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टिप टॉप एंपोरियम के मालिक सुनील ने बताया आग लगने से 40 से 50 लाख का कपड़ा जलने की आशंका, फायर ब्रिगेड कर्मियों के पास नहीं थे साधन पूर्ण

Banswara
टिप टॉप एंपोरियम के मालिक सुनील ने बताया आग लगने से 40 से 50 लाख का कपड़ा जलने की आशंका, फायर ब्रिगेड कर्मियों के पास नहीं थे साधन पूर्ण
@HelloBanswara - Banswara -

दुकान के मालिक सुनील ने बताया कि मेरी टिप टॉप एंपोरियम के नाम से कपड़ों की दुकान है। पास ही पुरानी बिलिडंग को गोदाम बना रखा था। दोपहर 12 बजे के करीब गोदाम वाले हिस्से से धुआं उठने लगा। मैंने बिना किसी देरी के बाल्टी से पानी डालना शुरू किया लेकिन चंद मिनटों में ही धुआं तेजी से फैलने लगा। जिससे ज्यादा भीतर तक नहीं जा पाए। सूचना पर फायर बिग्रेड की टीम आ गई और पानी की बौछार शुरू कर दी। लेकिन बिल्डिंग से धुआं बाहर निकलने पर और टीम के पास एंटी फायर ड्रैस और साधन नहीं होने पर टीम आग लगने वाले हिस्से में नहीं जा पाई। इस वजह से खिड़की और दरवाजों को तोड़ा गया जिससे की नली के जरिये भीतर पानी की बौछार की जाए। संकरी गलियों में धुआं फैलने पर लोग भी घरों से बाहर निकल आए। फायर ब्रिगेड की कई राउंड गाड़ियों की मदद से पानी की बौछार की गई। पिछले हिस्से को जेसीबी की मदद से ढहाया गया। जिससे टीम भीतर जा सकी। करीब एक घंटे बाद पुलिस टीम मौके पर पहुंची और भीड़ को घटना स्थल से दूर हटाया। गोदाम वाली बिल्डिंग से 5 सिलेंडर बाहर निकाले गए। इसी बीच आग के पास वाली कपड़े की दुकान में फैलने की आशंका के चलते खिड़कियों को तोड़ दिया गया, जिससे की धुआं बाहर निकल जाए। थोड़ी देर बार इनवर्टर की बैट्री में ब्लास्ट हो गया। लेकिन, यहां पर भी राहत की बात रही कि कोई चपेट में नहीं आया। अपरांह 3 बजे आग पर काबू पाया जा सका।

सुनील ने आग से 40 से 50 लाख का कपड़ा जलने की आशंका जताई है। साथ ही बिल्डिंग के केंमर्शियल इस्तेमाल पर सुनील ने सफाई दी है कि 16 साल पहले उन्होंने बिल्डिंग की कॉमर्शियल इस्तेमाल की स्वीकृति ले ली थी। 

आंखों देखी: भीतर धुंए में दम घुट रहा था, दीवारें आग से तप चुकी थी कपड़ा गोदाम में आग लगने की सूचना पर पूरी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। 15 हजार लीटर क्षमता की एक बड़ी गाड़ी और 4500 लीटर क्षमता को तीन गाड़ियां हमारे पास थी। बिल्डिंग के भीतर आग लगने वाले हिस्से तक जाने के लिए हमें तीन जगह से दरवाजे, खिड़कियां तोड़ने पड़े। इस दौरान फायरमैन दीपक रावल के हाथ में चोट लगने से घायल हो गए। हमने एक कपड़ा मंगवाकर हाथ बांधा ताकि खून ज्यादा नहीं बहे। भीतर कुछ नजर नहीं आ रहा था। धुंए से दम घुटने लगा था इसलिए थोड़ी-थोड़ी देर में बाहर आना पड़ रहा था। दीवारे आग को तपन से इतनी गर्म हो चुकी थी कि अगर छू जाते तब भी जल जाते। इसलिए ज्यादातर पानी हमनें कूलिंग के लिए भी इस्तेमाल किया। हमारी टीम में अब्दुल रहमान, मोहम्मद सलीम, प्रणीत, जयबीर सिंह, मुकुंद पंड्या, जनित जोशी, लोकेश मीणा, जयदेव जोशी, देवीलाल बुनकर, शांतिलाल चरपोटा, परवेज खान, नागेश शर्माशामिल रहे। 

भवनों में आज लगने के जिम्मेदार है नगर परिषद और प्रशासन

शहर में 200 से ज्यादा ऊंचे भवन, 61 भवनों की जांच में नहीं मिली फायर एनओसी, मॉल, कोचिंग सेंटर, स्कूल, होटल, शॉप, टॉकिज भी शामिल

