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सज्जनगढ़ और कुशलगढ़ की 15 पंचायतों में पानी का संकट, पूरे साल में बारिश में ही होती हैं फसल

Banswara
सज्जनगढ़ और कुशलगढ़ की 15 पंचायतों में पानी का संकट, पूरे साल में बारिश में ही होती हैं फसल
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रोजगार और मजदूरी
के लिए इन गांवों के लोग गुजरात और महाराष्ट्र में कर रहे पलायन

विधानसभा क्षेत्र की कुशलगढ़ की 15 ग्राम पंचायतों में पानी का संकट है। यहां साल में सिर्फ बारिश की सीजन में ही फसल होती है। यहां के लोग रोजगार व मजदूरी के लिए गुजरात, महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश में पलायन करते हैं। सज्जनगढ़ की 12 और कुशलगढ़ की 5 पंचायतों के करीब कुल 3000 से ज्यादा हैक्टेयर जमीन पर रबी में सिंचाई नहीं होती है। इसलिए यहां के लोग 8 माह तक दूसरे राज्यों में जाकर मजदूरी व रोजगार कर अपने परिवार का भरण पोषण करने को मजबूर है।
पिछले 40 साल से यहां के जनप्रतिनिधि माही बांध का पानी कैनाल के जरिए यहां लाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अब तक कामयाबी नहीं मिली।

इस बार कुशलगढ़ विधायक रमीला खड़िया ने माही का पानी सिंचाई और पेयजल के लिए कुशलगढ़ के नॉन कमांड क्षेत्र में पहुंचाने का आग्रह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से किया था। इस पर सीएम ने जल संसाधन मंत्रालय को इस पर काम करने को कहा था। हालांकि माही का पानी कब यहां पहुंचेगा, यह भविष्य के गर्भ में है। जल संसाधन विभाग की ओर से गांगड़तलाई क्षेत्र में अपर हाई कैनाल के जरिए से पानी पहुंचाने की जो योजना हैं, उसमें सज्जनगढ़ की 12 और कुशलगढ़ की 5 ग्राम पंचायतों को शामिल किया है। माही का पानी अपर हाई कैनाल के जरिए इन 12 पंचायतों में पहुंचने से सज्जनगढ़ की 2100 हैक्टेयर और कुशलगढ़ की पांच पंचायतों की 1000 हैक्टेयर जमीन को सिंचाई के लिए पानी मिल पाएगा। सज्जनगढ़ की 12 पंचायतों के 20 हजार और कुशलगढ़ की पांच पंचायतों के 2 हजार से अधिक किसान खेतों में बुवाई कर सकेंगे। इन 17 पंचायतों में करीब 60 हजार से अधिक लोग रहते हैं। 30 हजार लोग रोजगार व मजदूरी के लिए एमपी, गुजरात व महाराष्ट्र में पलायन करते हैं। सिर्फ होली दिवाली या बारिश की सीजन में ही ये लोग यहां आते हैं। माही का पानी पहुंच जाने से पलायन भी रुकेगा।


कुशलगढ़ सभी ग्राम पंचायतों में सिंचाई की जानकारी
कुशलगढ़। उपखंड कुशलगढ़ तहसील में कुल 51 ग्राम पंचायतों में 115098 हैक्टेयर सिंचित व 30113 हैक्टेयर असिंचित जमीन है। अगर यहां माही की बांध का पानी आता है तो 41711 हैक्टेयर जमीन सिंचित हो जाएगी। रबी की फसल में गेहूं चना की फसलें बोई जाती हैं खरीब की फसल मैं कपास मूंग उड़द सोयाबीन आदि की फसलें होती हैं, जिन्हें माही के पानी से फायदा मिलेगा। फसल अच्छी हाेने से गुजरात पलायन भी रुकेगा। 74927 घरों को पानी का फायदा मिलेगा। गर्मी में हैंडपंप व नलकूप पर पानी के लिए निर्भर हैं, जिसके लिए भी दो से तीन किमी दौड़ लगानी पड़ती है। शोभावटी, भवरदा, भोराज, कदवाली वडलीपाड़ा, हत्यादिल्ली, सघलई, सारण की गडली, सिंघाड़ा की गडली गांवाें में गर्मी जलस्तर बहुत कम हो जाता है। माही बांध का पानी अगर आता है तो 74927 घरों को फायदा मिलेगा। कुल 51 ग्राम पंचायतों में कुल आबादी 379232 है।


सज्जनगढ़ की 12 पंचायतों की जानकारी एक नजर में
सज्जनगढ़. ग्राम पंचायत मच्छरसाथ व कुंडा पहले शामिल थी, जिमसें से अब कुंडा को नई ग्राम पंचायत बनाई गई है। दोनों में 49 हैक्टेयर सिंचित अाैर 49 हैक्टेयर असिंचित जमीन है। जालिमपुरा में 244 हैक्टेयर सिंचित एवं 33 हैक्टेयर असिंचित जमीन है। बड़ा डूंगरा में 102 हैक्टेयर सिंचित एवं 97 हैक्टेयर असिंचित भूमि है। खंूटा चतरा 237 हैक्टेयर सिंचित जमीन है। छोटा डूंगरा 94 हैक्टेयर सिंचित एवं 53 हैक्टेयर असिंचित। मस्का 228 हैक्टेयर सिंचित 31 हैक्टेयर असिंचित। ग्राम पंचायत कसारवाड़ी 125 हैक्टेयर सिंचित 73 असिंचित। नवागांव 200 हैक्टेयर सिंचित 36 हैक्टेयर असिंचित भूमि है। टांडी कलन महोली मस्का दोनों ग्राम पंचायत में 503 हैक्टेयर भूमि सिंचित 32 हैक्टेयर असिंचित भूमि है। यहां के किसान खरीफ की फसल तो वर्षा पर निर्भर करते हैं। रबी की फसल ओपन कुआं तालाब या कोई नाला जा रहा है वहां से सिंचाई करके कुछ किसानों को उसका लाभ मिलता है। माही का पानी ग्राम पंचायतों में अाने से लगभग 20 हजार किसानों को लाभ मिलेगा। इन 12 ग्राम पंचायतों में कुल 40 से 42 हजार जनसंख्या है। क्षेत्र नॉन कमांड है। इस कारण गर्मी के दिनों में पेयजल संकट का सामना करना पड़ता है। गर्मी के दिनों में हैंडपंप नकारा हैं। ग्राम पंचायत कुंडा में हैंडपंप है परंतु जलस्तर कम होने के कारण समस्या है। कुंडा ग्राम पंचायत के 60 परिवार ऐसे हैं, जो ओपन कुंए से पानी भरते हैं। ग्राम पंचायत डूंगरा छोटा व बड़ा में पेयजल संकट है। जलदाय विभाग के नलों से पानी नहीं मिलने से ग्रामीणों ने घर के आंगन में होज बनवा रखे हैं, जिसमें टैंकर से पानी लिया जाता है। ग्राम पंचायतों की ओर से इस बार पेयजल टैंकर की कोई व्यवस्था नहीं है। जलदाय विभाग के सहायक अभियंता लालजी कटारा ने बताया कि ग्राम पंचायत मच्छर साथ में डिमांड आई थी। उपखंड स्तरीय बैठक में निर्णय के बाद मच्छर साथ में टैंकर चालू कर दिए गए। सहायक कृषि अधिकारी मणिलाल पटेल ने बताया कि हर ग्राम पंचायत में 1300 किसान हैं।



डूंगरा बड़ा में ग्रामीणों ने घर के आंगन में बनवाए होज।

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