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तीसरी व 12वीं पास लेकिन दिमाग साइबर एक्सपर्ट जैसा, एस्काॅर्ट सर्विस के बहाने युवतियों के फोटो डाल चेन्नई के 300 लोगों से 5.50 लाख ठगे

Dungarpur
तीसरी व 12वीं पास लेकिन दिमाग साइबर एक्सपर्ट जैसा, एस्काॅर्ट सर्विस के बहाने युवतियों के फोटो डाल चेन्नई के 300 लोगों से 5.50 लाख ठगे
@HelloBanswara - Dungarpur -
  • अंग्रेजी के गिने चुने शब्द भी रटे हुए थे
  • 15 दिन में की ठगी सभी आरोपी डूंगरपुर जिले के

एस्कॉर्ट सर्विस के नाम पर युवतियों की फर्जी तस्वीरें और मोबाइल नंबर डाल कर चेन्नई के लाेगाें से ऑनलाइन ठगी करने वाले गिरोह के डूंगरपुर निवासी चार आरोपियों काे उदयपुर जिले की सलूंबर पुलिस ने सलूंबर के पास सुरों का कुआं गांव से गिरफ्तार किया है।

आरोपियों ने लाेकेंटाें नामक मोबाइल एप से सिर्फ 15 दिन में 300 से ज्यादा चेन्नई के लाेगाें से 5.50 लाख रुपए ठग लिए। पुलिस ने उनके किराए के मकान से बरामद किए हैं। उदयपुर एसपी डाॅ. राजीव पचार ने बताया कि मामले में डूंगरपुर जिले के पचलासा बड़ा निवासी मणीलाल पुत्र वेलजी, बड़ाैदा निवासी हरीश पुत्र पूजालाल, पिंडावल निवासी मणीलाल पुत्र मानजी और पचलासा बड़ा निवासी जितेन्द्र पुत्र वेलजी काे गिरफ्तार कर लिया है।

पुलिस जांच में सामने आया कि चार आरोपियों में से तीन 12वीं और एक तीसरी फेल है। आरोपियों ने बातचीत के लिए अंग्रेजी के कुछ शब्द रट रखे थे। चेन्नई में भाषा अलग हाेने पर अगर काेई वहीं की भाषा में बात करता है ताे उससे अंग्रेजी में बात कर डिलिंग करते। आरोपियों ने पुलिस काे पूछताछ में कहा कि डूंगरपुर में अन्य दाेस्त है ताे इस प्रकार की ठगी करना हैदराबाद से सीखकर आए थे। पहले डूंगरपुर में कर रहे थे, फिर सलूंबर में 15 दिन पहले किराए का मकान लिया और यहां ऑनलाइन ठगी शुरू की।

सलूंबर पुलिस ने ऐसे पकड़ा इन आरोपियों काे

सलूंबर डीएसपी सुधा पालावत ने बताया कि सूचना मिली थी कि सलूंबर के पास स्थित सुरों का कुंआ गांव में मणीलाल और उसके साथी अलग-अलग जगहों पर घूमते हुए मोबाइल से एडल्ट वेबसाइट के जरिए युवतियों की फाेटाे डाल लाेगाें से ऑनलाइन ठगी करते हैं। पुलिस टीम माैके पर पहुंची, जहां ढोलामारू की गली में एक लड़का मोबाइल लेकर खड़ा था। उसे पकड़ने गए ताे वह दौड़कर पास के मकान में घुस गया। मकान को चैक किया तो अन्दर चार व्यक्ति मोबाइल पर ऑनलाइन ठगी करते मिले। माैके से 5.50 लाख रुपए, 8 माेबाइल, मोबाइल में लगी सिम के अलावा 8 और सिम बरामद की है।

दाेवड़ा, निठाउवा और आसपुर क्षेत्र के गांव के कई युवा किराए के कमरे में चला रहे फर्जी एस्कॉर्ट सर्विस

जिले में फर्जी एस्कॉर्ट सर्विस चलाकर लाेगाें से ठगी करने का मामला एक बार फिर से चल पड़ा है। जब भास्कर काे इसकी जानकारी मिली ताे पड़ताल शुरू की। भास्कर पड़ताल में सामने आया कि जिले के तीन थाना क्षेत्र दाेवड़ा, निठाउवा और आसपुर के गांवों में मोबाइल के जरिए कई युवा किराए पर कमरे लेकर फर्जी एस्कॉर्ट सर्विस चला रहे हैं।