शहर में किसी भी बिल्डिंग में आग लगे तो उसकी एक मात्र जिम्मेदार नगर परिषद है। क्योंकि शहर में किसी भी भवन के निर्माण में नियम कायदे लागू नहीं होते। परिषद में बैठे अधिकारी मनमर्जी से स्वीकृतियां जारी कर देते हैं। यही कारण है कि शहर में कई मर्तबा बड़े अस्पतालों और भवनों में आग लग चुको है। जहां-जहां आग लगी, वहां किसी के पास न तो फायर एनओसी मिली और न ही उन भवनों में फायर सिस्टम लगा हुआ मिला। शहर में ऐसे भवनों की संख्या 200 से अधिक है। जिनमें स्कूल, कोचिंग इंस्टीट्यूट, हॉस्पिटल, होटल, मॉल, फर्नीचर की दुकानें, गारमेंट्स शॉप, वाटिका, ऑटोमोबाइल शॉप, टायर विक्रेता, गिफ्ट होम और टॉकीज शामिल हैं। कुछ माह पहले शहर के मेवाड़ हॉस्पिटल के भी ऑपरेशन थिएटर में आग लगी थी, लेकिन वहां फायर सिस्टम नहीं था।

61 भवनों की जांच, 5 भवनों को छोड़ किसी ने नहीं ली एनओसी : करीब 2 माह पहले नगर परिषद की फायर टीम ने स्वायत्त शासन विभाग के आदेशानुसार शहर में बड़ी इमारतों और भवनों का निरीक्षण किया। टीम द्वारा शहर की 61 जगहों पर जांच की गई, इसमें एक भी जगह पर फायर सिस्टम नहीं मिला और किसी के पास फायर एनओसी नहीं थी। इसके बाद टीम ने इन्हें नोटिस जारी कर एनओसी लेने और फायर नियमों की पालना के आदेश दिए थे। लेकिन इतने माह बीत जाने के बाद भी केवल 4 से 5 भवन मालिकों ने नगर परिषद में एनओसी के लिए आबेदन किया और फायर सिस्टम को सुधारा। इधर, बेपरवाह परिषद ने दूसरों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की, जबकि सीज करने की चेतावनी नोटिस में दी गई थी। सूरत के कोचिंग सेंटर में हुए हादसे के बाद प्रशासन और नगर परिषद ने शहर में जांच अभियान तेज तो किया, लेकिन बाद में व्यापारियों के दबाब में कार्यवाही ठंडे बस्ते में चली गई। कई भवन मालिक तो फायर सेज की भी चोरी कर रहे हैं। जिसका नुकसान सरकार के राजस्व को हो रहा है। मेवाड़ हॉस्पिटल में लगी आग के बाद समाजसेवी गोपीराम अग्रवाल ने निदेशक, कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को शिकायत की थी कि नगर परिषद द्वारा अग्निशमन नियमों का उल्लंघन करते हुए पिछले 10 सालों में 61 से अधिक बहुमंजीला भवनों को नियम विरूद्ध स्वीकृति प्रदान की है। इन भवनों में जब भी आग लगेगी बड़ी जनहानि होगी। इसके लिए मापदंडों की पालना करना जरुरी है।

इनका कहना है 

परिषद द्वारा पहले ही 61 भवनों को नोटिस दिए गए हैं। गुरुवार को जहां आग लगी वहां फायर सेफ्टी के एक भी नियमों की पालना नहीं हो रही थी। शहर के बीच कंजस्टेड क्षेत्र में इतनी बड़ी शॉप और गोदाम नहीं होने चाहिए। अगले एक से दो दिनों के अंदर शहर में हर जगहों पर ऐसे गोदामों की जांच कर उचित कार्यवाही की जाएगी। राकेश व्यास, फायर ऑफिसर नगर परिषद।

ये हें नियम जिसकी पालना जरूरी 

भवन विनियम अधिनियम 2010 और 2017 के मुताबिक भवन के चारों और फायर फाइटर घूमने के लिए जगह, धुआं रोकने के लिए लॉबी, अस्पताल और विशेष जोखिम वाले भवनों में निकासी के उचित प्रबंध, आग लगने पर भवन की छत पर पानी समुचित प्रबंधक, दो टेंक बनाने अनिवार्य हैं, बहुमंजीला इमारतों के लिए पंजीकृत इंजीनियर का निर्धारित प्रारुप में प्रमाण पत्र आदि जरुरी हैं। इसके अलावा, फायर एस्टीग्यूशर, रेत, आपातकालीन संकेत चिह्न और फायर एलार्म की व्यवस्था, प्रत्येक मंजिल पर होजरिल की व्यवस्था होनी चाहिए।

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