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700 साल पुराना देश में इकलौता मंदिर, जहां नंदी पर विराजित शिव परिवार

Banswara
700 साल पुराना देश में इकलौता मंदिर, जहां नंदी पर विराजित शिव परिवार
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हर शिव मंदिर में पहले नंदी और फिर भगवान शिव के दर्शन मिलते हैं। नंदी बैल के स्वरूप में हैं अाैर शिव मंदिरों में गर्भगृह के बाहर विराजित है लेकिन डूंगरपुर जिला मु्ख्यालय से 20 किलाेमीटर दूर छापी गांव में स्थित प्राचीन केदारेश्वर महादेव मंदिर देश में इकलौता ऐसा महादेव मंदिर है, जहां पर शिवलिंग नंदी पर विराजित है। इसी नंदी पर पूरा शिव परिवार समेत ब्रह्मा, विष्णु, गणपति समेत कई देवी-देवताअाें की आकृति भी है। डूंगरपुर राजपरिवार से जुड़े व राज्यसभा सांसद हर्षवर्धन सिंह का कहना है कि यह मंदिर यूनिक है। डूंगरपुर आए एेतिहासिक धराेहराें पर रिसर्च करने वाले जर्मन अार्टिटेक्ट क्लाउस इमिग का भी कहना कि उन्होंने कई देशों की यात्रा की है और भारत भी घूमे लेकिन छापी गांव जैसा नंदी उन्हाेंने कहीं नहीं देखा। इमिग ने जूना महल पर शाेध अाैर पुस्तक लिखी है।

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नंदी के पूंछ के ऊपरी भाग को कहते हैं केदार, इसलिए नाम िमला केदारेश्वर
छापी के शिक्षक नयनेश व्यास का कहना है कि 700 साल पहले गांव में कुएं की खुदाई के दौरान 10 से 15 फीट तक जाने पर अाैजार के किसी पत्थर से टकराने की अावाज अाई। खुदाई राेक कर मिट्टी हटाई ताे नंदी मिले। अभी उसी स्थान पर मंदिर है, वहां से 200 मीटर की दूर नंदी पर विराजित शिवलिंग वाली प्रतिमा निकली। इस पर पूरा शिव परिवार है। नंदी के पूंछ के ऊपर के भाग काे केदार कहते हैं। नंदी पर शिवलिंग स्थापित हाेने के कारण इस मंदिर का नाम केदारेश्वर रखा गया। यहां पर देवी देवता नंदी पर है। कहा जाता है कि इस नंदी पर विराजित शिवलिंग काे अन्य स्थान पर ले जाने का प्रयास किया तो इसके लिए बनाए गए वाहन भी टूट गए। इसके बाद बैलगाड़ी में रख कर जब ले जाया जा रहा था तो 200 मीटर से आगे नंदी पर विराजित शिवलिंग नहीं जा सके। इसके बाद यहीं पर केदारेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण किया। नंदी के एक कान पर कार्तिकेय व गणेश भगवान है। नागपाश की जनेऊ है।
छापी के केदारेश्वर महादेव मंदिर में नंदी पर विराजित शिवलिंग।

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