सर्विस के नाम पर यह केरल, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश अन्य राज्यों में बैठे लाेगाें काे ठग रहे हैं। पड़ताल में यह भी सामने आया कि ये लाेग डूंगरपुर या प्रदेश काे लाेगाें काे कभी झांसे में नहीं लेते हैं, ताकि यह पुलिस की पकड़ से दूर रहे। यह सभी युवा ज्यादातर साेशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं। ठगी के लिए यह लाेकेंटाे एप पर विज्ञापन देकर लाेगाें काे झांसे में लेते हैं। इसी बात की पुष्टि एक दिन पहले सलूंबर पुलिस की कार्रवाई में भी हुई। मंगलवार काे उदयपुर जिले की सलूंबर पुलिस ने डूंगरपुर जिले के चार युवाओं काे फर्जी एस्कॉर्ट सर्विस चलाकर ठगी करने पर पकड़ा है।

पुलिस ने इनसे रुपए भी बरामद किए हैं। पुलिस काे आशंका है कि ठगी के इस खेल में 200 से ज्यादा युवा भी शामिल हाे सकते हैं। पड़ताल में यह भी सामने आया कि लाेग ठगी का शिकार हाे रहे हैं, लेकिन अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा के चलते पुलिस तक नहीं जा रहे हैं। सलूंबर पुलिस की पड़ताल में सामने आया कि डूंगरपुर के बड़ाैदा, पिंडावल, पचलासा बड़ा गांव के यह युवा घर वालाें काे अहमदाबाद रोजगार जाने के लिए कह कर निकल जाते हैं और किराए के कमरों में रहते हैं।

सलूंबर में भी 15 दिन पहले ही आए थे। हालांकि आसपुर पुलिस ने साल 2020 में दाे प्रकरण इस संबंध में दर्ज किए थे। डूंगरपुर व उदयपुर पुलिस की कार्रवाई में पकड़े गए आरोपी डूंगरपुर जिले के सामने आ रहे हैं। भास्कर की ओर से पड़ताल करने पर सामने आया कि जिले के कई युवा किराए के कमरे लेकर इस तरह का काम कर माेटा मुनाफा कमा रहे हैं। कुछ अहमदाबाद में बैठ कर इसे ऑपरेट कर रहे हैं। हालांकि सलूंबर पुलिस की कार्रवाई के बाद इस तरह के कार्य में लिप्त युवा भूमिगत हाे गए हैं।

ऐसे लेते हैं झांसे में

लाेकेंटाें एप के जरिए फर्जी एस्कॉर्ट सर्विस चला रहे डूंगरपुर के युवा दरअसल, लाेकेंटाें नाम की एक मोबाइल एप है। जाे कई सुविधा देती है। इसमें एस्कॉर्ट सर्विस का ऑप्शन भी है। यहां पर आरोपी एक फर्जी सीम लेते हैं। इंटरनेट से युवतियों का फाेटाे डाउनलोड करते हैं। लाेकेंटाें एप में कुछ रुपए ऑनलाइन जमा कर एड के लिए रजिस्ट्रेशन कराते हैं।

एड में युवती का फाेटाे और फर्जी मोबाइल नंबर डालते हैं। इसमें एस्कॉर्ट सर्विस के बारे में लिखा हाेता है। ऑप्शन में एड्रेस डाला हुआ रहता है। जाे भी व्यक्ति एस्कॉर्ट सर्विस लेना चाहता है, वह एड में डाले गए नंबर पर संपर्क करता है। आरोपी उक्त व्यक्ति काे रजिस्ट्रेशन के नाम से पहले 500 रुपए लेते हैं, जाे डिजिटल लेनदेन एप के माध्यम से प्राप्त करते हैं। फिर व्यक्ति काे युवतियों के फाेटाे भेजते हैं। व्यक्ति युवती का चयन करता है और फिर रुपए की मांग की जाती है।

राशि तय हाेने के बाद ग्राहक से युवती काे भेजने का एड्रेस मांगा जाता है। एड्रेस बताने के बाद व्यक्ति काे 2-3 हजार रुपए एडवांस डालने के लिए कहा जाता है। राशि प्राप्त हाेने के बाद यह मोबाइल नंबर काे बंद कर देते हैं या ब्लाॅक कर देते हैं। कभी कभार ताे फाेन उठाना बंद कर देते हैं। ग्राहक काे अंदेशा हाे जाता है उसके साथ ठगी हुई है, लेकिन वह सामाजिक प्रतिष्ठा के चलते पुलिस और साइबर सैल काे इसकी शिकायत नहीं करता है। यदि काेई करता भी है ताे पुलिस से नाम काे गोपनीय रखने का वादा करता है।

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