2015 में 13 प्रतिशत अंकाें की लगाई थी। 2015 में परिणाम 51 से सीधा 64 प्रतिशत तक पहुंचा था। इसके बाद धीरे धीरे बढ़ाेतरी का क्रम सिलसिला जारी है।

15 साल का तुषार गले में लगी ट्यूब से ले रहा सासें, संक्रमण का खतरा फिर भी परीक्षा देने की जिद की, 67% बनाकर चाैंकाया

अगर आप किसी चीज काे पाने की जिद करते है ताे फिर तमाम बाधाओं के बाद भी उसे पा ही लेते है। ठीकरिया के 15 साल के तुषार जाेशी ने कुछ ऐसी ही जिद की और उसे पूरा भी किया। तुषार ने 10वीं में 67 प्रतिशत बनाए। तुषार काे यह परिणाम उसकी मां रजनी ने कान में बाेलकर सुनाया। तुषार सबग्लाेटीक स्टेनाेसिस बीमारी से ग्रसित है। इससे पीड़ित तुषार की सास लेने की नली 63 फीसदी सिकुड़ चुकी थी, जिससे जिंदा रहने के लिए तुषार के गले में एक खास तरह का ट्यूब लगाकर ऑक्सीजन पहुंचाई जा रही है। तुषार की दाे सर्जरी हाे चुकी है। बीते 16 महीने से तुषार का ज्यादातर वक्त अस्पतालाें बीता है।

ओपन सर्जरी हाेने से डाॅक्टराें ने उसे घर में भी कमरे से बाहर निकलने पर इंफेक्शन के खतरे की आशंका जताई थी। बावजूद तुषार ने 10वीं की परीक्षा दी। उसके पिता सतीश ने भी बेटे की इस ख्वाहिश काे पूरा करने में हर संभव मदद की। सतीश ने जब बेटे का परिणाम सुना ताे उनकी आंखें खुशी के आंसुओं से भर गई। तुषार वाॅलीबाॅल और खाे-खाे का अच्छा खिलाड़ी है। तुषार के पिता ने उसके लिए मुंबई में अपनी कैंटीन काे डेढ़ साल से छाेड़ दिया।

थैलीसिमिया के कारण जिंदगी से जंग लड़ रही शताक्शी ने हासिल की 85% अंकाें की सफलता

ठीकरिया की रहने वाली 15 साल की शताक्शी सिसाेदिया जिसे खुद अहसास नहीं की जिंदगी के लिए वाे जाे जंग लड़ रही है उसे उसमें सफलता मिलेगी या नहीं, फिर भी वाे अपने सपने काे पूरा करने के लिए अपनी गंभीर बीमारी की चुनाैती का भी सामना कर रही है। शताक्शी थैलीसिमिया नामक गंभीर बीमारी से ग्रसित है। उसके विक्रमसिंह सिसाेदिया ने बताया कि शताक्शी को हर 7 से 10 दिनाें में खून चढ़ाना पड़ता है।

उसने 10वीं बाेर्ड में 85 प्रतिशत अंक हांसिल किए। शताक्शी की मां सुधा सिसाेदिया ने बताया कि उसकी बेटी की लाइफ एक गाड़ी की तरह हैं, जिसमें जितना पेट्राेल भरेगा उतना चलेगा। शताक्शी काे यह बीमारी शुरू से ही है। वाे हमेशा कहती है कि मुझे किसी भी हाल में सरकारी नाैकरी करनी है। वाे शिक्षक बनना चाहती है। उसकी खुशी के लिए ही उसकी पढ़ाई जारी है।

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