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प्रसाशन के दावों की खुली पोल

Banswara
प्रसाशन के दावों की खुली पोल
@HelloBanswara - Banswara -

एक तरफ प्रसाशन दावे कर रहा है कि वो हर किसी का ध्यान रख रहा है और लोगो तक उनकी जरूरत के सामान पहुंचा रहा है। लोगो से अपील भी कर रहा है कि घर में रहे, घर में रहना सहीं है पर प्रसाशन को सबकी जरूरत का सामान पहुँचाना भी चाहिए। 

प्रसाशन अपने ही चिकित्सा विभाग में जिन्हें खुद चिकित्सा विभाग लेकर आया है और Quarantine किया है, इन मरीजों  तक खाने पिने की सामग्री पहुंचाने में असमर्थ बना हुवा है या अनदेखी कर रहा है। जनता जो बाहर आये प्रशासन कर्मी गलियों में खड़ी पुलिस को देखकर उन पर दया आ जाती है और अपनी तरफ से उनके पानी छाँव आदि की व्यवस्था करने में भी नहीं कतराती है तो प्रसाशन जिनका काम है जनता की सेवा करना वहां पर क्यूँ आँखे छुपा लेती है,  इसकी पोल खोली आज बाँसवाड़ा भास्कर ने। पढ़े क्या लिखा भास्कर ने, 

 

एमजी अस्पताल में क्वारेंटाइन संदिग्धों काे खाने में सूखी रोटी, एक ही ग्लास से सभी ने पिया पानी

काेराेना की रोकथाम अाैर राेगियाें के इलाज में भले ही हमारे डॉक्टर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, लेकिन काेराेना की इस लड़ाई में प्रशासन अाैर महात्मा गांधी अस्पताल की अव्यवस्था सामने अाई हैं। यहां क्वारेंटाइन रखे जा रहे संदिग्धों काे न ताे समय से भाेजन मिल रहा है अाैर न ही पर्याप्त पानी। अस्पताल में सैंपल लेने के बाद आइसोलेट किए गए मरीजों ने स्वयं अपने साथ हा़े रहे बर्ताव काे देखते हुए मीडिया का सहारा लिया अाैर अंदर के हालातों काे हूबहू बताया। व्यवस्थाओं पर सवाल उठाने वाले अाम राेगी ही नहीं बल्कि सरकारी महकमों के कर्मचारी भी शामिल हैं। स्टाफ ने समस्या बताते हुए अपना नाम भी प्रकाशित करने काे कहा, उन्होंने कहा कि मुझे डर नहीं हैं, लेकिन भास्कर उनके नाम प्रकाशित नहीं कर रहा है। हाउसिंग बोर्ड के भर्ती एक युवक ने बताया कि उसके पूरे परिवार को भर्ती किया। वार्ड में करीब 24 लोग हैं। पानी के 2 कैंपर थे, लेकिन ग्लास कॉमन ही था इसलिए सभी बारी- बारी से उसी ग्लास से पानी पी रहे थे। रात 2:30 बजे पानी खत्म हो गया। इस पर लोग कैंपर खोलकर उसमें से पानी निकालने लगे। पूरी रात लोग प्यासे रहे। सुबह लोगों ने हंगामा किया तो 8 बजे पानी और ग्लास भेजे गए। इस पर सभी ने परिवार के हिसाब से ग्लास बांट लिए। लोगों ने बताया कि उन्हें सुबह बिस्किट, चाय का नाश्ता दिया। लेकिन दोपहर के भोजन में सुखी रोटी और महज आचार दिया गया। रात को सभी के सैंपल लिए गए। जिस पर डॉक्टर हर एक व्यक्ति का सैंपल लेने के बाद ग्लब्स बदल रहे थे, लेकिन वो सभी ग्लब्स वार्ड के डस्टबिन में ही डाल दिए, जो कि कचरे से ओवरफ्लो था। वार्ड में रहने के भी पर्याप्त प्रबंध नहीं है। वार्ड में साेशल डिस्टेंसिंग की पालना नहीं की जा रही है, मेल वार्ड अाैर फिमेल वार्ड भरे हुए हैं।

न चाय न नाश्ता, 36 घंटे में सिर्फ एक बार मिला खाना वाे भी जली राेटियां

आइसोलेट एक महिला ने बताया कि वाे काेराेना महामारी के बीच शहर में सर्वे का काम रही थी। वार्ड 5 में भी सर्वे उन्होंने ही की थी। जहां संक्रमित महिला मिली। इसे देखते हुए शनिवार काे दोपहर 2 बजे संदिग्ध मानते हुए हमें भी सैंपल के लिए बुलाया गया। दाे बजे ही भर्ती कर दिया अाैर रात काे 11 बजे सैंपल लिए। लेकिन इस बीच न चाय मिली न ही नाश्ता, शाम काे जरूर एक थैली में पीले चावल दिए थे। इसके बाद सुबह चाय भी नहीं मिली, थाेड़ी चाय अाई वाे भी खत्म हा़े गई। वार्ड में बच्चे भी हैं, जिन्हें समय पर दूध तक नहीं मिल रहा।

बांसवाड़ा. एमजी अस्पताल में क्वारेंटाइन महिलाएं बेड नहीं मिलने पर चद्दर पर साेई रही।

कचरापात्र भी नहीं खाली किया

 

पूरे बंदोबस्त, डिस्पोजल ग्लास दिए

भर्ती सभी लोगों की सुविधा का ध्यान रखा जा रहा है। खाना धर्मशाला से दिया है। वार्ड के भीतर एक- दूसरे से सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना खुद की भी जिम्मेदारी है। डॉ. नंदलाल चरपोटा, पीएमओ, एमजी अस्पताल

 

मैं अभी तत्काल बात करता हूं, आइसोलेशन में भर्ती किसी भी मरीज को समस्या नहीं आने दी जाएगी। डॉ. जुलफ्कार अली काजी, संयुक्त निदेशक, उदयपुर

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