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साेयाबीन खरीद में टैक्स चाेरी के प्रदेश के सबसे बड़े रैकेट का खुलासा... काेटा और दिल्ली की कई फर्म फर्जी तरीके से जारी कर रही पर्चेसिंग बिल, जांच में 100 कराेड़ की टैक्स चाेरी का मामला आ सकता है सामने

Banswara
साेयाबीन खरीद में टैक्स चाेरी के प्रदेश के सबसे बड़े रैकेट का खुलासा... काेटा और दिल्ली की कई फर्म फर्जी तरीके से जारी कर रही पर्चेसिंग बिल, जांच में 100 कराेड़ की टैक्स चाेरी का मामला आ सकता है सामने
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साेयाबीन खरीद में टैक्स चाेरी के प्रदेश के सबसे बड़े रैकेट का खुलासा... काेटा और दिल्ली की कई फर्म फर्जी तरीके से जारी कर रही पर्चेसिंग बिल, जांच में 100 कराेड़ की टैक्स चाेरी का मामला आ सकता है सामने

मुनाफे की फसल मानी जाने वाली साेयाबीन की खरीद में फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट दिखाकर कराेड़ाें की टैक्स चाेरी की जा रही है। मुनाफाखाेराें का रैकेट किस कदर फैला है इसका पता इसी से चलता है कि बांसवाड़ा में भी साेयाबीन की खरीद में 52 लाख की जीएसटी चाेरी की गई है। जहां कागजाें में ही काेटा से 100 ट्रक साेयाबीन खरीदना बताकर इनपुट टैक्स क्रेडिट दिखाकर लाखाें रुपए की टैक्स चाेरी की गई। मामला सामने अाने पर अब जीएसटी की एंटीविजन ने बांसवाड़ा की गणपति ट्रेडिंग ठीकरिया फर्म काे 52 लाख रुपए की टैक्स चाेरी पर पैनल्टी सहित 1 कराेड़ 25 लाख रुपए का नाेटिस भेजा है। जांच में परत दर परत फर्जीवाड़ा सामने अाता गया ताे जीएसटी एंटीविजन टीम के अधिकारी भी हैरत में पड़ गए। वहीं पूरे रैकेट का पता लगाने के लिए काेटा अाैर दिल्ली की फर्माें की डिटेल खंगाली जा रही है। जीएसटी से जुड़े अधिकारियाें की माने ताे टैक्स चाेरी का यह मामला 100 कराेड़ से भी ज्यादा का हाे सकता है। इसमें कागजाें में फर्जी तरीके से एक के बाद दूसरी अाैर दूसरी के बाद तीसरी फर्म से चेन सिस्टम से खरीदी बताई जा रही है। इसमें काेटा अाैर दिल्ली की कई फर्में शामिल हैं।

जिन नंबराें के ट्रकाें से साेयाबीन अाना दिखाया, टाेल नाकाें पर जांच में सामने अाया कि वाे अाए ही नहीं
बांसवाड़ा की गणपति ट्रेडिंग ठीकरिया नाम की फर्म भी इसी रैकेट से जुड़ी हुई है। जहां फर्जी बिलिंग के जरिये काेटा से 100 ट्रक साेयाबीन खरीदी दिखाकर 52 लाख से ज्यादा की टैक्स चाेरी की गई। इसकी पुष्टि जीएसटी एंटीविजन की जांच में भी हाे चुकी है। इसका पता पहलीबार तब चला था जब फरवरी में फर्म के खिलाफ विभाग ने प्रकरण बनाया था। जीएसटी से जुड़े अधिकारी बताते है कि टैक्स चाेरी की इस कारस्तानी काे बड़े ही शातिर तरीके से अंजाम दिया जाता है। चार से पांच फर्माें से खरीदी दिखाने के बाद यह साेयाबीन गणपति ट्रेडिंग ने खरीदी। यह साेयाबीन काेटा से खरीदना दर्शाया गया। जिसमें करीब 100 ट्रक अाैर उनके ई-वे बिल भी बनाए गए। जहां सीमेंट अाैर मक्का से भरे ट्रकाें काे साेयाबीन से भरी दिखाकर अलग-अलग फर्म से खरीदना दर्शाया गया। लेकिन जांच में बिल फर्जी पाए गए। जिन नंबराें की ट्रकाें में साेयाबीन भरा दिखाया गया। दरअसल, वह उस दिन वे बांसवाड़ा में अाए ही नहीं थे। टाेल नाकाें पर जांच में भी इसकी पुष्टि हुई। मतलब, कागजाें में ही काेटा से साेयाबिन से भरी 100 ट्रक बांसवाड़ा के लिए दाैड़ा दी गई। जीएसटी एंटीविजन ने जांच में बिलिंग टटाेली ताे पूरे 52 लाख से भी ज्यादा की जीएसटी चाेरी करना सामने अाया। वहीं यह खरीदी नवंबर 2018 से दिसंबर 2019 के बीच करना दर्शाया गया है। एेसे में दाे साल की टैक्स की पैनल्टी मिलाकर विभाग अब फर्म से 1 कराेड़ 25 लाख की वसूली की जा रही है।

