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रबी की फसल में पीलापन बढ़ रहा है, फसलों में पीलिया रोग की आशंका, कृषि अनुसंधान केंद्र ने कहा डाइमिथाएट का करें छिड़काव

Banswara
रबी की फसल में पीलापन बढ़ रहा है, फसलों में पीलिया रोग की आशंका, कृषि अनुसंधान केंद्र ने कहा डाइमिथाएट का करें छिड़काव
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सोयाबीन पर येलो बेन वायरस का संकट:

रबी की फसल में शामिल सोयाबीन पर येलो बेन वायरस का संकट मंडरा रहा है। मानसून की बरसात के बीच खेतों में खड़ी सोयाबीन के पत्तों के पीले पड़ने की शिकायतंे बन रही हैं। स्थानीय भाषाओं में इसे पीलिया रोग भी कहा जाता है। इसकी वजह से फसल की पैदावार कम हो सकती है। इसके अलावा सोयाबीन के तने में मक्खी का प्रकोप, सफेद मक्खी, हरा तैला, चारकोल रोट, कॉलर रोट जैसी बीमारियां भी जोर पकड़ रही हैं। बांसवाड़ा, डूंगरपुर एवं प्रतापगढ़ जिले में इस संकट को देखते हुए कृषि अनुसंधान केंद्र बांसवाड़ा की ओर से किसानों को फसल बचाने के लिए आवश्यक निर्देश दिए गए हैं।


कृषि वैज्ञानिक डॉ. आर.के. कल्याण ने बताया कि फसल में सफेद मक्खी दिख रही है। यह मक्खी वायरस को जन्म देती है। इसके कारण पौधों की नई पत्तियां पीली एवं चितकबरी एवं सिकुड़ी हुई नजर आती है। हरा तैला बीमारी के बीच भी पौधों की पत्तियाें में पीलापन की शिकायत होती है। पत्तियां ऊपर की ओर मुड़ जाती हैं।


फसल के बचाव का तरीका
कृषि वैज्ञानिक की मानें तो फसलों में होने वाले नुकसान को रोकने के लिए डाइमिथोएटे 30 ईसी एक लीटर या प्रोफेनोफोस 50 ईसी 1.25 लीटर का किसानों को छिड़काव करना चाहिए। सफेद मक्खी की अधिकता को रोकने के लिए थायोमिथोक्साम 25wg@100 ग्राम/ हैक्टेयर या पूर्व मिश्रित थायोमिथोक्साम के साथ लेम्डा साइहैलथ्रीन 125 एमएमल प्रति हैक्टेयर का छिड़काव किया जा सकता है।


पानी ज्यादा तो चारकोल
लगातार बारिश के कारण खेतों में पानी भरने की समस्या के साथ चारकोल रोट एवं कॉलर रोट का प्रकोप भी बढ़ रहा है। इन दोनों बीमारियों से भी फसल में पीलापन बढ़ जाता है। कॉलर रोट की पहचान है कि पौधे का जमीन से ऊपर का भाग सफेद पाउडर के साथ सरसो के दानों जैसे गोल निशान दिखने लगते हैं। इसका मतलब पौधों को कॉलर रोट की बीमारी है। इस बीमारी में जमीन से लगा पौधे का हिस्से लाल भूरे रंग का हो जाता है। पौधे की पत्तियां पीली पड़ने लग जाती हैं। इस बीमारी से पौधा मुरझाया सा लगने लगता है। तना और जड़ों का स्लेटी होने की भी शिकायत रहती है। ऐसी बीमारी से फसल को बचाने के लिए फफूंदनाशी का छिड़काव करना चाहिए।

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