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जिले के 102 गांवों में रोडवेज सेवा नहीं, सर्वे के 2 साल बाद भी शुरू नहीं हुई बसें

Banswara
जिले के 102 गांवों में रोडवेज सेवा नहीं, सर्वे के 2 साल बाद भी शुरू नहीं हुई बसें
@HelloBanswara - Banswara -
देश को आजाद हुए 75 साल हो चुके हैं, लेकिन अभी भी जिले में कई इलाके ऐसे हैं, जहां मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पाई। जिले के 102 गांव ऐसे हैं जहां आज भी रोडवेज बस नहीं चलती है। लोगों को शहर आने के लिए कई-कई किलोमीटर पैदल चलकर अपने उपखंड पर पहुंचना पड़ता है।


जिले में 2019 में रोडवेज और परिवहन विभाग की ओर से गांवों का सर्वे भी किया जा चुका है, लेकिन सर्वे के 2 साल गुजर जाने के बाद भी अभी बसों का संचालन ठंडे बस्ते में है। शहर से 35 किमी दूर तक के गांव में अभी तक बस सेवा नहीं पहुंची है। हालांकि सड़क की सुविधा है। सबसे अधिक मुश्किल स्कूल जाने वाले बच्चों को होती है क्योंकि दसवीं के बाद 10 किलोमीटर दूर सीनियर सेकेंडरी स्कूल है और बच्चों को वहां तक जाने के लिए काफी परेशानी होती है।


2008 में हुई थी शुरू, 5 साल बाद ही बंद
{जिले में सन 2008 में ग्रामीण परिवहन के नाम से इन गांवों में बसों का संचालन शुरू किया था। जिसको लेकर राज्य सरकार ने 9 रुपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से रोडवेज को भुगतान भी किया था, लेकिन 5 साल बाद ही सरकारों ने हाथ खड़े कर दिए, निगम को दिए जा रहे अतिरिक्त भुगतान बंद कर दिया, जिसके बाद धीरे धीरे ग्रामीण इलाकों की बसें बंद करनी पड़ी और 2013-14 में सभी ग्रामीण रूट पर चलने वाली बसें बंद हो गई, जिनको मुख्य मार्गों से ही जोड़ा गया। जिसके बाद फिर से अगस्त 2019 में जयपुर मुख्यालय से ग्रामीण बसों के संचालन को लेकर सर्वे रिपोर्ट तैयार करने को कहा, रिपोर्ट भी जिला रोडवेज ने भेज दी, लेकिन अभी तक कार्य आगे नहीं बढ़ सका है।


इन गांवों का रोडवेज का इंतजार...
{गढ़ी- पारसोला
{बांसवाड़ा से गढ़ी वाया: देवलीया, कुशलपुरा, पारहेड़ा, जौलना, रैयाना, डडुका
{गढ़ी-अरथूना- झेर वाया: बिलौदा, सारनपुर, आंजना, कोटडा, छाजा, आनंदपुरी, पाटनवाघरा, वरेठ
{कुशलगढ़-बागीदौरा वाया: बडवास, झीकली, टिमेड़ा, चरकनी, भोयन, नागावाड़ा, राखौ
{कुशलगढ़-सज्जनगढ़ वाया: वसूनी, ऊकाला, चुड़ादा, शक्करवाड़ा, ईटाला, सागवा, टांडा
{घाटोल- पारसोला वाया: नरवाली, देलवाडा, लोकिया, कंठाव, पडाल बड़ी, डूंगरिया, खमेरा
{घोटाल-भीमपुर वाया: चिरावाला गढ़ा, पडौली, देवदा, अमरधुन, वाड़गुन, नेगरेड़, गोरछा
{घाटोल-गढ़ी वाया: खजिया, जगपुरा, कानजी का गढ़ा, अमरसिंह का गढ़ा, मोटागांव, बिछवाड़ा, लोहारिया, आसोड़ा, उम्बाड़ा, आसन, करणपुर, सरेडी बड़ी, माखिया, अगरपुरा, मोर, चौपासाग
{बांसवाड़ा खेड़ा वाया: पाड़ला, देवगढ़, नारोल, आम्बापुरा, नलाद, बरवाला, राजिया
{बांसवाड़ा- सागवाडिय़ा वाया: निचला घंटाला, सेवना, माकोद, तेजपुर, झांतला, चिड़ियावासा, देवालीया, तलवाड़ा
{आनंदपुरी-बागीदौरा वाया: उम्मेदपुरा, कोणा, चौरड़ी, उम्मेदगढ़ी
{बागीदौरा-मोनाडूंगर वाया: राखो, ,सालीया, ढालर, जामुडी, लंकाई, गांगड़तलाई, सल्लोपाट
{बागीदौरा-सातसेरा वाया: राखो, कलिंजरा, हैजामाल, भीलकुआं, टाण्डा, सज्जनगढ़, राठधनराज, सुंदनी हाला, जालीमपुरा, कसारवाड़ी
{बांसवाड़ा-घाटोल वाया: खमेरा, पीपलखूंट, घंटाली, जहापुरा, कुटुंबी, नापला


न बसें हैं और न ही पर्याप्त कर्मचारी
 अभी पूरा बसों के संचालन के लिए बसों भी नहीं हैं। इसके अलावा ड्राइवर और परिचालकों की भी काफी कमी है। जब तक बसों और कर्मचारियों की समस्या खत्म नहीं होती तब तक ग्रामीण रूट पर बस संचालन करना भी मुश्किल है, वहीं सर्वे जयपुर मुख्यालय में भेज रखी है वहां से क्या फैसला आता है। -ताराचंद आजाद, मुख्य प्रबंधक, बांसवाड़ा रोडवेज बस डिपो
कोरोना ने प्राइवेट बसों की छीन ली सुविधा
कोरोना काल से पहले दो-तीन बार मिनी बसें गांव तक आती थी, लेकिन कोरोना के बाद बस सेवा भी लॉकडाउन हो गई। कुछ बसों के मालिकों ने तो घाटा पड़ने के कारण ट्रांसपोर्ट के काम से ही तौबा कर दी, जो थोड़ी बहुत सुविधा थी वह भी दम तोड़ गई। अब लोगों को बाजार तक आने में काफी समस्या का सामना करना पड़ा है। अब स्कूल खुल चुके हैं और सबसे अधिक बुरी तरह बच्चे पिस रहे हैं।

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