फर्जी ट्रेडिंग से टैक्स चाेरी की चेन काेटा से अाॅपरेट, वागड़ तक जुड़े तार
एक बार खरीदे गए माल को फर्जी तरीके से अलग-अलग फर्जाें से खरीदी बताकर गलत ढंग से इनपुट टैक्स क्रेडिट ले लेने के इस रैकेट काे काेटा के बड़े व्यापारी अाॅपरेट कर रहे हैं जाे नियमाें के पेच से टैक्स चुराकर राजस्व काे चपत लगा रहे हैं। बांसावड़ा-डूंगरपुर में इस रैकेट काे अाॅपरेट करने वाले मास्टर माइंड काेटा का पुखराज मालपानी और उसका बेटा अमित मालपानी बताए जा रहे है। ये व्यापारी बांसवाड़ा जिले के बड़ोदिया, तलवाड़ा, अासपुर, सलूंबर के व्यापारियों से डील करते हैं। बताया जा रहा है कि इस तरह गड़बड़ियां कर टैक्स चुराने में काेटा की कई फर्म शामिल है।

इनपुट टैक्स क्रेडिट: पहले दिए टैक्स में वर्तमान टैक्स घटाने का तरीका
इनपुट क्रेडिट एक वह सिस्टम है, जिसके अंतर्गत आप अपने पहले अदा कर चुके टैक्स (खरीदारियों के साथ) का उपयोग करके उसे अपनी वर्तमान टैक्स देनदारी से घटा सकते हैं। ऐसा करने से आप दोहरा टैक्स देने से बच जाते है। सरल शब्दों में कहे सकते है, इनपुट क्रेडिट का मतलब बिक्री पर टैक्स का भुगतान करते समय, आप उस टैक्स को कम कर सकते हैं जो आपने पहले ही खरीद पर चुकाया है। यह अवधारणा पूरी तरह से नई नहीं है। क्योंकि यह जीएसटी अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था (सेवा कर, वैट और उत्पाद शुल्क) के तहत पहले से मौजूद थे। परन्तु अब इसका दायरा जीएसटी के तहत बढ़ा दिया गया है।

75 हजार है . में साेयाबीन फसल इसलिए यहां फैल रहा टैक्स चाेरी का रैकेट
जिले में 75 हजार हैक्टेयर में साेयाबीन हाेती है। यहां अाैसतन प्रति है. 15 क्विंटल पैदावार है। एेसे में किसानाें का इस अाेर रुझान है। साेयाबीन की तेल कंपनियाें में मांग है। इसकी खरीदी पर 5% जीएसटी है। क्याेंकि, किसान अपंजीकृत डीलर हाेता है। इसलिए व्यापारी उनसे माल खरीदते है ताे उन्हें बिलिंग न हाेने पर इनपुट टैक्स क्रैडिट लाभ नहीं मिलता है। एेसे में व्यापारी खरीदे माल काे बैचने के वक्त टैक्स भुगतान कम कराने इसे एक से दूसरी, दूसरी से तीसरी फर्म से बिक्री दर्शाते है। ताकि, हर खरीदी पर इनपुट टैक्स क्रैडिट जुड़ता जाए।


फर्में भी कागजों में चल रही
जांच में सामने आया कि कुछ फर्म ताे महज कागजाें में हैं अाैर उनका इस्तेमाल सिर्फ फर्जी परचेसिंग बिल दिखाने के लिए ही किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि कराेड़ाें की जीएसटी चाेरी के इस रैकेट में कई बड़े व्यापारी भी शामिल है। ये व्यापारी उनकी ही अलग-अलग फर्माें के जरिये प्रदेशभर में फर्जी बिलिंग दिखाकर कराेड़ाें की जीएसटी चुरा रहे हैं।

कोटा से 100 से अधिक ट्रकों से बांसवाड़ा में सोयाबीन खरीदी का फर्जी मामला सामने आया है। यह टैक्स चोरी का बड़ा मामला है। जांच में गणपति ट्रेडर्स फर्म को सोयाबीन की फर्जी खरीदी बताने पर जीएसटी चोरी पर 1 करोड़ से अधिक का नोटिस जारी किया गया है। रविंद्र जैन, सीटीओ, जीएसटी एंटी विजन।


 

By Bhaskar

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